Budget 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट किया पेश, ये चीजें हुईं महंगी और ये हुईं सस्ती, यहां देखें पूरी लिस्ट

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Budget 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट किया पेश, ये चीजें हुईं महंगी और ये हुईं सस्ती, यहां देखें पूरी लिस्ट



Budget 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट किया पेश, ये चीजें हुईं महंगी और ये हुईं सस्ती, यहां देखें पूरी लिस्ट



Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण में वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश कर दिया है. लगातार 8वीं बार बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हम दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है.
वित्तमंत्री ने इस बजट में वेतनभोगी करदाताओं के लिए बड़ा ऐलान किया. उन्होंने घोषणा की कि नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.बजट में वित्तमंत्री ने किसानों के लिए प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना की घोषणा की. इससे देश के 100 जिलों के 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा. इसके साथ सरकार ने बिहार में मखाना पैदा करने वाले किसानों के लिए मखाना विकास बोर्ड के गठन का ऐलान किया है. वहीं कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को राहत देते हुए 36 दवाओं पर से टैक्स हटाने की घोषणा की.

इनकम टैक्स के लिए वित्तमंत्री के बड़े ऐलान

मुक्त करने की घोषणा की. लोगों को यह छूट नई आयकर व्यवस्था में मिलेगी.मानक कटौती 75 हजार रुपये के साथ नौकरीपेशा लोगों को अब 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं देना होगा.वित्त मंत्री ने कहा कि कर छूट से मध्यम वर्ग के लोगों के पास खपत के लिए अधिक पैसे बचेंगे. इससे निवेश और बचत में भी इजाफा होगा. प्रत्यक्ष कर में दी गई इस छूट से सरकारी खजाने पर एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

वित्त मंत्री ने इसके साथ अलग-अलग कर स्लैब में भी बदलाव का प्रस्ताव किया है.

12 लाख तक कोई टैक्स नहीं, समझिए नया टैक्स स्लैब

12 लाख की इनकम टैक्स वाले को कोई टैक्स नहीं देना होगा.
12 से 16 लाख की इनकम पर 15 फीसदी का टैक्स लगेगा.
16 से 20 लाख की इनकम पर 20 फीसदी का टैक्स लगेगा.
20 से 24 लाख पर 25 फीसदी का टैक्स लगेगा.
24 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा.
किसानों के लिए सरकार ने खोला खजाना

वित्तमंत्री ने किसानों के लिए पीएम धन धान्य कृषि योजना का ऐलान किया. यह योजना के 100 जिलों में राज्य सरकारों के सहयोग से चलाई जाएगी.ये वे जिले होंगे, जिनमें कृषि उत्पादकता कम है. इससे 1.7 करोड़ किसानों को फायदा होगा.
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने बिहार में मखाना का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए मखाना बोर्ड बनाने की घोषणा की. इसका मकसद मखाने की खेती करने वाले किसानों की मदद करना और मखाना की पैदावार बढ़ाना है.
इस बजट में सरकार ने किसानों के लिए ये ऐलान किए हैं. सरकार का ध्यान अगले 6 साल तक मसूर, तुअर (अरहर) जैसी दालों की पैदावार बढ़ाने पर रहेगा. वित्तमंत्री ने कहा कि खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार राष्ट्रीय तेल मिशन चला रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 10 साल पहले हमने ठोस प्रयास किए थे. इससे दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल हुई थी. तब से आय में वृद्धि और बेहतर आर्थिक क्षमता की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों में पंजीकरण और करार करने वाले किसानों से चार साल के दौरान सभी दलहन खरीदी जाएगी.

कपास की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार पांच साल की एक योजना चलाएगी. इससे देश का कपड़ा उद्योग मजबूत बनेगा. सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज की लिमिट तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक करने की घोषणा की है.इससे किसानों, पशुपालकों और मत्स्यपालकों को छोटी अवधि का कर्ज मिलता है. वित्तमंत्री ने घोषणा की है कि छोटे उद्योगों को विशेष क्रेडिट कार्ड, पहले साल 10 लाख कार्ड जारी किए जाएंगे.

इसके अलावा सरकार ने असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक क्षमता वाला यूरिया कारखाना लगाने की घोषणा की है. इसके साथ ही सरकार ने पूर्वी क्षेत्र में बंद पड़े यूरिया कारखानों को खोलना का दावा किया है. सरकार ने सहकारी क्षेत्र के लिए कर्ज उपल्बध कराने के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम को समर्थन देगी.

भारत के विकास का दूसरा इंजन है एमएसएमई

वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों (एमएसएमई) को भारत के विकास का दूसरा इंजन बताया. उन्होंने कहा कि यह सेक्टर साढ़े सात करोड़ लोगों को रोजगार देता है. उन्होंने कहा कि देश के कुल निर्यात में इस क्षेत्र का हिस्सा 45 फीसदी का है. निर्माण क्षेत्र में इसका योगदान 36 फीसदी का है. एमएसएमई के लिए वित्तमंत्री ने घोषणा की कि एमएसएमई वर्गीकरण के लिए निवेश की सीमा 2.5 गुना बढ़ाई जाएगी. समृद्ध एमएसएमई युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने का विश्वास देगा.

सरकार ने फुटवियर और लेदर क्षेत्र के लिए फोकस प्रोडक्ट स्कीम शुरू की जाएगी. इसका मकसद उत्पादकता, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है.इससे 22 लाख लोगों को रोजगार मिलने, चार लाख करोड़ रुपये का टर्नओवर और 11 लाख करोड़ रुपये का निर्यात होने की संभावना है.

वित्तमंत्री ने बताया कि सरकार ने पांच लाख महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उद्यमियों के लिए पहली बार एक योजना का ऐलान किया है. इसके तहत अगले पांच साल दो करोड़ रुपये तक का टर्म लोन दिया जाएगा. इसके तहत उद्यमिता और प्रबंधन कौशल के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी.

निर्यात भारत के विकास का चौथा इंजन

एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन की स्थापना की है. 100 फीसदी तक इंश्योरेंस में निवेश की सीमा की गई. पहले यह 74 फीसदी थी. इंडिया पोस्ट बैंक की क्षमता ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ाई जाएगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आयातकों, निर्यातकों के लिए माल की निकासी के बाद स्वैच्छिक रूप से महत्वपूर्ण तथ्यों की घोषणा करने के लिए एक नए प्रावधान की घोषणा की.केंद्रीय बजट 2025-26 में सीमा शुल्क अधिनियम के तहत अस्थायी मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए दो साल की समय सीमा निर्धारित की गई है. जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है.

पीएम ने बजट से पहले क्या कहा था

इससे पहले शुक्रवार को संसद का बजट सत्र शुरू होने पर प्नधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में मीडिया को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प फिर दोहराया था. पीएम मोदी ने इशारों ही इशारों में बता दिया कि सरकार कैसा बजट पेश करने वाली है. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में गरीब, मीडिल, क्लास, महिलाओं और युवाओं की बात की. इसके साथ ही उन्होंने विकसित भारत के लिए रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म के फार्मूले की बात की. इससे लगता है कि इस बार का बजट इन्हीं शब्दों के ईर्द-गिर्द रहने वाला है.

वित्तवर्ष 2025-26 के बजट के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण.

गरीब और मध्य वर्ग

पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट है. प्रधानमंत्री ने कहा,''मैं मां लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि गरीब और मध्य वर्ग पर उनकी विशेष कृपा रहे.'' इससे लगा कि इस बार के बजट में सरकार गरीब और मध्य पर विशेष ध्यान देने वाली है. सरकार इनके लिए चलाई जा रहीं योजनाओं का बजट बढ़ाया जा सकता है. सरकार कुछ नई योजनाओं का ऐलान भी गरीबों और मध्य वर्ग के लिए कर सकती है.मध्य वर्ग और नौकरीपेशा बहुत पहले से ही कर मुक्त आय की सीमा बढ़ाने की मांग कर रही है, ऐसे में हो सकता है कि सरकार इस बजट में उनकी इस मांग को पूरा करे.

विकसित भारत का सपना

पीएम मोदी ने एक बार फिर विकसित भारत की बात की. इसका सपना उन्होंने लाल किले की प्राचीर से देखा है. पीएम मोदी की सरकार इस दिशा में तभी से काम कर रही है. विकसित भारत का उद्देश्य आजादी के 100वें साल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है. इस दृष्टिकोण में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता और सुशासन सहित विकास के विभिन्न पहलुओं का शामिल को किया गया है.उन्होंने कहा कि यह बजट विकसित भारत के सपने के लिए एक नया विश्वास पैदा करेगा. नई ऊर्जा देगा. इससे लगता है कि सरकार इस बजट में विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए कई सुधारों का ऐलान कर सकती हैं.
इसे आकांक्षाओं का बजट बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने सभी वर्गों के विकास पर ध्यान दिया है. आइए देखते हैं कि बजट में कौन सी चीजें सस्ती हुईं और महंगी चीजों की लिस्ट में किसे शामिल किया गया.

ये चीजें हुईं सस्ती

•मोबाइल फोन सस्ती हुआ
•कैंसर की दवाइयां सस्ती हुईं
•मेडिकल इक्विपमेंट्स सस्ते हुए
•LCD, LED सस्ती हुईं
•6 लाइव सेविंग दवाइयां सस्ती हुईं

82 सामानों से सेस हटाने का ऐलान

•भारत में बने कपड़े होंगे सस्ते
•सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर टैक्स से राहत दी है. इससे बैटरी से चलने वाली कारें सस्ती हो सकती हैं.
चमड़ा और इससे बने उत्पादों पर टैक्स घटाई गई हैं, जिससे •चीजें सस्ती होंगी.
•फ्रोजन फिश
•मोटर साइकिल
•जिंक स्कैप
•कोबाल्ट पाऊडर
•EV लिथियम बैटरी
•लीथियम आयन बैटरी
•कैरियर ग्रेड इंटरनेट स्विच
•सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस
जहाज निर्माण के लिए कच्चा माल—बेसिक कस्टम ड्यूटी से 10 और साल के लिए छूट

क्या हुआ महंगा

बजट में इंटरेक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 10 परसेंट से बढ़ाकर 20 परसेंट किया गया.

बुने हुए कपड़े (निटेड फैब्रिक्स)

इसी के साथ बजट में बच्चों और बड़ों से जुड़ी कुछ चीजों के महंगे होने का अनुमान है. दरअसल, बजट से एक दिन पहले पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड (यूपीएफ) की बढ़ती खपत पर चिंता जताई गई.

खाने-पीने की इन चीजों में नमक, चीनी, कॉन्सन्ट्रेटेड फैट और आर्टिफिशियल एडिटिव्स होने के चलते स्वास्थ्य पर इनका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए इन पर जीएसटी अधिक लगाए जाने की चर्चा है. इसी के साथ FSSAI की सख्त लेवलिंग और जागरूकता अभियानों पर भी जोर दिया गया. इसके स्थान पर स्थानीय और मौसमी फलों-सब्जियों की खपत बढ़ाने पर जोर दिया गया.

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