मझौली सीबीएमओ की मनमानी चरम पर, कार्य क्षेत्र से हमेशा रहते हैं नदारत
एक डॉक्टर दो सिस्टर के हवाले मझौली अस्पताल
रवि शुक्ला,मझौली
इस समय जिला अस्पताल सहित पूरे जिले भर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, आए दिन अखबार के पन्नों में अस्पताल की खबरें आती रहती हैं इसके बावजूद भी जिले भर की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है, इसी तरह विगत दो वर्षों से मझौली उपखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को देखा जाए तो दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है दवा कराने आने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ रही है। इस ओर ना तो किसी बड़े अधिकारी की ध्यान जा रहा है ना ही नेता ,प्रतिनिधियों की. भले ही चाहे हो हल्ला होने पर नेतागिरी चमकाने के लिए कुछ नेता कार्यकर्ता पहुंच लोगों को गुमराह कर रहे हो लेकिन खबर है कि व्यवस्था सुधारने के बजाय कमीशन की शिरकत ज्यादा रहती है जिससे क्षेत्र भर की स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट होती जा रही है .
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लोगों को समान्य स्तर की बीमारियों के लिए झोलाछाप डॉक्टर के हाथ जान गंवानी पड़ती है या नागपुर, जबलपुर, दिल्ली, बनारस दावा कराने के लिए जाना पड़ रहा है।
बताते चलें कि विगत दो वर्षों से स्वास्थ्य व्यवस्था दिन प्रतिदिन पटरी छोड़ती नजर आ रही है. एक ओर जहां अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र में ताले लटके रहते हैं वहीं मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी एक डॉक्टर दो सिस्टरो के हवाले रखी गई है। जिससे मरीजों के साथ स्टाप को भी परेशानियों का दन्स झेलना पड़ रहा है।
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जिसका ताजा मामला 12 फरवरी दिन बुधवार को सामने आया है जहां शाम लगभग 5 बजे के करीब मधुमक्खियां के हमले से घायल दर्जन भर लोगों में से आधा दर्जन लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे वहीं एक्सीडेंट के भी कुछ मरीज आय हुए थे, इस दौरान ड्यूटी में केवल दो सिस्टर तैनात थी जिनके हवाले डिलीवरी एवं आईपीडी (इमरजेंसी सेवा) की भी देखभाल की जिम्मेदारी भी दी गई थी डॉक्टर के अनुपस्थिति में सिस्टरो द्वारा ही मरीजों को रेफर किया गया है। हालांकि उपस्थित सिस्टरो द्वारा तिवारी डॉ. से मोबाइल में संपर्क कर प्राथमिक उपचार किया गया. बताया यह भी जा रहा है कि डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण मधुमक्खियां के हमले से पीड़ित लोगों में से आधे स्वास्थ्य केंद्र नहीं आए वे अपना ट्रीटमेंट कहां कराए हैं इसकी जानकारी नहीं हो पाई है. लोगों के फरियाद पर जब मीडिया की टीम पहुंच जानकारी ली तो बताया गया कि दोपहर 2 बजे तक तिवारी डॉक्टर थे तब से अभी तक कोई भी डॉक्टर नहीं आए हैं. वहीं सीबीएमओ डॉक्टर पी. एल. सागर की ड्यूटी होना बताया गया जब उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई तो मोबाइल नंबर कवरेज एरिया से बाहर बताया गया अपुष्ट सूत्रों की माने तो पूर्व की भांति डॉक्टर पीएल सागर अपने गृह ग्राम निकल चुके थे। तीसरे डॉक्टर के रूप में कृष्णा कोल भी तैनात हैं पर उनका कहीं अता-पता नहीं रहता.
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कमीशन बांध सीबीएमओ दिए है खुला छूट:
बताया जा रहा है कि वेतन में कमीशन बाध खुद मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी अधिकांश स्वास्थ्य कर्मियों को छूट दे रखे हैं जो मनमानी पूर्वक कार्य क्षेत्र से नदारत रहते हैं चाहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली में पदस्थ डॉक्टर एवं कर्मचारी हो चाहे उप स्वास्थ्य केंद्रों में अधिकांश मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी के समान मनमानी पूर्वक कर्तव्य दायित्व का निर्वाहन न करते हुए क्षेत्र से नदारत रहते हैं या अपनी अलग से क्लीनिक संचालित अतिरिक्त आय में जुटे रहते हैं. और करें क्यों ना जब खंड चिकित्साधिकारी ही नदारत रहते हैं इसी का फायदा स्वास्थ्य कर्मी भी उठा रहे हैं।
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कार्य करने वालो को थमाई जा रही नोटिस
खबर यह भी है कि लगनशीलता से मरीजों की सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को जो फोन से संपर्क कर मरीज के आने व स्थिति से अवगत कराते हैं या लोगों को सही जानकारी दे देते हैं कुछ स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से आने वाले मरीजों से अनर्गल शिकायत कराकर मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा नोटिस थमाई जा रही है जिससे स्वास्थ्य कर्मी भले ही चाहे तिवारी डॉक्टर को फोन लगा लें या मरीजों का दन्स झेल ले पर मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी को फोन लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं ना ही मीडिया के समक्ष वास्तविकता प्रदर्शित कर पा रहे हैं।
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बीपीएम की भी लापरवाही आ रही सामने
मझौली सीबीएमओ की लापरवाही तो है ही साथ ही चर्चा यह भी हो रही है मझौली में पदस्थ बीपीएम कमलेश चौधरी की भी मनमानी चरम पर है, ये कभी कभी कभी आते हैं,जबकि बीपीएम का काम पूरे मझौली खंड की स्वास्थ्य व्यवस्था का मैनेजमेंट करना होता, जब ये दोनों मुख्य अधिकारी ही अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो अन्य कर्मचारी कितनी लगनशीलता से कार्य करते होंगे इससे अंदाजा लगाया जा सकता है।
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आखिर किसका है खुला सरंक्षण?
लापरवाही में चर्चित मझौली की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है आए दिन खबर प्रकाशन हो रहा है इसके बावजूद भी न तो कोई जनप्रतिनिधि के कानों जूं रेंग रहा है और न ही कोई नेता बोलने को तैयार है, और न ही जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्यवाही कर रहे हैं, आखिर किसका खुला सरंक्षण मिला है जिससे सीबीएमओ और बीपीएम कार्य क्षेत्र से नदारद रहते हैं।
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