चपरासी और रसोईया के भरोसे छात्रावास की व्यवस्था,छात्रों का हो रहा शोषण,अधीक्षक रहते है नदारद

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चपरासी और रसोईया के भरोसे छात्रावास की व्यवस्था,छात्रों का हो रहा शोषण,अधीक्षक रहते है नदारद



चपरासी और रसोईया के भरोसे छात्रावास की व्यवस्था

छात्रों का जा जमकर हो रहा शोषण,अधीक्षक रहते है नदारद

मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता भोजन


रवि शुक्ला,मझौली || (97134- 89063)

धौहनी विधानसभा में संचालित छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को शासन की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं मुहैया नहीं हो पर रही हैं। ताजा मामला जूनियर आदिवासी बालक छात्रावास बकवा का आया है,जहां चपरासी और रसोईया के भरोसे छात्रावास की व्यवस्था हो रही ,छात्रों का जा जमकर शोषण भी रहा है अधीक्षक छात्रावास से रात में नदारद रहते है, यहां रहने वाले छात्रों के लिए सुबह से लेकर रात तक की मीनू के अनुसार भोजन भी नहीं दिया जाता। छात्रावास की स्थिति काफी बदहाल है. छात्रावास में बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलने के कारण छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. जिनके लिए सरकार सुविधाएं दे रही है उनकी सुविधाओं पर बकवा छात्रावास में डाका डाला जा रहा है जिम्मेदारों के निगरानी के अभाव में आदिवासी बालक छात्रावास में समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। नाश्ता और भोजन के लिए लाखों रुपए का बजट आता इसके बावजूद ओपिचारिकता निभाई जाती है। जूनियर आदिवासी बालक छात्रावास बकवा की लोगों द्वारा शिकायत मिल रही थी जिसको लेकर कल  3 :15 बजे हॉस्टल पहुंची जहां बाहर चार बच्चे हॉस्टल और और कुछ बाहर के खेल रहे थे बच्चों से पूछा गया कि कितने बच्चे है डरे सहमे बच्चों ने बताया कि 4 बच्चों की उपस्थिति है , जबकि 50 सीटर हॉस्टल है , अधीक्षक के बारे पूछने पर बताया छात्रों एवं कर्मचारी ने बताया कि अधीक्षक भानुप्रपात सिंह दिन में सुबह 10 बजे आते है और शाम 4 बजे घर चले जाते है, यहां एक रसोईया और एक चपरासी के भरोसे रहता है।


26 छात्रों में 4 की उपस्थिति 

बकवा छात्रावास में 50 सीटर हॉस्टल में महज 4 छात्र उपस्थित रहते हैं कभी कभी 10 से 12 रहते है वहीं रसोईया द्वारा बताया गया कि आज 4 बच्चे है 26 छात्रों का एडमिशन किया गया है, रसोईया रवेंद्र बैगा के अनुसार हॉस्टल में हम और एक चपरासी रहते हैं अधीक्षक शाम 4 बजे घर चले जाते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधीक्षक भानुप्रपात सिंह कितने जिम्मेदारी से अपना काम करते हैं।

मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता भोजन

बकवा अधीक्षक छात्रों के हक में डाका डालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते,मीनू के अनुसार बच्चों को भोजन भी नहीं दिया जाता,बच्चों द्वारा बताया गया कि सुबह और शाम दोनों टाइम चावल, दाल रोटी,सब्जी आलू बैगन और गोभी की दी जाती है, नाश्ते में पोहा, भजिया,नमकीन और बिस्किट दिया जाता है, अधीक्षक की मनमानी चरम पर है बच्चों को नाश्ता एवं भोजन के नाम पर मिलने वाला बजट डकार लिया जाता है। 
यहां के रहवासी बच्चों को सुविधाओं के लिए हमेशा मोहताज रहना पड़ता है, छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक अपने मनमानी पर उतारू हैं,इसका खास कारण यह भी हो सकता है विभाग के अधिकारी कर्मचारी कभी कोई आकस्मिक निरीक्षण नहीं करते होंगे या फिर अपना कमीशन लेकर चले जाते होंगे,मामला चाहे जो कुछ भी लेकिन इस तरह के जिम्मेदारों पर कार्यवाही होना चाहिए,अब देखना यह होगा कि खबर प्रकाशन के बाद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जाएगी या फिर सांठ गांठ कर लिया जाएगा।

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