Sidhi News: खरीदी केंद्रों में भीगी धान, किसानों का हाल बेहाल
सीधी-
एक तरफ क्षेत्र में धान की बेहतरीन पैदावार होने के कारण धान खरीदी केंद्रों में काफी मात्रा में धान की आवक हुई है लेकिन खरीदी केंद्र प्रबंधन के द्वारा अपने सुविधा एवं फायदा के अनुसार खरीदी का सिस्टम बनाया है यही कारण है कि किसान एक बार फिर सिस्टम के चक्रव्यूह में फंस गया है क्योंकि एक तरफ खरीदी केंद्र में धान लाने के बाद कुछ किसानों का तो बजन कर दिया गया है बाकी किसानों का तीन से पांच दिन फंसे हुए हैं क्योंकि अभी धान का वजन नहीं कराया गया है ऐसे में उनके पास खुद की धान सुरक्षित करने की व्यवस्था नहीं है जबकि दूसरी तरफ जिनका वजन हो भी गया है लेकिन परिवहन और भंडारण नहीं हुआ है उनका भी भुगतान अटक सकता है। जिससे किसान के हाल बेहाल दिख रहे हैं। जबकि खरीदी करने वाले मालामाल हो सकते हैं।
किसानों ने खोला साजिस से पर्दा
किसानों के मुताबिक खरीदी केंद्र में धान आ रही है और रखरखाव के लिए बजट भी आया है लेकिन यह जानते हुए की बरसात हो सकती है प्रबंधन के द्वारा आए बजट को डकार जाने की नीयत से व्यवस्था नहीं की गई उसके पीछे दो वजह है एक तो अगर धान बोरी में भरकर वजन कर दी गई तो पहले बजन में ही निर्धारित मात्रा से ज्यादा का भराव किया गया अब ऐसे में अगर धान की बोरियों में पानी पड़ेगा तो उसका भजन और काफी बढ़ जाएगा जिसका फायदा खरीदी केंद्र को होगा क्योंकि बोरियों में पानी पड़ने से वजन बढ़ना तय है लेकिन किसान के लिए यही बरसात घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि जब तक धान का परिवहन यानी उठाव और भंडारण नहीं हो जाता है तब तक धान का भुगतान नहीं होगा। ऐसे में बरसात के कारण धान का उठाव और भंडारण का प्रभावित होना तय है जिससे किसान का भुगतान अधर में लटक सकता है।
दो दिन पूर्व ही किया गया था अलर्ट
मौसम विभाग के साथ साथ जिले की मीडिया ने 2 दिन पहले ही धान खरीदी केंद्र मझौली, ताला, मड़वास,टिकरी का जायजा लेकर समाचार पत्रों में धान खरीदी केंद्र में व्यवस्था एवं बरसात से निपटने की तैयारी न होने को लेकर आशंका जताई गई थी कि बरसात होगी तो किसानों का भुगतान अधर में लटक सकता है जिस कारण खरीदी केंद्र में बरसात से निपटने के लिए समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है जिससे किसानों की आशंका सही साबित हो रही है कि खरीदी करने वालों के इरादे ही नहीं थे कि बरसात से धान की सुरक्षा की जाए।अब देखना है कि जब धान बरसात की चपेट में आ गई है तब जिला प्रशासन जिम्मेदारों के ऊपर क्या कार्रवाई करेगा और क्या किसानों का भुगतान बिना प्रभावित समय प्राप्त होगा।
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