श्रीरामचरित मानस पाठ पर संतों का आगमन,हुआ विशाल भंडारा
सीधी
वाराणसी में दानगंज के पास भदवा गांव में भगत कृष्णा विश्वकर्मा के घर श्रीरामचरितमानस पाठ का आयोजन हुआ।इस अवसर पर विश्व गुरु,विश्व गौरव से सम्मानित यथार्थ गीता के प्रणेता परमहंस स्वामी श्री अड़गड़ानंद जी महाराज जी के शिष्य पधारे और गीतोक्त साधना का सन्देश भक्तो को बताया।इस अवसर पर पूज्य श्री लाले महाराज, पूज्य श्री वरिष्ठानंद जी महाराज, पूज्य श्री राकेशानन्द जी महाराज,पूज्य श्री जयप्रकाशनंद जी महाराज, पूज्य श्री प्रद्युम्न महाराज जी, पूज्य श्री अखिलेश महाराज जी,पूज्य श्री कृष्णा महाराज जी, पूज्य श्री विनोद बाबा पूज्य श्री विक्की बाबा,पूज्य श्री राजेन्द्र बाबा आदि संतों का पदार्पण हुआ।पूज्य श्री सभी महात्माओ ने एक ईश्वर की आराधना और उनको पाने की एक ही विधि गीतोक्त विधि और पूज्य गुरुदेव भगवान की शरण पर बल दिया। हजारों की संख्या मे उपस्थित भक्तो को पूज्य श्री लाले महाराज जी ने कहा की ईश्वर बाहर नही हैं पत्थर पहाड़ मे नही हैं वह जैसे हाँथ पाँव हमारे नजदीक हैं उसी तरह भगवान भी हमारे हृदय मे रहते हैं और हाँथ पाँव की तरह हमसे नजदीकी बनाये रहते हैं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा की हे पार्थ उपद्रष्टानुमंता च भर्ता भोक्ता महीश्वर:।परमातमेति चापयुक्तो देहेस्मिन पुरुष: पर:।।उन्होंहे कहा की सुमिरन बिनु गोता खायेगा अर्थात जब तक भगवान का सुमिरन नही होगा तब तक जन्म जन्मांतर तक गोता लगा रहेगा पूज्य श्री राकेशानंद जी महाराज ने कहा की आत्मोद्वार के लिये एक ईश्वर की आराधना ओम जप सद्गुरु का ध्यान आवश्यक है दाम करे सब काम बिना दाम के कुछ भी नही होता साधु संत महात्माओ को जितना दान करोगे उतना ही आत्म कल्याण होगा वही दान कृपा बनकर तुम्हारे पास लौटेगी वही दान,पुण्य पुरुषार्थ बढ़ा देगा। वहीं पूज्य श्री वरिष्ठानंद जी महाराज ने कहा की जा घर गुरुभक्ति नही जहां न संत मेहमान। त घर मरगत जानके भूत बसे दिन माहि।। अर्थात अगर संत महात्माओ की सेवा नही है तो उनकी शरण सानिध्यता नही है, संतो के प्रति भाव नही है तो ऐसे लोगों के घर भूत ही वास करते है।वहा सन्मार्ग का कार्य नही हो पाता। पूज्य श्री जयप्रकाश महाराज जी ने कहा की यह संसार मोहनिशा मे सोया हुआ है इसमें संयमी पुरुष ही जागता है भगवान के प्रति श्रद्धा स्थिर करना चाहिए ओम का जप करना सद्गुरु के स्वरूप को बार बार याद करते रहना चाहिए इस अवसर पर पूज्य श्री अनुसुईया जी महाराज जी के शिष्य पूज्य श्री साधु जी महाराज जी अर्थात सवानंद जी महाराज भी लोगों को ईश्वरीय ज्ञान के संबंध मे सम्बोधित किये। इस अवसर पर भंडारे का आयोजन किया गया और प्रसाद स्वरूप गमछा भेंट किया गया इस अवसर पर भक्तो ने बढ़चढ़कर सहयोग किया।
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