करवा चौथ आज: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं आज रखेंगी निर्जला व्रत ,चंद्रमा को अर्घ देकर तोड़ेंगी व्रत,खरीददारी करने बाजार में उमड़ी भीड़

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करवा चौथ आज: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं आज रखेंगी निर्जला व्रत ,चंद्रमा को अर्घ देकर तोड़ेंगी व्रत,खरीददारी करने बाजार में उमड़ी भीड़




करवा चौथ आज: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं आज रखेंगी निर्जला व्रत ,चंद्रमा को अर्घ देकर तोड़ेंगी व्रत,
खरीददारी करने बाजार में उमड़ी भीड़ 


सीधी- हिंदू धर्म में महिलाओं के अनेक व्रत आते हैं जिन्हें यह व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं चांद का दीदार करने के पूर्व तक निर्जला व्रत रहकर अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। चांद का दीदार होने के बाद विधि-विधान से पूजा उपरांत व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाएं रखती हैं। इस दिन वह सज-धज कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करवा माता की पूजा करती हैं। इस व्रत की तैयारी के लिए महिलाएं सप्ताह भर से बाजार में आकर्षक आभूषणों के साथ-साथ श्रृंगार सामग्री व साडिय़ों का कलेक्शन करने में जुटी रहीं। यही वजह रही कि बीते सप्ताह भर से बाजार में अच्छी खासी भीड़ भी बनी रही। कहा जाता है कि इस दिन महिलाएं भगवान शिव माता पार्वती, कार्तिकेय एवं भगवान गणेश तथा चंद्रमा माता की पूजा करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत आज 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शायं 7:55 पर चंद्रोदय के बाद यह व्रत टूटेगा। सुबह से ही घरों सहित मंदिरों में व्रत रखने वाली महिलाएं भगवान शिव माता पार्वती की आराधना में लीन हो जाते हैं। ऐसा कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव की पार्थिव पूजा करने से शिव जी द्वारा व्रती महिलाओं को वांछित फल एवं अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देते है। यही वजह है कि इस दिन शिवालयों में महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। 
 
खरीददारी करने उमड़ी भीड़ 

अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ रखने वाली महिलाएं इस दिन काफी सज-धज कर पूजा-अर्चना करती हैं। जिसके लिए वह नए वस्त्र सहित आभूषणों एवं श्रृंगार सामग्री का प्रयोग करती हैं। बीते एक सप्ताह से करवा चौथ की तैयारी में लगी महिलाओं की भीड़ बाजार में साफ दिखाई पड़ रही है। इस दिन जहां सुबह भगवान शिव की पूजा की जाती है। वहीं चंद्रोदय उपरांत करवा में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ देकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। अखंड सौभाग्य की कामना करने के लिए व्रत रखने वाली महिलाओं द्वारा जब तक चंद्रमा माता का दर्शन नहीं हो जाता तब तक वह इस व्रत को पूर्ण नहीं मानती हैं।

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