अहंकार से भरा रावण इंसान और वानरों को समझता है तिनके के समान,भारतीय शैली के साथ होगी विदेशी श्रीरामलीला प्रसंगों की प्रस्तुती

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अहंकार से भरा रावण इंसान और वानरों को समझता है तिनके के समान,भारतीय शैली के साथ होगी विदेशी श्रीरामलीला प्रसंगों की प्रस्तुती



अहंकार से भरा रावण इंसान और वानरों को समझता है तिनके के समान,भारतीय शैली के साथ होगी विदेशी श्रीरामलीला प्रसंगों की प्रस्तुती 


        सतना 21 अक्टूबर 2024/मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग की ओर से 20 से 26 अक्टूबर 2024 तक श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों की लीला प्रस्तुतियों पर एकाग्र सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन श्रीराघव प्रयाग घाट, #सतना के नयागाँव चित्रकूट में किया जा रहा है। समारोह में लीला मण्डल रंगरेज कला संस्थान, उज्जैन के कलाकार प्रतिदिन शाम-7 बजे से श्रीरामकथा के प्रसंगों की प्रस्तुतियां दे रहे हैं। इस अवसर पर “श्रीरामराजा सरकार” श्रीराम के छत्तीस गुणों का चित्र कथन प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जा रहा है।  
     समारोह के पहले दिन रविवार को पूज्य संत रामजी दास महाराज, संतोषी अखाड़ा, पूज्य संत सीताशरण महाराज, जानकी महल, महंत श्री वरुण प्रसन्नाचार्य महाराज, बड़ा मठ, श्री अभय महाजन संगठन सचिव, दीनदयाल शोध संस्थान, प्रोफेसर भारत मिश्रा कुलगुरु, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, सतना, श्री अशोक जाटव अध्यक्ष, जिला पंचायत जनपद चित्रकूट, श्री नरेंद्र गुप्ता अध्यक्ष, नगर पालिका कर्वी, श्री पंकज अग्रवाल, अध्यक्ष, कोऑपरेटिव बैंक बांदा चित्रकूट, श्री जीतेंद्र वर्मा, एसडीएम तहसील मझगवां ने शुभारंभ दीप प्रज्जवलित एवं कलाकारों के स्वागत के साथ किया। पहले दिन शिव विवाह, रावण का विश्व विजय अभियान, श्री राम-जन्म, गुरु विश्वामित्र दशरथ संवाद प्रसंगों का मंचन किया गया।

भगवान शिव माता सीता को सुनाते हैं श्रीरामकथा


       श्रीराम ने वनवास के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। उज्जैन के 40 कलाकारों ने अपने अभिनय से राघव प्रयाग घाट पर तुलीसदास लिखित प्रसंगों को एक बार फिर जीवंत कर दिया। कल-कल बहती देवगंगा के रूप में पूजी जाने वाली मां मंदाकिनी का जल प्रभू श्रीराम के जीवन की साक्षी रहा है। इसी नदी के किनारे घाट पर तुलसीदासजी को प्रभु श्रीरामचंद्र जी ने भी दर्शन दिए थे। आज यही घाट प्रभु श्रीराम की लीला का साक्षी बन रहा है। रघुकुल में जन्में प्रभुश्री राम की लीला का प्रसंग की शुरुआत शिव-विवाह से होती है। शिव बारात में देवताओं के साथ राक्षस, भूत-प्रेत, पिशाच को देखकर पर्वतराज और उनका परिवार अंचभित हो गया। पार्वतीजी की माता को रूष्ठ देखकर भगवान विष्णु ने कहा कि भगवान शिव तो देवों के भी देव हैं, इसलिए इन्हें महादेव भी कहा जाता है। अगले दृश्य में दिखाया गया कि प्रभु श्रीराम वन में भटक रहे हैं, तब माता पार्वती, शिवजी से पूछती हैं कि ये वन में कौन भटक रहा है। तब शिवजी कहते हैं, ये श्रीराम हैं। वे माता सीता की खोज रहे हैं, जिनका हरण कर रावण ले गया है। क्या आप इस कथा को नहीं जानती, माता पार्वती के इंकार करने पर भगवान शिव उन्हें श्रीरामकथा सुनाते हैं। 

ऋषि-मुनियों और देवताओं पर भी अत्याचार करता है रावण


      अगले दृश्य में दिखाया गया रावण अपने भाई कुंभकर्ण, विभीषण और बहन सूर्पणखां के साथ ब्रह्माजी की कई सौ वर्षों तक तपस्या करते हैं। ब्रह्माजी प्रसन्न होकर उन्हें वांछित वर देते हैं। रावण वरदान मांगता है कि देवता, नाग, गरुड़, यक्ष, दानव, दैत्य और राक्षस के लिए मैं अवध्य हो जाऊं, अर्थात वो मेरा वध न कर पाएं। रावण अहंकार में कहता है कि मुझे ओर की परवाह नहीं है क्योंकि मनुष्य और वानरों को तो मैं तिनके के समान समझता हूं। ब्रह््राजी से वरदान पाकर रावण मनुष्यों से साथ देवता और ऋषि-मुनियों पर भी अत्याचार करता है। नौ ग्रहों को अपने दरबार में बंदी बना लेता है। समस्त देवगण ब्रह्माजी के पास जाकर गुहार लगाते हैं, तब ब्रह्जी कहते हैं मेरे द्वारा वरदान दिए जाने के कारण रावण का वध नहीं कर सकता। सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं। भगवान विष्णु कहते हैं, रावण के पापकर्म बढ़ने पर मैं राजा दशरथ के घर जन्म लूंगा और रावण का वध करूंगा। अगले दृश्य में राम जन्म का प्रसंग दिखाया गया। 

60 फीट का मंच, 10 किलो की वेशभूषा पहनता है रावण


      नाटक का निर्देशन कैलाश चौहान, परिकल्पना और संयोजन शिरिष राजपुरोहित और अमित शर्मा कर रहे हैं। शिरिष बताते हैं, इस नाटक में पहले माता सीता का अभिनय निकिता पोरवाल करती थीं, जो हाल ही में मिस इंडिया बनीं हैं। राम का अभिनय सुमित नागर और रावण का अभिनय राहुल पंड्या करते हैं। सुमित क्राइम पेट्रोल सहित कई सीरियल में अभिनय कर चुके हैं। रावण के हेडगियर का वजन करीब 2 किलोग्राम और वेशभूषा का वजन करीब 8 किलोग्राम है। रिकॉर्डेड म्यूजिक के साथ इस शो को किया जाता है। फाइबर रॉ मटेरियल से प्रॉप्स को तैयार किया गया है। 

प्रभु श्रीराम के 36 गुणों पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन


      इस अवसर पर “श्रीरामराजा सरकार” श्रीराम के छत्तीस गुणों का चित्र कथन प्रदर्शनी का आयोजन बिजावर मंदिर परिसर में किया जा रहा है। यहां प्रभु श्रीराम के महर्षि नारद और सभासदों द्वारा बताए गए 36 गुणों पर आधारित चित्र प्रदर्शनी में 38 कलाकारों द्वारा बनाए गए 38 चित्रों का प्रदर्शित किया गया है। लालटू चित्रकार द्वारा पश्चिम बंगाल की पटुआ शैली में बनाए गए चित्र में प्रभु श्रीराम का न्याय रूप दिखाया गया है। चित्र में बताया गया है कि प्रभु समुद्र से मार्ग देने का आग्रह करते हैं, समुद्र के मार्ग न देने पर क्रोधित होकर वह धनुष का संधान करते हैं। समुद्र उपस्थित होकर प्रभु श्रीराम से क्षमा मांगते हैं। इसके बाद उस पर सेतु का निर्माण किया जाता है। एक अन्य चित्र में एम महेश राज ने तंजावुर शैली में कृतज्ञ श्रीराम रूप में श्रीराम के राज्याभिषेक में पधारे वारन, ऋषि-मुनी, वानर, देव एवं विभीषण को भेंट देकर आभार जताने तथा माता सीता द्वारा हनुमानजी को स्नेहपूर्वक कण्ठाहार पहाने के दृश्य को दिखाया गया है।

आज इंडोनेशिया के कलाकार देंगे प्रस्तुति


      22 अक्टूबर, 2024 को श्रीराम बारात, श्री राम राज्य की घोषणा, कैकेयी-मंथरा संवाद, दशरथ-कैकेयी संवाद, श्री राम वनगमन, 23 अक्टूबर, 2024 को श्री राम-निषादराज मिलन, केवट प्रसंग, दशरथ देवलोक गमन, भरत-कैकेयी संवाद, 24 अक्टूबर, 2024 को मिलाप, सीता हरण, जटायु मरण, शबरी प्रसंग, 25 अक्टूबर, 2024 को श्री राम-हनुमान मिलन, श्री राम सुग्रीव मैत्री, बाली वध, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन एवं उत्सव के समापन दिवस 26 अक्टूबर, 2024 को सेतुबंध, रामेश्वरम स्थापना, रावण-अंगद संवाद, कुंभकरण, मेघनाथ एवं रावण मरण, श्री राम राज्याभिषेक प्रसंगों को मंचित किए जायेंगे।

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