मझौली में स्वयंसेवक संघ ने निकाला पथ संचलन
मझौली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर मझौली नगर में पथ संचलन का आयोजन हुआ. संचलन में सैकंडों स्वयंसेवक कदम से कदम मिलाते हुए सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल से रवाना हुआ ,जहां मझौली बाजार,बस स्टैंड, थाना, जनपद ,तहसील के मार्गों से गुजरे. वहीं, घोष (आरएसएस का बैंड) की स्वर लहरियों ने नगरवासियों को अपनी ओर आकर्षित किया. इसके साथ ही स्वयंसेवक देशभक्ति सेवा के साथ अनुशासन का परिचय देते हुए कदम से कदम मिलाते और सुर में सुर मिलाते हुए मार्ग में बढ़ते नजर आए, इस दौरान नगर वासियों, कर्मचारियों और सामाजिक संगठनों की ओर से स्वयंसेवकों के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. उक्त संचलन पत्ती गोदाम में समाप्त हुआ,
जहां मुख्य अतिथि के रूप अमोल सिंह उपस्थित रहे, वहीं वक्ताओं द्वारा आरएसएस की नीति रीति संचालन के बारे में स्वयंसेवको को विस्तार से बताया गया, वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को अपना आदर्श वाक्य मानता है और इसी के आधार पर पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं वैश्विक स्तर पर जो भी परिवर्तन होता है वह कहीं ना कहीं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भारत को भी प्रभावित करता है यह सोच भारत को विश्व पटल पर एक विकसित राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करती है हम अब और तेजी से समाज को परिवर्तन लाने की दिशा को ओर बढ़ रहे हैं, भारत के जो वर्तमान चुनौतियां हैं उनको कैसे हल किया जा सकता है इस पर भी विचार करना चाहिए, हमें राष्ट्रवाद के परिभाषा को बेहतर तरीके समझना होगा, धर्म क्या है अभी हमें अच्छे तरीके से समझना होगा राम और रावण दोनों ही शिव की पूजा करते थे दोनों शक्ति के उपासक थे लेकिन राम धर्म के प्रतीक हुए रावण अधर्म का प्रतीक हुआ इन दोनों के बीच का अंतर ही भारत के लिए चिंतन एवं बाहर के चिंतन का अंतर है उन्होंने ऐसे कई अनगिनत उदाहरण देते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि संघ शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है आज विश्व में संघ का डंका बज रहा है लेकिन इसके पीछे कई स्वयंसेवकों ने अपने जीवन के आहुति दी है इतना आसान नहीं जितना आज दिखता है हम अब और तेजी से समाज में परिवर्तन लाने की दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।
सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था को देखते हुए मझौली थाना प्रभारी अपने दलबल के साथ मौजूद रहे।
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