आदिवासी युवक के साथ दो माह पूर्व हुई कथित घटना को फिर से राजनैतिक रूप देने में जुटे लोग

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आदिवासी युवक के साथ दो माह पूर्व हुई कथित घटना को फिर से राजनैतिक रूप देने में जुटे लोग



आदिवासी युवक के साथ दो माह पूर्व हुई कथित घटना को फिर से राजनैतिक रूप देने में जुटे लोग


आदिवासी नेत्री ने घटना को लेकर खड़े किये थे सवाल

सीधी
 जिले के अमिलिया थाने में अगस्त माह में हुए आदिवासी युवक के साथ कथित मारपीट के मामले में कुछ लोगों द्वारा इसको फिर से तूल देने का प्रयास किया जा रहा है। इस पूरे मामले को लेकर बसपा की नेत्री द्वारा पूरे घटनाक्रम को लेकर सवाल खड़े कर दिये थे जिसके बाद हाईकोर्ट में पिटीशन दायर की गई थी और तर्क दिया गया था कि किसी भी प्रकार की कार्रवाई पुलिस द्वारा नही की गई है पूरे मामले को सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने डायरेक्शन देकर मामले को डिस्पोज कर दिया गया है। 
  बता दें कि अगस्त माह में अमिलिया थानान्तर्गत कन्हैयालाल कोल पिता श्रीलाल कोल द्वारा अपने साथ पुलिसकर्मियों द्वारा मारपीट का आरोप पुलिस अधीक्षक के समक्ष पहुंचकर लगाया था जिसके बाद पुलिस अधीक्षक डॉ रविन्द्र वर्मा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसआई सहित आरक्षकों को लाईन हाजिर कर पूरे मामले की जांच एसडीओपी चुरहट को सौंप दिया था। पूरे मामले को लेकर आदिवासी नेत्री रानी वर्मा ने पत्रकार वार्ता करते हुए पूरे मामले को लेकर सवाल खड़े कर दिये थे और इस पूरे मामले को लेकर अपने खिलाफ षडयंत्र बताया था उनका कहना था कि कन्हैया के साथ 19 अगस्त को मारपीट की गई तो वो वह एक हफ्ते बाद शिकायत करने क्यों आया वह इतने दिन कहा था और इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस के बड़े नेता पर राजनैतिक हत्या कराने का आरोप लगाया गया था जिसके बाद से यह मामला ठंडा पड़ गया था। जिसके बाद कन्हैया कोल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी और उसमें कहा गया था कि मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई सीधी पुलिस द्वारा नही की गई है जिसको लेकर डीजीपी को 28 अगस्त को शिकायत भेजी गई थी। 

हाईकोर्ट ने केश को किया डिस्पोज

पूरे प्रकरण की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि जो आरोप पिटीशनर द्वारा लगाये गए है उसको अपने स्तर से जांच करायें और शिकायत में लगाये गए आरोपों की जांच करें और यदि शिकायत सही पाई जाती है तो आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीके से 45 दिनो के भीतर उचित कार्रवाई करें इसके साथ ही विद्वान न्यायाधीश ने प्रकरण को डिस्पोज कर दिया है।

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