सरकार की सख्ती के बाद भी मझौली में झोलाछाप डॉक्टरों पर नहीं हो रही कार्रवाई, टीम गठन के 3 सप्ताह बाद भी नहीं हुई कार्यवाही

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सरकार की सख्ती के बाद भी मझौली में झोलाछाप डॉक्टरों पर नहीं हो रही कार्रवाई, टीम गठन के 3 सप्ताह बाद भी नहीं हुई कार्यवाही



सरकार की सख्ती के बाद भी मझौली में झोलाछाप डॉक्टरों पर नहीं हो रही कार्रवाई, टीम गठन के 3 सप्ताह बाद भी नहीं हुई कार्यवाही 



रवि शुक्ला,मझौली

सूबे की मोहन सरकार झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर एक्शन मोड पर आ गई है । प्रदेश सरकार ने सभी कलेक्टरों, जिला चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों को झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का एक महीने पहले निर्देश जारी कर दिए हैं । साथ ही, भविष्य में भी ऐसे फर्जी डॉक्टरों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए जरूरी कार्रवाई की व्यवस्था करने के निर्देश दिये थे, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी एक भी कार्यवाही नहीं हुई,
मामला मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत का है जहां झोलाछाप डॉक्टर व अवैध क्लीनिक संचालक मरीजों की जान से खिलवाड़ कर इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई नहीं कर पा रहा है, मझौली खंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह अवैध क्लीनिक संचालित की जा रही है। वहीं झोलाछाप डॉक्टर भी ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूमकर इलाज कर रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।


टीम गठन के 3 सप्ताह बाद भी नहीं हुई कार्यवाही


स्वास्थ्य संचालनालय के निर्देश के बाद झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई करने मझौली खंड चिकित्सा अधिकारी भी 2 अगस्त को चार सदस्यीय टीम गठित तो कर दी है,लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, टीम गठन के बाद कार्यवाही कागजों में दफन हो गई,जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल तो यह है की टीम गठन के करीब 3 सप्ताह बाद आज तक एक भी कार्यवाही क्यों नही हुई, कहीं ऐसा तो नहीं की मझौली खंड चिकित्सा अधिकारी की भूमिका संदिग्ध है,अगर हुई तो फिर कार्यवाही को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया, ऐसा प्रतीत हो होता है की मझौली के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से झोलाछाप डॉक्टर फल फूल रहे हैं।
  

क्या स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों का मिला है संरक्षण ?


मझौली खंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ सी आई हुई है. हर जगह झोलाछाप डॉक्टर तामझाम के साथ क्लीनिक संचालित कर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसे कई मामले पूर्व में सामने आ चुके है. कार्रवाई न होने से अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं.
स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों के संरक्षण के चलते झोलाछाप डॉक्टर कुकुरमुत्ते की तरह पनप रहे हैं. मझौली क्षेत्र में ऐसे डॉक्टर खुद की क्लीनिक खोल डॉक्टर बनकर गंभीर बीमारियों का इलाज करने लगे है, जबकि इनके पास न तो संबंधित योग्यता है और न ही उपचार संबंधी लाइसेंस है.मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले अनेक गांव के झोलाछाप डॉक्टर लम्बे समय से सस्ती दवाई दिलाने के नाम पर गरीबों का इलाज कर रहे हैं, कई बार तो मामला गंभीर हो जाता है. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत के कारण उस पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.


 मुख्यमंत्री का सपना कैसे होगा साकार?


मुख्यमंत्री मोहन यादव का सपना है कि प्रदेश भर के झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई हो और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो.इसके बावजूद इस आदेश को जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही को नजर अंदाज कर रहे हैं. सवाल उठता है कि आखिर कैसे मुख्यमंत्री का सपना साकार होगा, जब स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही और झोलाछाप डॉक्टरों का रुतबा भारी पड़ रहा है? ऐसे में मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अधिकारियों की उदासीनता से यह साफ है कि सरकार के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है.
अब देखना यह होगा कि खबर प्रकाशन के बाद क्या कार्यवाही कुछ की जाती है

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