MP News:मध्यप्रदेश के स्कूलों में बड़ा बदलाव, जानें क्या है नया नियम

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MP News:मध्यप्रदेश के स्कूलों में बड़ा बदलाव, जानें क्या है नया नियम



MP News:मध्यप्रदेश के स्कूलों में बड़ा बदलाव, जानें क्या है नया नियम 


मध्य प्रदेश में अब छोटे बच्चों की पढ़ाई के लिए एक नया प्रयोग होने जा रहा है. केजी 1,केजी 2 की पढ़ाई अब बच्चे संस्कृत में करेंगे. मध्य प्रदेश सरकार इसके लिए संस्कृत बोर्ड प्राइमरी कक्षाएं शुरू कर रहा है.
केजी, नर्सरी की के क्लास के नाम अब बदल जाएंगे. इनके नए नाम होंगे अरुण और उदय. संस्कृत की इन कक्षाओं को नया नाम दिया गया है. जिसमें संस्कृत, संस्कृति और संस्कार का मंत्र दिया जाएगा. खास बात यह है कि इन क्लासेज में वर्किंग पेरेंट्स यानी कामकाजी माता-पिता के बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी.

मध्यप्रदेश संस्कृत बोर्ड राज्य में पहली बार यह पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने जा रहा है. जिसके तहत 1 और केजी 2 की कक्षाओं के नाम अरुण और उदय होंगे. इन कक्षाओं में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से संस्कृत में कराई जाएगी. इसके साथ ही बच्चे अभिवादन और श्लोकों का उच्चारण भी सीखेंगे. राजधानी भोपाल के सरोजनी नायडू स्कूल में यह कॉन्सेप्ट शुरू होने जा रहा है. जिसके लिए एडमीशन भी शुरू हो गए है.

वर्चुअल की जगह रियलटी पर फोकस

प्रोजेक्ट संचालिका मैडम माया सिंह का कहना है कि स्कूल का पहला बैच 30 बच्चों से शुरू होगा. इसमें कई एडमिशन हो चुके हैं. यहां वर्चुअल नहीं बल्कि रियलटी पर फोकस किया जाएगा. स्कूल परिसर को बच्चों के मुताबिक डिजाइन किया गया है जहां कक्षाओं में कबूतर, खरगोश होंगे. यहां वर्चुअल की जगह रियल में शिक्षा दी जाएगी.

स्कूल में ऐसे होगी पढ़ाई

प्रोजेक्ट डिजाइनर संजीव दुबे ने बताया कि स्कूल परिसर में बच्चों को क से कबूतर या ख से खरगोश पढ़ाया जाएगा तो उसे किसी तस्वीर या किताब में दिखाने के बजाए हकीकत में कबूतर और खरगोश और चिड़िया दिखाई जाएंगी. स्कूल परिसर में इसके लिए पछियों और जानवरों के बाड़े भी बनाए जा रहे हैं जिसमें इन्हें रखा जाएगा.

350 संस्कृत प्राथमिक स्कूल खोलने की प्लानिंग

बताया जा रहा है कि राजधानी भोपाल में यह पहला प्रयोग है जिसे बेहद अच्छा म भी मिल रहा है. पूरे प्रदेश में इसी तरह के 350 संस्कृत प्राथमिक स्कूल खोलने की प्लानिंग है. वहीं स्कूल की फीस की बात करें तो जिन वर्किंग माता पिता दोनों में से जिसकी भी सैलरी कम होगी उसका दो दिन का वेतन बतौर फीस के तौर पर लिया जाएगा.

यह प्रोजेक्ट महर्षि पतंजलि संस्थान और संस्कृत बोर्ड के सहयोग से शुरू हुआ है. जिसमें कक्षाओं को वैदिक वातावरण देने के साथ ही संस्थान का फोकस संस्कृत, संस्कृति और संस्कारों को मजबूत करने पर होगा. अरुण और उदय में वर्किंग पेरेंट्स के बच्चों को एडमिशन में प्राथमिकता दी जाएगी. ताकि ऐसे माता-पिता अपने बच्चों के व्यवहार और उनमें पनपने वाले संस्कारों को लेकर निश्चिंत रहें.

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