ग्रेनाइड खदान की ब्लास्टिंग से रहवासियों की उड़ी नींद,सुविधा शुल्क के दम पर संचालित हो रहा खदान व क्रेशर
मझौली
सीधी जिले के मझौली विकासखंड के खड़ौरा व करमाई मे संचालित ग्रेनाइड की खदानों मे खुलेआम ब्लास्टिंग की जा रही है जिससे आसपास के रहवासी खतरा महसूस कर रहे हैं किंतु प्रशासन इस पर अंकुश लगाने के लिए आगे नहीं आ पा रहा हैं। संचालित ग्रेनाइड खदान व क्रेसर एक बड़े हादसे को आमंत्रण दे रही हैं वहीं इनसे निकलने वाले डस्ट से पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है। कई ग्राम पंचायतों में खदाने व क्रेसर के द्वारा खनिज अधिनियमो को धता बताते हुए चंद क्षेत्रीय सरहंगों के दम पर संचालित की जा रही हैं जिसमे कुछ क्षेत्रीय नेताओं का राजनैतिक संरक्षण लेकर प्रशासन के नाक के नीचे खनिज अधिनियमो की धज्जिया उड़ाई जा रहीं हैं जिस कारण इन खदानों व क्रेसर के उडने वाले धूल व डस्ट से लोग जहां कई तरह की गंभीर बीमारी व सांस रोगी बन रहे हैं वहीं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है।आए दिन हो रहे ब्लास्टिंग से पूरे समय जान मॉल का खतरा भी बना रहता है ।
अस्पताल से 200 मीटर की दूरी पर संचालित क्रेशर
वहीं खड़ौरा खदान से लगभग 200 मीटर की दूरी पर बने अस्पताल में भी जाने से ग्रामीण कतराते हैं क्योकि ब्लास्टिंग के कारण पत्थर के बड़े-बड़े टुकडे रह वासियों के घरों में गिरते हैं जिससे जान माल का खतरा बना रहता है जबकि विभागों की एनओसी में संसय लगता है ।खनिज संबंधित दस्तावेज तैयार करवाने पर विभागों द्वारा राजस्व व वन विभाग की मंजूरी एनओसी मंगवाई जाती है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इन विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा बिना कोई पड़ताल पूरी किए ही सुविधा शुल्क के दम पर एनओसी जारी कर दी जाती है। जबकि प्रावधान है कि किसी भी बसाहट अथवा स्कूल, अस्पताल जैसे सार्वजनिक संस्थानो से 500 मीटर की दूरी पर उत्खनन कार्य अथवा किसी प्रकार की लीज स्वीकृत न की जाए।
नहीं दी जाती टीपी
सबसे ज्यादा गंभीर बात तो यह है की इन खदानों के बीच में ही क्रेसर का भी संचालन किया जा रहा है जहाँ से लगभग सैकड़ो वाहन रोज गिट्टी लेकर निकलते हैं लेकिन उन्हें खनिज विभाग से अधिकृत या कंप्यूटर से निकली गई पक्की टीपी क्रेसर संचालक द्वारा नहीं दी जाती बल्कि कभी इसका उल्लंघन करते हुए बसाहट और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से महज 30 से 50 मीटर की दूरी पर उत्खनन कार्य व ब्लास्टिंग किया जा रहा है।
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