Lok Sabha Elections 2024:नाना उप प्रधानमंत्री,मां लोकसभा स्पीकर,जानिए कौन हैं कांग्रेस उम्मीदवार अंशुल अविजीत

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Lok Sabha Elections 2024:नाना उप प्रधानमंत्री,मां लोकसभा स्पीकर,जानिए कौन हैं कांग्रेस उम्मीदवार अंशुल अविजीत


नाना उप प्रधानमंत्री,मां लोकसभा स्पीकर,जानिए कौन हैं कांग्रेस उम्मीदवार अंशुल अविजीत



रोहतास. सासाराम के आठ बार सांसद रह चुके देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम के नाती और सासाराम की दो बार सांसद रह चुकी लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अविजीत को इस बार कांग्रेस ने पटना साहिब से उम्मीदवार बनाया है.
ऐसे में अचानक अंशुल अविजीत चर्चा में आ गए है. अंशुल अभिजीत कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता है और कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से इनकी नजदीकी भी रही है. अंशुल की दादी सुमित्रा देवी भी बिहार सरकार के पहली महिला कैबिनेट मंत्री रह ऊंची थी. अंशुल कुशवाहा जाति से आते हैं.

इस बार बाबू जगजीवन नाम के तीसरी पीढ़ी को कांग्रेस में जगह मिली है. बता दें, मीरा कुमार ने इस बार सासाराम संसदीय सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया, जिसके बाद मनोज कुमार को यहां से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाई है. वहीं उनके पुत्र अंशुल अविजीत को कांग्रेस ने पटना साहिब सीट पर उतारा है. जहां उनका मुकाबला भाजपा के राष्ट्रीय स्टार के नेता रविशंकर प्रसाद से होगा. ऐसे में पटना साहिब सीट भी इस बार दिलचस्प होने जा रही है.


क्या राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे अंशुल?

अंशुल अविजित को राजनीति विरासत में मिली है. उनके नाना भारत के उप प्रधानमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा जगजीवन राम सासाराम से आठ बार सांसद चुने गए हैं. उनकी मां मीरा कुमार भी यहां से दो बार सांसद रह चुकी है. इस बार जैसे ही मीरा कुमार ने सासाराम संसदीय सीट से चुनाव लड़ने से इनकार किया. उसके बाद सही या चर्चा शुरू हो गया था कि वह अपने पुत्र को मैदान में उतरना चाहती है अब जबकि अंशुल अभिजीत पटना साहिब से उम्मीदवार बनाए गए हैं ऐसे में उन्हें अपने पुराने राजनीतिक विरासत का कितना लाभ मिल पाता है यह 4 जून को ही पता चलेगी.

देश के पहले लोकसभा चुनाव जब 1952 में हुए थे, उसके बाद से ही उनके नाना जगजीवन राम सासाराम के लगातार सांसद रहे. जगजीवन राम अंशुल अभिजीत के नाना थे 6 जुलाई 1986 को जब जगजीवन राम का निधन हो गया तो उसके बाद जब 3 साल के उपरांत सन 1989 में लोकसभा चुनाव हुआ तो मीरा कुमार यहां से चुनाव लड़ने के लिए आई. लेकिन, छेदी पासवान से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. बाद में लंबे अंतराल के बाद वर्ष 2005 के लोकसभा चुनाव में मीरा कुमार ने जीत दर्ज की और 10 सालों तक सासाराम का नेतृत्व किया. इस दौरान भी अंशुल अभिजीत अपनी माता मीरा कुमार के साथ आते जाते दिख जाते थे. बताया जाता है कि अपनी मां के साथ रहकर उन्होंने राजनीतिक बारीकियां सीखी है और यही कारण है कि कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद भी दिया है.

अंशुल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से की है पीएचडी

अंशुल अभिजीत कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता है और उन्हें बचपन से ही राजनीति विरासत में मिली है. वह कभी अपनी माता मीरा कुमार के साए से अलग नहीं हो सके हैं. जब भी वे बिहार दौरे पर आए हैं तो अपने मां मीरा कुमार के साथ ही आते रहे हैं. लेकिन, अब वह पहली बार प्रत्याशी बनाए गए हैं. ऐसे में यह देखना होगा कि पटना साहिब की जनता उन्हें कितना अपना पाती है. चुकी सासाराम संसदीय सीट से तो इनका पारिवारिक नाता रहा है. बचपन से ही वे सासाराम आते-जाते रहे हैं. लेकिन पटना साहिब से वह कितना जुड़ पाते हैं, यह चुनाव प्रचार के दौरान ही दिख पाएगा. चुकी राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में उनकी कोई खास सक्रियता नहीं देखी है. लेकिन जब भी उनका बयान आता है तो एक साधे हुए वक्ता की तरह बोलते हैं. साथ ही उनके बयानों में सुचितापूर्ण राजनीति की झलक दिखती है.

क्या पुस्तैनी विरासत को बढ़ा पाएंगे आगे?

देश के पहले लोकसभा चुनाव जब 1952 में हुए थे, उसके बाद से ही उनके नाना जगजीवन राम सासाराम के लगातार सांसद रहे. जगजीवन राम अंशुल अभिजीत के नाना थे 6 जुलाई 1986 को जब जगजीवन राम का निधन हो गया तो उसके बाद जब 3 साल के उपरांत सन 1989 में लोकसभा चुनाव हुआ तो मीरा कुमार यहां से चुनाव लड़ने के लिए आई. लेकिन, छेदी पासवान से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. बाद में लंबे अंतराल के बाद वर्ष 2005 के लोकसभा चुनाव में मीरा कुमार ने जीत दर्ज की और 10 सालों तक सासाराम का नेतृत्व किया. इस दौरान भी अंशुल अभिजीत अपनी माता मीरा कुमार के साथ आते जाते दिख जाते थे. बताया जाता है कि अपनी मां के साथ रहकर उन्होंने राजनीतिक बारीकियां सीखी है और यही कारण है कि कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद भी दिया है.

अंशुल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से की है पीएचडी

अंशुल अभिजीत काफी पढ़े लिखे हैं. राजनीति शास्त्र के साथ इतिहास और भारतीय राजनीति पर उनकी जानकारी काफी अच्छी है. इन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पीएचडी और एम फिल की पढ़ाई पूरी की है. साथ ही इनके पास कई अलग विश्वविद्यालय की डिग्रियां भी है. बता दें, अंशुल अभिजीत के पिता मंजुल कुमार सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रह चुके हैं तथा उनकी मां मीरा कुमार भी भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी रह चुकी हैं. ऐसे में बचपन से ही उनके घर में पढ़ाई लिखाई का माहौल रहा है. चुकी उनकी माता मीरा कुमार अनुसूचित जाति से थी है, जबकि उनके पिता कुशवाहा जाति से हैं. ऐसे में कुशवाहा जाति के वोटर में भी यह अपना पकड़ मानते हैं.

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