Board Exam Result:बाल विवाह से बचकर भागी लड़की 12 वीं परीक्षा में किया टॉप,जानिए क्या बोली
आज के समय में अगर हम बाल विवाह की बात करते हैं तो हमें हैरानी होती है। लेकिन हमारे भारत में कई ऐसे इलाके हैं जहां बाल विवाह आज भी कराया जाता है। बाल विवाह बालक और बालिका दोनों की ही प्रतिभा और विकास को मार देता है।
एक ऐसी ही कहानी है एक बालिका की है जिसने बाल विवाह के सामने अपने घुटने नहीं टेके वे लड़ी, उसने न केवल शिक्षा हासिल की बल्कि उसने प्रथम वर्ष की इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षाओं में टॉप किया और समाज के आगे मिसाल भी कायम की।
परिक्षा में किया टॉप
आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिले के पेद्दा हरिवनम की रहने वाली एस निर्मला ने 440 में से 421 अंक (95.7%) हासिल किए। इससे पहले भी वे 10वीं की परीक्षा में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा चुकीं हैं। उन्होंने दसवीं कक्षा में 600 में से 537 अंकों (89.5%) हासिल किए हैं।
ये है एस निर्मला की कहानी
एस निर्मला के माता-पिता के चाहते थे कि निर्मला की शादी करा दें। लेकिन निर्मला शादी नहीं करना चाहतीं थी। उन्हें आगे पढ़ना था। जिस उम्र में उनके माता-पिता उनकी शादी करवाना चाहते थे उसे शादी नहीं बाल विवाह के नाम से जाना जाता है। निर्मला के घर वालों ने निर्मला को बहुत समझाया, घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है वे उनकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाएंगे। इन सभी बातों को निर्मल को समझाया और विवाह के लिए कहा। इसी के साथ ही निर्मला जहां रहतीं है वहां पास में कोई जूनियर कॉलेज नहीं है। उन्हें शिक्षा लेने के लिए लंबी दूरी का सफर करना पड़ेगा। लेकिन निर्मल ने हार नहीं मानी। ये सब विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी शिक्षा पाने का हौसला रखा और पढ़ाई जारी रखी।
बहनों की हो गई थी शादी
निर्मल के परिजनों ने निर्मल से पहले उनकी 3 बहनों की शादी करवा दी थी और अब बारी थी निर्मल की, लेकिन उन्होंने शादी से इनकार कर दिया। जैसा परिजनों ने 3 बेटियों के साथ निर्मल की शादी का ख्वाब देखा था वो हो न सका। उनके समझाने के बाद भी निर्मल शादी के लिए तैयार नहीं हुई।
निर्मला ने ली स्थानीय विधायक की मदद
जीवन में अपने शैक्षिक लक्ष्यों को हासिल करने पर अड़ी निर्मला बाल विवाह के जाल से बचने के लिए आउटरीच कार्यक्रम के दौरान स्थानीय विधायक वाई साईप्रसाद रेड्डी से मदद ली। लड़की की दुर्दशा से प्रभावित होकर, विधायक ने कलेक्टर जी सृजना को सूचित किया, जिन्होंने हस्तक्षेप किया और सबसे पहले निर्मला को आसन्न बाल विवाह से बचाया। बाद में जिला प्रशासन ने उसे असपारी स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में दाखिला दिला दिया। निर्मला ने इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉप करने के अवसर को नहीं छोड़ा खूब मेहनत की ।
निर्मला का ये सपना
निर्मला ने कहा कि वह एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहती है और बाल विवाह उन्मूलन की दिशा में काम करना चाहती है तथा अपने जैसी लड़कियों को उनके सपनों को पूरा करने में मदद करना चाहती है।
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