Mukhtar Ansari:क्रिकेट खेल से लेकर राजनीति तक, 5 बार रहे विधायक,जेल से जीत था चुनाव,मुख्तार अंसारी का अपराधनामा

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Mukhtar Ansari:क्रिकेट खेल से लेकर राजनीति तक, 5 बार रहे विधायक,जेल से जीत था चुनाव,मुख्तार अंसारी का अपराधनामा



Mukhtar Ansari:क्रिकेट खेल से लेकर राजनीति तक, 5 बार रहे विधायक,जेल से जीत था चुनाव,मुख्तार अंसारी का अपराधनामा



Mukhtar Ansari News Today:
 गाजीपुर के पीजी कॉलेज से स्नातक का छात्र रहा मुख्तार अंसारी की गिनती कभी क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ियों में हुआ करती थी। मनबढ़ मुख्तार अंसारी को गलत संगत ने जरायम जगत की गंदी राह की ओर धकेल दिया।

बाहुबल से बनाई गई सियासी जमीन पर मुख्तार लगातार पांच बार विधायक चुना गया। तकरीबन 18 साल छह माह जेल में रहने के बाद सलाखों के पीछे ही बृहस्पतिवार की रात मुख्तार अंसारी की मौत हो गई।

मुख्तार अंसारी का जन्म 20 जून 1963 को नगर पालिका परिषद मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ था। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी के सहयोगी रहते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। नाना बिग्रेडियर उस्मान आर्मी में थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार अंसारी के रिश्ते के चाचा हैं।

एक अच्छा क्रिकेटर रहा मनबढ़ किस्म का मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गिरोह से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर जरायम जगत की बारीकियों को समझा और धीरे-धीरे खुद का अपना गैंग खड़ा कर माफिया सरगना बन गया। वर्ष 1997 में मुख्तार अंसारी का अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) पुलिस डोजियर में दर्ज किया गया। 25 अक्तूबर 2005 को मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे गया तो फिर बाहर नहीं निकल पाया। इस बीच वर्ष 1996 से 2022 तक वह मऊ सदर विधानसभा से पांच बार लगातार विधायक चुना गया।


 रोपड़ जेल से लाने सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची थी यूपी सरकार:-


मुख्तार पर जनवरी, 2019 को मोहाली के एक बिल्डर की शिकायत पर पुलिस ने अंसारी के खिलाफ 10 करोड़ की रंगदारी मांगने का केस दर्ज किया गया था। मोहाली पुलिस मुख्तार अंसारी को प्रोडक्शन वारंट पर उत्तर प्रदेश से मोहाली लाई थी। उसे न्यायिक हिरासत में रोपड़ जेल भेज दिया गया था। वह 26 महीने तक रोपड़ जेल में रहा। दो साल में उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम आठ बार अंसारी को लेने पंजाब गई, लेकिन हर बार सेहत, सुरक्षा और कोरोना का कारण बताकर पंजाब पुलिस ने सौंपने से इनकार कर दिया। कानपुर में बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अंसारी ने भी जान का खतरा बताया था। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया था कि पंजाब में उसे जेल में सुविधाएं दी जा रही हैं। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे यूपी की बांदा जेल में िशफ्ट किया गया था।

2021 में मुख्तार को बांदा जेल में शिफ्ट किया गया। जेल में उस पर 24 घंटे सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जाती। रिश्तेदारों से मिलने पर रोक लगा दी गई। सख्ती इतनी थी कि जेल में मुख्तार पर नरमी बरतने वाले डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह को सस्पेंड किया जा चुका है।

गाजीपुर में घर के बाहर नारेबाजी


मुख्तार की तबीयत खराब की खबर लगते ही बड़ी संख्या में लोग गाजीपुर में उसके घर के बाहर इकट्ठे हो गए। जिसके बाद पुलिस पहुंची और समझाने का प्रयास किया तो समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। लोगों का कहना था कि जब तक घर से कोई सदस्य आकर कुछ नहीं बताएगा, वे नहीं जाएंगे। रात करीब 11.30 बजे डीएम आर्यका अखौरी एवं एसपी ओमवीर सिंह भी उनके पैतृक आवास पर पहुंच गए। जहां मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व विधायक शिबगतुल्लाह अंसारी और भतीजे सोहेब अंसारी से बातचीत की। इसके बाद करीब दस मिनट बाद वह एसपी उनके साथ बाहर आए। शिबगतुल्लाह अंसारी और भतीजे सोहेब अंसारी ने लोगों को समझाते हुए कहा कि अब जो होगा कल होगा। आप सभी घर जाइए, लेकिन समर्थक जाने को तैयार नहीं थे। काफी समझाने के बाद वे वापस लौटे।

तीन बार जेल में रहते जीता चुनाव



मुख्तार पहली बार मऊ सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचा था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दल विधायक बना। फिर, कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाया और 2012 का विधानसभा चुनाव जीता। वर्ष 2017 में मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव जीता। विधानसभा के आखिरी तीन चुनाव वह जेल में रहते हुए जीता।

 मछलियां खाने के लिए जेल में खुदवा दिया था तालाब:


यूपी की जेलों में मुख्तार के रुआब का एक नमूना गाजीपुर जेल का किस्सा है। 2005 में मऊ में हिंसा भड़कने के बाद मुख्तार अंसारी ने सरेंडर किया था। उसे गाजीपुर जेल में रखा गया। मुख्तार तब विधायक था। मुख्तार की जेल में होने वाली अदालत में पूर्वांचल से लेकर बिहार तक के रेलवे, स्क्रैप, कोयला, रेशम आदि के ठेके-पट्टों का फैसला होता था। मोबाइल का इस्तेमाल करना कोई हैरानी की बात नहीं थी। उसने पूर्वांचल के कई जिलों में गैरकानूनी तरीके से आंध्र प्रदेश से मछली मंगवा कर बेचने का बड़ा कारोबार भी स्थापित कर लिया था। गाजीपुर में सरकारी जमीन पर कब्जा करके वेयरहाउस और होटल बनवाए थे। सपा सरकार में तो वह लंबे वक्त तक केजीएमयू में इलाज कराने के बहाने लखनऊ में टिका रहा। कहा जाता है कि उसने ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा दिया था। राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस बात को माना था।

कृष्णानंद राय हत्याकांड जिसके बाद मुख्तार का बुरा वक्त शुरू हुआ


मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से 1985 से 1996 तक लगातार 5 बार चुनाव जीता था। 2002 के चुनाव में भाजपा के कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा दिया। तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। कृष्णानंद एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे।

कहा जाता कि लौटते वक्त शूटर्स ने कृष्णानंद राय की कार को घेरकर एके-47 से 500 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं। कृष्णानंद और उनके साथ मौजूद 6 लोग मारे गए। मुख्तार उस वक्त जेल में था, इसके बावजूद उसे इस हत्याकांड में नामजद किया गया।

हथियारों के शौकीन मुख्तार का अचूक था निशाना:


हथियारों के शौकीन मुख्तार का निशाना अचूक था। उसने अपने बेटे अब्बास अंसारी को पंजाब कनेक्शन का फायदा उठाकर अंतरराष्ट्रीय शूटर बनाने में सफलता भी हासिल कर ली थी, हालांकि अनुमति के बिना अधिक संख्या में प्रतिबंधित असलहे खरीदने के मामले में एसटीएफ ने अब्बास पर कानूनी शिकंजा भी कसा गया। पंजाब से मुख्तार को अत्याधुनिक हथियार भी मिलते रहे। मुख्तार ने ही अपने करीबी लखनऊ निवासी जुगनू वालिया को भी पंजाब में पनाह दिलाई थी। वर्ष 2004 में मुख्तार पर सेना से चोरी हुई मशीन गन (एलएमजी) खरीदने का आरोप लगा, जिसने सूबे की सियासत में हड़कंप मचा दिया। मुख्तार पर कानूनी शिकंजा कस रहे एसटीएफ के तत्कालीन डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह को इसका खुलासा करने की कीमत चुकानी पड़ी और अत्याधिक दबाव पड़ने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस मामले में मुख्तार पर पोटा लगाया गया था, जो उस दौर का सबसे सख्त कानून था। इस मशीन गन का इस्तेमाल विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के लिए होना था, जिसके लिए मुख्तार एक करोड़ रुपये दिए थे। एसटीएफ ने 25 जनवरी 2004 को वाराणसी के चौबेपुर इलाके में छापा मारकर एलएमजी बेचने आए बाबूलाल यादव और मुन्नर यादव को गिरफ्तार किया था। उनके पास से एलएमजी और दो सौ कारतूस बरामद हुए थे।

08 बार हुई सजा 18 महीने में मुख्तार को

21 सितंबर 2022: मारपीट, धमकाने सहित अन्य आरोपों में लखनऊ के आलमबाग थाने में दर्ज मुकदमे में सात वर्ष की कठोर कारावास की सजा। 37 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया।
23 सितंबर 2022: लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट में पांच वर्ष की कठोर कारावास की सजा। 50 हजार रुपये जुर्माना।
15 दिसंबर 2022: गाजीपुर के कोतवाली थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष की सजा। 5 लाख रुपये जुर्माना।
29 अप्रैल 2023: गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष की सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये जुर्माना।
5 जून 2023: वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज हत्या मामले में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा। 1 लाख रुपये जुर्माना।
27 अक्तूबर 2023: गाजीपुर के करंडा थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में मुख्तार अंसारी को 10 वर्ष की कठोर कारावास की सजा। पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया।
15 दिसंबर 2023: वाराणसी के भेलूपुर थाने में दर्ज धमकाने के मामले में 5 वर्ष 6 माह की कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना।
13 मार्च 2024: धोखाधड़ी, कूटरचना व आपराधिक साजिश और आयुध अधिनियम के तहत उम्रकैद की सजा। 2.02 लाख रुपये जुर्माना।
2005 के बाद जेल से नहीं निकल सका
अक्तूबर 2005 में मऊ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान दंगे भड़के और मुख्तार को जेल जाना पड़ा। इसके बाद 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई और फिर बदलती सरकारों के साथ जेलें भी बदलती रहीं, लेकिन मुख्तार अंसारी बाहर नहीं आ सका।



हत्या और वसूली के 65 केस दर्ज, फिर भी बना था विधायक

बतादें मुख्‍तार अंसारी (Mukhtar Ansari death) के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मामले दर्ज थे, फिर भी वह विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर 5 बार विधायक चुना गया। साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को और अपने गिरोह को स्थापित करने के लिए अपराध की दुनिया में प्रवेश किया।


अपराध के बढे कद ने अंसारी को राजनीति में दिक्कत नहीं आने दी

अगले एक दशक में वह अपराध की दुनिया में कदम जमा चुका था और उसके खिलाफ जघन्य अपराध के तहत कम से कम 14 और मामले दर्ज हो चुके थे। हालांकि अपराध में बढ़ता अंसारी का कद राजनीति में उसके प्रवेश में बाधा नहीं बना।

अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा।

साल 2012 में अंसारी ने कौमी एकता दल (क्यूईडी) बनाया और मऊ से फिर से जीत हासिल की। 2017 में उन्होंने फिर से मऊ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2022 में मुख्तार ने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए सीट खाली कर दी, जो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट से जीते। वह पिछले 19 सालों से उत्तर प्रदेश और पंजाब की विभिन्न जेलों में बंद रहा।
साल 2005 से जेल में रहते हुए उसके खिलाफ हत्या और गैंगस्टर अधिनियम के तहत 28 मामले दर्ज थे और सितंबर 2022 से आठ आपराधिक मामलों में उसे दोषी ठहराया गया था। फिलहाल मुख्तार अंसारी पर विभिन्न अदालतों में 21 मुकदमे लंबित थे।


कृष्णानंद राय हत्याकांड


माफिया मुख्तार अंसारी पर कृष्णानंद राय और अवधेश राय की हत्या का आरोप लगा था. हालांकि, मुख्तार अंसारी, कृष्णानंद राय हत्याकांड में बरी हो गया लेकिन अवधेश राय मर्डर केस में उम्रकैद की सजा मिल गई. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है. मुख्तार अंसारी की मौत पर कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने कहा कि ये फैसला भगवान ने अपनी अदालत में किया है.

हत्या करने के लिए चलीं 500 राउंड गोलियां

दरअसल, मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच उस वक्त दुश्मनी बढ़ गई जब साल 2002 विधानसभा चुनाव में कृष्णानंद राय ने अंसारी बंधुओं के प्रभाव वाली मोहम्मदाबाद सीट से अफजाल अंसारी को हरा दिया. इस हार को मुख्तार अंसारी हजम नहीं कर पाया और उन्होंने कृष्णानंद राय को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया था. फिर 29 नवंबर 2005 को उस वक्त यूपी थर्रा गया जब कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के दौरान करीब 500 राउंड गोलियां चलाई गई थीं. इस मामले में मुख्तार को सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया था.


अवधेश राय हत्याकांड

वाराणसी से कांग्रेस उम्मीदवार और यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या 3 अगस्त 1991 को कर दी गई थी. ये घटना तब हुई थी जब अवधेश राय भाई अजय राय के साथ अपने घर के बाहर खड़े होकर बातचीत कर रहे थे. तभी तेज रफ्तार से एक वैन वहां आती है और उसमें सवार लोग अवधेश राय पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर देते हैं. हत्याकांड के बाद अजय राय ने एफआईआर दर्ज कराई और आरोप मुख्तार अंसारी पर लगाया.

अवधेश राय को क्यों मारा गया?

कहा जाता है कि अवधेश राय और मुख्तार अंसारी में दुश्मनी चंदासी कोयला मंडी में वसूली को लेकर थी. मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गे कोयला मंडी में वसूली करते थे, लेकिन अवधेश राय इसमें रोड़ा बने थे. अवधेश राय, मुख्तार अंसारी के कट्टर दुश्मन बृजेश सिंह के साथी थे. फिर वर्चस्व कायम करने के लिए अवधेश राय को रास्ते से हटा दिया गया.

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