खट्टर का CM पद से इस्तीफा, नायब
सिंह बने नए CM, BJP मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से क्यों हटाया ? जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी
Nayab Singh Saini New CM : नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के सीएम पद की शपथ ली.
शपथ लेने से पहले नायब सिंह सैनी ने मनोहर लाल खट्टर का पैर छूकर आशीर्वाद लिया.
दिलचस्प बात ये रही कि जेजेपी के भी चार विधायक देवेंद्र बबली, ईश्वर सिंह, जोगीराम और राम निवास शपथ ग्रहण
कार्यक्रम में शामिल हुए.
वहीं, अनिल विज इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बने.
उन्होंने पार्टी आलाकमान से साफ कह दिया है कि वो अपने जूनियर के साथ काम नहीं कर
सकते हैं.
नायब सिंह सैनी को
मंगलवार (12 मार्च) को विधायक दल का नेता चुना गया. बाद में उन्होंने राज्यपाल से
मुलाकत कर सरकार बनाने का दावा पेश किया. बीजेपी ने मंगलवार को हरियाणा में अपने
फैसले से सबको चौंका दिया. मनोहर लाल खट्टर सहित सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया.
इस तरह से राज्य में जेजेपी के साथ बीजेपी का गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले टूट
गया.
JJP ने मांगी थीं
एक से दो सीटें
अरविंद भारद्वाज ने
कहा कि उनकी पार्टी हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीट और 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव
लड़ेगी. बीजेपी के साथ गठबंधन पर भारद्वाज ने कहा कि इस बारे में पार्टी जल्द ही
स्टेटमेंट जारी करेगी. इससे पहले सोमवार देर रात हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत
चौटाला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा
से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने एक से दो सीटें मांगी थी.
विधायकों को बुलाया
था फार्म हाउस
सूत्रों के अनुसार
बीजेपी अलाकमान ने दुष्यंत चौटाला को कहा था कि जो गठबंधन का आगे विचार होगा,
उससे अवगत कराया जाएगा. इसके बाद चंडीगढ़ में बीजेपी
विधायकों के साथ निर्दलीयों विधायकों की बैठक बुलाई गई,
उसमें गठबंधन में शामिल रही जेजेपी विधायकों को नहीं बुलाया
गया. ऐसे में जेजेपी ने अपने विधायकों की दिल्ली के फार्म हाउस पर बुला लिया था.
निर्दलीयों का
बीजेपी को समर्थन
हरियाणा में
निर्दलीयों की संख्या छह है. हरियाणा के निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा ने खट्टर के
इस्तीफे से पहले कहा था कि हमने सीएम खट्टर से मुलाकात की है. हमारे हिसाब से
गठबंधन टूट गया है. पहले भी JJP की कोई जरूरत नहीं थी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी 10 में से
10 सीटें जीतेगी. इस दौरान एक और निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह गोलान ने भी कहा कि
हमें सीएम ने बुलाया था. उन्होंने नए तरीके से समर्थन मांगा है. हमारा समर्थन लेटर
गवर्नर को सौंपा जाएगा.
हरियाणा विधानसभा का
गणित
हरियाणा में
विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं. इन 90 सीटों में से 41 बीजेपी के पास हैं. वहीं 30
सीटें कांग्रेस, 10 सीटें इंडियन
नेशनल लोकदल, एक हरियाणा लोकहित
पार्टी और 6 निर्दलीय हैं. हरियाणा में बहुमत के लिए 46 विधायक चाहिए. हरियाणा में
बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी. उस
चुनाव में बीजेपी को 41 जबकि जेजेपी को 10 सीटें मिली थीं. हरियाणा में इसी साल
विधानसभा चुनाव भी होने हैं. लोकसभा चुनाव के बाद अक्टूबर-नवंबर में यहां विधानसभा
चुनाव हो सकते हैं.
JJP के समर्थन से बनी थी
सरकार
90 सीटों वाली
विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है. पिछले चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं
मिला था. 41 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. इसके बाद दुष्यंत
चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के समर्थन से सरकार बनी थी. इस सरकार में
मनोहर लाल खट्टर सीएम और दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बनाए गए थे. लगभग 4 साल तक
गठबंधन में सरकार चलाने के बाद अब दोनों पार्टियां अलग-अलग हो गई हैं.
कौन हैं नायब सिंह सैनी? Who is Nayab saini
पिछले लोकसभा चुनाव में
नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से बीजेपी के सांसद चुने गए थे. हरियाणा बीजेपी के
अध्यक्ष हैं. ओबीसी समाज से ताल्लुक रखते हैं. उन्हें मनोहर लाल खट्टर का बेहद
करीबी माना जाता है. सूत्रों के मुताबिक, मनोहर लाल खट्टर
की समहति से ही नायब सिंह सैनी का नाम तय किया गया है.
बीजेपी ने अचानक मनोहर
लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से क्यों हटाया? क्या है इनसाइड
स्टोरी
बीजेपी नेतृत्व ने ओबीसी
चेहरा नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंपी है। हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का
गठबंधन टूट गया है, लेकिन फिर भी निर्दलीयों के साथ बीजेपी को
राज्य में बहुमत हासिल है। खट्टर को अचानक से मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद
यह सवाल उठने लगा है कि आखिर बीजेपी ने ऐसा क्यों किया? क्या एंटी-इनकमबेंसी को कम करने की चाल है या फिर कोई और वजह?
दो बार से सीएम थे खट्टर
आरएसएस के बैकग्राउंड से
आने वाले मनोहर लाल खट्टर को बीजेपी ने साल 2014 में हरियाणा का
मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद जब 2019 के विधानसभा चुनाव में
बीजेपी और जेजेपी की सरकार बनी तो फिर से खट्टर दूसरी बार राज्य के सीएम बने।
हालांकि, इस बीच किसान आंदोलन से लेकर तमाम अन्य मुद्दों की वजह से
खट्टर सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी बनने लगी थी। खट्टर नौ साल से ज्यादा समय तक
हरियाणा के सीएम रहे। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी लीडरशिप
ने कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में एंटी-इनकमबेंसी को दूर करने के लिए
खट्टर को नए चेहरे से बदलने पर विचार किया। बीजेपी ने ऐसा ही कदम गुजरात और
उत्तराखंड में भी उठाया था, जहां उसे बाद में चुनाव
में सफलता भी मिली। बीजेपी 2021 में गुजरात के तत्कालीन
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत की जगह नया चेहरा देकर
चुनाव में उतरी थी और दोनों ही जगह फिर से सरकार बनाने में कामयाब रही थी। हरियाणा
पिछले कुछ सालों में जाट आंदोलन, किसान आंदोलन, राम रहीम की गिरफ्तारी के दौरान हुई हिंसा समेत कई मुद्दों के दौरान सुर्खियों
में रहा, जिसने खट्टर की छवि पर भी असर डाला।
लोकसभा सीटें मांग रही थी
जेजेपी, कर दिया काम 'तमाम'
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिलने
की वजह से राज्य में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) ने बीजेपी को समर्थन दिया, जिसके बाद दुष्यंत चौटाला
डिप्टी सीएम बनाए गए। पिछले कुछ समय से बीजेपी और जेजेपी के बीच रिश्ते अच्छे नहीं
रह गए थे। इसके पीछे एक वजह जेजेपी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए दो सीटों की मांग
भी थी। दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली में सोमवार को बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा से
मुलाकात भी की थी। जेजेपी को भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार की लोकसभा सीट देने की
मांग की गई, जिसे बीजेपी ने ठुकरा दिया। दरअसल, बीजेपी का तर्क है कि पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी दस सीटों पर
उन्हें जीत मिली। ऐसे में कैसे जेजेपी को दो सीटें दे दी जाएं। इसके अलावा, कुछ समय पहले भी जेजेपी हरियाणा की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात करती
आई थी। बीजेपी हरियाणा के प्रभारी बिप्लब देब और दुष्यंत चौटाला के बीच भी तकरार
किसी से छिपी हुई नहीं है। बीजेपी से अलग होने के बीच दुष्यंत चौटाला को बड़ा झटका
भी लगा। दरअसल, चौटाला की मंगलवार को बुलाई गई बैठक से पांच विधायक गायब
रहे। ऐसे में पार्टी में संभावित टूट की भी अटकलें लगने लगी हैं।
जाट और गैर जाट के जरिए
बीजेपी की चाल!
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 41 विधायक हैं। उसे सात में से कुल छह निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है।
वहीं, गोपाल कांडा ने भी बीजेपी का समर्थन किया है। इस तरह से
भाजपा सरकार को हरियाणा में बिना जेजेपी भी कोई खतरा नहीं है। राज्य में कांग्रेस
के पास 30, जेजेपी के पास दस विधायक हैं। नायब सैनी को सीएम बनाकर
दरअसल बीजेपी ने जाट और गैर जाट की चाल चली है। हरियाणा में सबसे ज्यादा 27 फीसदी जाट वोटर्स हैं। आमतौर पर प्रदेश में जाट कांग्रेस, जेजेपी और आईएनएलडी को वोट करते रहे हैं। बीजेपी ने ओबीसी चेहरे नायब सिंह
सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर इसकी तोड़ निकाली है। बीजेपी को उम्मीद है कि जाट
वोटर्स भले ही तीन हिस्सों में बंट जाए, लेकिन ओबीसी
मुख्यमंत्री देकर गैर जाट वोट उसके ही हिस्से में आएगा। ऐसे में आगामी लोकसभा और
फिर विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका फायदा हो सकता है। वहीं, ओबीसी सीएम बनाकर पार्टी लोकसभा चुनावों के लिए अन्य राज्यों में भी ओबीसी
वोटबैंक को मैसेज दिया है।
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