भोपाल
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। उन्होंने शनिवार को अपना छिंदवाड़ा दौरा निरस्त किया और भोपाल होकर दिल्ली के लिए रवाना हुए। उनके साथ उनके सांसद बेटे नकुलनाथ भी दिल्ली जा रहे हैं। इस दौरे को लेकर प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। दिल्ली में शनिवार से भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू हो रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत प्रदेश भाजपा के कई बड़े नेता दिल्ली में हैं।
दिल्ली में अटकलों पर मीडिया के सवालों पर कमलनाथ बोले कि 'जब कोई बात होगी, तब बताऊंगा। जो चल रहा है उससे एक्साइटेड नहीं हूं।' हालांकि, उन्होंने न तो भाजपा में शामिल होने की बात से इनकार किया और न ही इकरार। इससे सस्पेंस और गहरा गया है। कमलनाथ के साथ उनके कई समर्थक विधायक कांग्रेस छोड़ सकते हैं। इसके साथ ही कम से कम दस बड़े नेता, जिनमें दो पूर्व मंत्री भी शामिल हैं, कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
जीतू पटवारी ने कहा कि फोन पर बात हो गई है :
कमलनाथ (Kamal Nath) के बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने मीडिया से बात की और इस खबर का खंडन किया. जीतू पटवारी ने कहा कि उन्होंने कमलनाथ से फोन पर बात की है. पटवारी ने कहा कि लगातार दो दिन से मीडिया में कमलनाथ के बारे में जो चल रही है हमलोग भी देख रहे हैं. जो खबरें चल रही हैं वो निराधार हैं. कमलनाथ, इंदिरा गांधी के समय से कांग्रेस में हैं. वह सपने में भी कांग्रेस छोड़ने के बारे में नहीं सोच सकते. वह इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे की तरह हैं.
जीतू पटवारी ने कमलनाथ के बीजेपी में जाने को अफवाह करार दिया. जीतू पटवारी ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, ''संजय गांधी और कमलनाथ जी की कैमस्ट्री को सब ने देखा है. कमलनाथ जब चुनाव लड़े तब इंदिरा गांधी ने उन्हें तीसरे बेटे के रूप में मिलाया. मुझे याद है जब सिंधिया जी ने कांग्रेस की सरकार गिराई थी तब भी कांग्रेस कार्यकता कमलनाथ जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे. कोई सपने में सोच सकता है कि इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा कांग्रेस छोड़ सकता है. विधानसभा उनके नेतृत्व में लड़ा गया. कोई भी नहीं सोच सकता कि वो कांग्रेस छोड़ सकते हैं. ''
Kamal Nath To Join BJP:
बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ दिल्ली पहुंचे हैं. जैसे ही कमलनाथ दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे मीडिया के कैमरों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया. मीडिया ने कमलनाथ से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनके साथ मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने बीच में ही रोक दिया.
इस बीच कमलनाथ ने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों पर कहा कि अगर ऐसी कोई बात होगी तो सबसे पहले आपको बताऊंगा. अटकलें लगाई जा रही है कि कमलनाथ और छिंदवाड़ा से सांसद उनके बेटे नकुलनाथ Loksabha से पहले कांग्रेस को झटका दे सकते हैं.
करीबी विधायक का दावा
कमलनाथ के करीबी विधायक ने दावा किया कि 19 फरवरी को कमलनाथ, बेटे नकुलनाथ के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. कमलनाथ साथ 10 से 12 विधायक, 2 नगर अध्यक्ष और एक मेयर भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
सूत्रों की मानें तो शुक्रवार रात को कमलनाथ ने शिकारपुर स्थिति अपने आवास पर कांग्रेस नेताओं के साथ सीक्रेट मीटिंग की थी। इस मीटिंग में कांग्रेस के गिने-चुने बड़े नेता ही शामिल थे। बैतूल और जबलपुर के अलावा बालाघाट से भी कुछ कांग्रेस नेता यहां पहुंचे थे। पूर्व सीएम कमलनाथ ने सभी नेताओं से चर्चा की और फिर छिंदवाड़ा दौरे को रद्द कर दिल्ली जाने का प्लान बनाया।
शुक्रवार को पूर्व सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में गोविंद राय, विश्वनाथ ओकटे, दीपक सक्सेना और सुनील जायसवाल के अलावा अरुणोदय चौबे और रामू टेकाम के साथ चर्चा की थी। इन नेताओं की बैठक के बाद बड़ा फैसला लेने के संकेत मिल रहे हैं। कमलनाथ ने भी बीजेपी में शामिल होने की खबरों से इंकार नहीं किया है।
10-12 विधायक छोड़ सकते हैं कांग्रेस का साथ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कमलनाथ के साथ कांग्रेस के 10 से 12 विधायक भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि यह अटकलें केवल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हैं। कमलनाथ के कई समर्थक नेताओं ने अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल में भी बदलाव किया है। बताया जा रहा है कि कमलनाथ के समर्थन में छिंदवाड़ा जिले के सभी विधायक आ सकते हैं।
कमलनाथ के कांग्रेस से नाराज होने के पांच कारण
1. विधानसभा की हार का ठीकराः
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। प्रदेश की 230 में से भाजपा ने 163, कांग्रेस ने 66 और भारत आदिवासी पार्टी ने एक सीट जीती थी। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार का ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ दिया। उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया। अन्य नेताओं ने भी उन्हें अलग-थलग कर दिया।
2. अचानक अध्यक्ष पद से हटायाः
विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने एकाएक अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया। राहुल गांधी के करीबी रहे जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की बागड़ोर सौंपी गई। न तो कमलनाथ से रायशुमारी हुई और न ही उन्हें बताया गया और अचानक उन्हें बदलने का फरमान जारी हो गया। इससे भी कमलनाथ आहत हुए थे। भले ही सार्वजनिक मंच पर उन्होंने इसे छिपाया, लेकिन नाराजगी नहीं छिपा सके।
3. केंद्र की राजनीति करना चाहते थेः
कमलनाथ की सक्रियता हमेशा से केंद्रीय राजनीति में रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उन्हें मध्य प्रदेश में भेजा गया था। जब सरकार चली गई तो लगा कि उन्हें फिर से दिल्ली बुला लिया जाएगा। इसके विपरीत पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश में ही उलझाए रखा। 2023 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद कमलनाथ फिर दिल्ली जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी नहीं सुनी।
4. राज्यसभा टिकट नहीं मिलाः
कमलनाथ राज्यसभा का चुनाव लड़कर केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बनना चाहते थे। उन्होंने कांग्रेस विधायकों के लिए एक डिनर भी रखा था। तब पार्टी ने मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए सोनिया गांधी को चुनाव लड़ने का आग्रह किया। जब सोनिया गांधी ने राजस्थान को चुना तो दिग्विजय सिंह के समर्थक अशोक सिंह को राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया गया। यह पूर्व मुख्यमंत्री को अच्छा नहीं लगा।
5. चुनावों में दिग्विजय सिंह से अनबनः
विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा से आए कुछ विधायकों और पूर्व विधायकों के टिकट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से भी कमलनाथ की अनबन हुई थी। कमलनाथ का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह टिकट मांग रहे नेताओं को कह रहे हैं कि जाकर दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ो। कमलनाथ खेमे को लगता है कि यह सब पार्टी के एक धड़े ने किया। उनके खिलाफ माहौल बनाया गया।
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