मझौली में जाम से निजात दिलाने बेनकाब प्रशासन,स्कूली बच्चे हो रहे परेशान
मझौली
मझौली नगर परिषद के मार्केट में इन दिनों आए दिन जाम देखा जा रहा है इस जाम के कारण आम राहगीरों के साथ स्कूली छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। बता दें कि भले ही चाहे अतिक्रमण हटाए जाने के नाम से नगर विकास की लाखों रुपए गला दी गई हो लेकिन अतिक्रमण ज्यों का त्यों बना हुआ है। हर एक घंटो के अंतराल में घंटो लंबे जाम लग जाता है जिस जाम से निजात दिलाने के लिए प्रशासन भी बेनकाब होता दिख रहा है। ज्यादातर जान की स्थिति स्कूल खुलने और बंद होने के समय निर्मित होती है जब हजारों हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं घर से स्कूल एवं स्कूल से घर आते जाते हैं। जो इस जाम के झाम में फंसकर घंटो खड़े रहते हैं यहां तक की कुछ छात्र-छात्राओ को लेट हो जाने के कारण वापस घर भी लौटना पड़ जाता है वही स्कूल से घर जाते समय टाइम से न पहुंचने के करण अभिभावकों की परेशानियां बढ़ जाती है और उन्हें अपने बच्चों की खोज करने के लिए घर से निकलने को मजबूर होना पड़ रहा है। बता दें कि वर्ष 2019 में जाम से मुक्ति दिलाने के लिए नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी किया गया था जो लगभग महीनों भर चला रहा लेकिन अतिक्रमण ग्रसित मार्केट में ऐसा कोई भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया जिससे जाम से निजात दिलाई जा सके। इस दौरान मात्र एक परमट भवन अतिक्रमण मुक्त कराया गया था वह भी आधा अधूरा जो भूमि अब पुनः अतिक्रमित की जा रही है। सूत्रों की माने तो स्थगन आदेश के बावजूद भी दो मंजिला मकान बनकर तैयार हो गया है जिसके लिए नगर परिषद प्रशासन अनजान बना हुआ है। बताया जा रहा है कि परमिट भवन की 8 डिसमिल भूमि है जिसका अंश भाग ही वर्तमान में खाली दिख रहा है। ऐसे में प्रशासनिक तंत्र पर सवाल उठाना बाजिब है।
पीसीसी रोड तक सजाती है दुकान
अतिक्रमित में मार्केट मझौली में जाम की स्थिति उत्पन्न होने का मेंन कारण व्यापारियों द्वारा पीसीसी रोड के किनारे तक दुकान सजा लेना हो ना पाया जा रहा है जिसमें काबू पाने के लिए नगर प्रशासन द्वारा किसी तरह से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। एक ओर जहां बड़े व्यापारियों के सामने नतमस्तक होने तथा छोटे व्यापारियों से कमीशन वसूल किए जाने की खबर है यहां तक कि अपने जीवन निर्वाह के गांवों से किलो 2 किलो सब्जी लेकर पहुंचने वाले गरीबों से भी बैठकी के नाम से राशि वसूली जा रही है जबकि सुविधा किसी तरह से नहीं उपलब्ध कराई जा रही।
अभिषेक सिंह की रही चर्चा
वर्ष 2019 के दौरान सीधी जिले में पदस्थ किए गए तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी किया गया था जिसमें जिले का अतिक्रमण लगभग पूर्ण कर लिया गया था अब ब्लाकों की बारी थी लोगों को बेसब्री से इंतजार था लेकिन एकाएक कलेक्टर अभिषेक सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया था । जिसको लेकर तीन दिन तक सीधी में हंगामा भी हुआ यहां तक कलेक्ट्रेट कार्यालय का लोगों द्वारा घेराव भी किया गया था लेकिन शासन अपने रवैया पर अडिग रहा और अंत में उन्हें सीधी से जाना पड़ा उनके जाने के बाद अतिक्रमण मुक्ति अभियान पर विराम लग गया जो आज तक यथा स्थिति बने हुए हैं। उसे समय को याद कर जाम में फंसे लोगों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा यह कहते सुना गया कि यदि 6 महीने और अभिषेक सिंह रह जाते तो आज यह देखने को ना मिलता। इतना ही नहीं सच्चाई और ईमानदारी से व्यापार करने वाले व्यापारियों के मुंह से भी सुनने को आया। ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि अधिकांश व्यापारी मार्केट को अतिक्रमण मुक्त करना चाहते हैं लेकिन पूरी निष्पक्षता के साथ। अब देखना होगा जबकि नगर परिषद अध्यक्ष मार्केट के एक बड़े व्यापारी हैं जो हमेशा लोगों की परेशानियों को देखते रहते हैं इस जाम के झाम से निजात दिलाने के लिए क्या कुछ कमायत करते हैं। समाचार पत्र के माध्यम से लोगों द्वारा शासन प्रशासन का इस और ध्यान आकृष्ट कराया गया है।
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