अतिक्रमित भूमियों से अतिक्रमण हटाने शासन प्रशासन को आ रहा पसीना,बेदखली आदेश तक सिमट कर रह जाती है कार्यवाही
रवि शुक्ला,मझौली। उपखंड मझौली के शासकीय राजस्व एवं वन भूमि में लगातार भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है वही वर्षों निर्मित पुराने तालाब भी अतिक्रमण के कारण अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इसके संबंध में शासन प्रशासन अंनजान दिखाई पड़ रहा है। वही शिकायत के बाद भी कार्यवाही के नाम पर हीला हवाली की जा रही है।सूत्रों की माने तो यह अतिक्रमण प्रभावशील जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ गांठ पर चालू है तभी तो शिकायत के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है मात्र दिखावे एवं सेवा शुल्क के लिए बेदखली आदेश तक सिमट कर रह जाती है। ऐसा ही ताजा मामला मझौली तहसील के जोबा सर्किल अंतर्गत जमुना नंबर 2 का सामने आया है जहां बरसों पुराना तालाब अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण कर खेती की जा रही है। जनहित एवं जल संरक्षण को दृष्टिगत रखते हुए उक्त तालाब को जीवित करने ग्राम पंचायत की बैठक दिनांक 15 अगस्त 2022 को, उपसरपंच द्वारा प्रस्ताव रखा गया कि शासकीय तालाब की अतिक्रमित भूमि खसरा नंबर 32,33,34 को अतिक्रमण मुक्त कराकर तालाब का गहरीकरण करते हुए घाट निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव रखा गया सर्वसम्मत से कार्य स्वीकृत किया गया किंतु अतिक्रमण कार्यों द्वारा निरंतर अतिक्रमण जारी रखा गया। जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने हेतु सरपंच सचिव द्वारा आवेदन पत्र फरवरी 2023 में तहसीलदार को दिया गया फिर भी किसी तरह की कोई कार्रवाई किया जाना उचित नहीं समझ गया। कार्रवाई न होते देख ग्राम पंचायत के समाजसेवी दीपक तिवारी द्वारा 25 अप्रैल 2023 को जिले में आयोजित जनसुनवाई में आवेदन पत्र कलेक्टर को दिया गया तब कहीं जाकर अधिकारियों द्वारा चिमिटी चाल कार्यवाही चालू की गई। 14 जून 2023 को नायब तहसीलदार मझौली द्वारा 2500रू के अर्थ दंड से दंडित करते हुए बेदखली आदेश जारी कर हल्का पटवारी को 15 दिवस के अंदर बेदखल कर प्रतिवेदन पेश करने को निर्देशित किया गया था किंतु तीन माह बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। अतिक्रमण कार्यों द्वारा अर्थक्रमित भूमि जुताई कर फसल बोते देख पुनः समाजसेवी दीपक तिवारी द्वारा वीडियो वायरल कर उक्त के संबंध में मीडिया को अवगत कराते हुए समाचार पत्र के माध्यम से शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए अतिक्रमित शासकीय तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग किए है। यह कोई पहला मामला नहीं है जबकि बेदखली आदेश जारी करने के बाद प्रशासन पूरी तरह से निष्क्री हो जाता है इसी तरह का मामला महखोर ग्राम पंचायत के धनशेर गांव में 62 वर्षों से संचालित माध्यमिक शाला एवं तालाब के आम रास्ता का मामला भी है जो बेदखली आदेश के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जिस संबंध में स्कूल के प्रावधान अध्यापक द्वारा पुनः कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को पत्राचार किया गया है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
ग्राम पंचायत जमुआ नंबर दो के अतिक्रमित तालाब के अतिक्रमण मुक्त कराए जाने के संबंध में मीडिया द्वारा पूछे जाने पर नायब तहसीलदार मझौली बाल्मिक साकेत द्वारा गैर जिम्मेदार बयान देते हुए कहा गया कि इसकी प्रक्रिया चालू है । नोटिस जारी की गई है अभी तक जवाब नहीं आया है जैसे जवाब आएगा कार्यवाही की जाएगी। जबकि जारी नोटिस की वास्तविक स्थिति से नहीं अवगत कराया गया ना तो अतिक्रमण हटाने का कोई डेट निर्धारित होना बताया गया मीडिया के यह पूछे जाने पर की कब तक अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा जिसके जवाब में जल्द ही कार्यवाही किए जाने को कहा गया। वही मड़वास उप तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार से भी लोगों के शिकायत पर पूर्व में जनसुनवाई के समय सामान्य रूप से मीडिया द्वारा चर्चा की गई थी जिसमें तहसीलदार द्वारा कहा गया था कि प्रस्तावित रास्ते की जमीन सही ढंग से नहीं नपी थी जिसे नपाया गया है जल्द से जल्द अतिक्रमण हटाया जाएगा। चिंतनीय बात यह है कि ऐसे कर्मचारी पर आखिर अधिकारी कार्यवाही क्यों नहीं करते जो सही तरीके से नपी कर प्रतिवेदन पेश नहीं करते। बता दे की बच्चों के आबा गवन की समस्या को देखते हुए लोगों के मांग पर जिला प्रशासन के निर्देशानुसार तात्कालिक तहसीलदार बीके पटेल द्वारा मौके पर जाकर आम रास्ता चिन्हांकित करते हुए अतिक्रमण कार्यों को बेदखली आदेश जारी किए थे किंतु दुर्भाग्य था कि तत्काल ही उनका स्थानांतरण जबलपुर के लिए हो गया जिनके जाने के बाद अतिक्रमण मुक्त की कार्यवाही अधर में लटक गई। आम रास्ता निर्माण की कार्यवाही भी रुकी हुई है बच्चों को स्कूल जाने आने में अभी भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिस संबंध में प्रधान अध्यापक द्वारा जिला कलेक्टर सहित जिम्मेदार अधिकारियों को पत्र लेख किया गया है। अब देखना होगा कि खबर प्रशासन के बाद शासन प्रशासन क्या कवायत चालू करता है।
*इनका है कहना*
1- पुराने तालाब जिसका खसरा नंबर 32, 33 ,34 है गांव के एक ही परिवार दो लोगों द्वारा अतिक्रमण कर उसका पानी निकाल कर खेती की जा रही है। यहां तक की तालाब के मेढ को समतल कर खेती की जाती है। जिसके गहरीकरण एवं घाट निर्माण के लिए ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्ताव पास किया गया है जिसे अतिक्रमण मुक्त करने सरपंच/ सचिव द्वारा तहसीलदार को पत्र दिया गया था कोई कार्यवाही नहीं की गई तब मेरे द्वारा कलेक्टर सीधी के जन सुनवाई में आवेदन दिया गया। इसके बाद अतिक्रमणकारियों को 2500 रुपए के अर्थ दंड के साथ जून माह में बेदखली आदेश जारी किया गया था लेकिन आज दिनांक तक अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया गया। आखिर हीला हवाली क्यों की जा रही है समझ में नहीं आता।
दीपक तिवारी
समाजसेवी ग्राम पंचायत जमुआ नंबर 2
2--अतिक्रमित तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए ग्राम पंचायत के पत्र एवं गांव के लोगों की शिकायत पर पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर बेदखली आदेश जारी किया गया था। नोटिस भी जारी की जा चुकी है अभी तक जवाब प्राप्त नहीं हुआ है जिसकी कार्यवाही जारी है जल्द से जल्द अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।
बाल्मिक साकेत
नायब तहसीलदार मझौली
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