उम्मीदों में फिरा पानी, जनसुनवाई में नहीं पहुंच रहे अधिकारी,आवेदन देने भटकते रहे लोग
रवि शुक्ला ,मझौली । सरकार द्वारा हर मंगलवार को आयोजित की जा रही जनसुनवाई मजाक बनकर रह गई है। जहां अपनी व्यथा सुनने पहुंचे लोगों को भटकना पड़ रहा है। बता दे की मझौली जनपद पंचायत के प्रज्ञा भवन में हर मंगलवार को जनसुनवाई आयोजित की जाती आ रही है। जहां पूर्व में भले ही कार्यवाही ना होती रही हो लेकिन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मझौली उपस्थित रहकर लोगों से आवेदन प्राप्त कर संबंधित विभाग को निराकरण के निर्देश दिया करते थे। पूर्व एसडीएम सुरेश अग्रवाल के सेवानिवृत होने के बाद मझौली उपखंड की कमान आरपी त्रिपाठी को सौपी गई। एक दो मंगलवार को यह जनसुनवाई में लोगों की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनते हुए निराकरण करने की कवायत तेज किए जिससे लोगों की उम्मीद में कुछ और थी लेकिन पता नहीं क्या कुछ कारण है कि विगत दो-तीन मंगलवार से जनसुनवाई में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंच रहे हैं मझौली ब्लाक का क्षेत्र 40 से 50 किलोमीटर दूर का है कितनी दूरी से आने वाले लोग आवेदन लिए इधर-उधर घूमते रहते हैं। भले ही चाहे छोटे विभागीय कर्मचारी बैठे रहते हो लेकिन जनसुनवाई मे प्रभारी का मार्क करने वाला कोई अधिकारी कर्मचारी नहीं पहुंच रहे हैं। जिस कारण 50 किलोमीटर की दूरी तय कर जनसुनवाई में पहुंचने वाले लोग इधर-उधर भटकते रहते हैं यहां तक लोगों के आवेदन तक नहीं जमा हो पाते। लोगों की शिकायत पर जब मीडिया की टीम पहुंचती है तो जो भी अधिकारी कर्मचारी वहां उपस्थित रहते हैं कैमरे के सामने आकर बोलने को तैयार नहीं होते कैमरा बंद होने पर कहते हैं हम अपनी उपस्थिति देने आए हैं प्रभारी नहीं है इसलिए मार्क नहीं कर रहे हैं।
जिले में डेरा डाले जिम्मेदार
बात करें इस समय मझौली उपखंड की तो ज्यादातर विभागीय अधिकारी कर्मचारी जिले में डेरा डालकर अपनी जिम्मेदारी को भूलकर औपचारिकता पूर्ण ड्यूटी निभा रहे हैं। लोगों की माने तो अधिकांश विभागों की जिम्मेदारी ऐसे कर्मचारियों को सौंपी गई है जी लोगों को परेशान कर उनको आर्थिक सेवा के लिए मजबूर कर देते हैं। यहां तक की बाबुओं के होते हुए भी अन्य कर्मचारियों को उनके कुर्सियों पर विराजमान कर कार्य सेवा ले रहे हैं। वहीं प्रमुख जिम्मेदार अधिकारी जो जिले में देराडाल रखे हैं 12 से 1 बजे तक मुख्यालय पहुंचने हैं भले ही चाहे अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए पहुंचे लोगों के भटकते हुए जाने के बाद देर रात तक कार्यालय में रह कर भू एवं खनिज माफियों से सेवाएं लेते रहते हो। इस समय एक और जहां मुख्य कार्यपालन अधिकारी के ना रहने से जनपद में मनमानी का आलम है वही प्रमुख कार्यालय तहसील में तो संपूर्ण व्यवस्थाएं पटरी छोड़ चुकी है यहां के प्रमुख अधिकारियों सहित अधिकांश कर्मचारियों का जिले में दे रहता है जो 1बजे तक कार्यालय पहुंचते हैं कुछ समय रहने के बाद पुनः जिले के लिए प्रस्थान कर जाते हैं। आरोप है की यहां की कुर्सियों की जिम्मेदारी कई वर्षों से यहां जमे ऊसे लोकल कर्मचारियों को सौंपी गई है जो गरीब असहाय लोगों की जेब खाली कर अधिकारियों अधिकारियों के जब भरने का काम कर रहे हैं।ऐसा आरोप लोग ही नहीं बल्कि अधिवक्ताओं ने भी लगाया है। अधिवक्ताओं की मानें तो यहां फाइल निपटारे का रेट फिक्स हो चुका है इसके निपटारे के लिए एक निश्चित राशि देनी पड़ती है चाहे वह आम नागरिक हो या हम लोग यहां कोई सुनने देखने वाला नहीं है। अब देखना होगा कि जबकि जिले के मुखिया के द्वारा हर मंगलवार को जनसुनवाई के माध्यम से लोगों की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनते हुए निराकरण किया जा रहा है अपने इन लापरवा अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ क्या कुछ कवायत करते हैं।
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