MP News; कचरा वाहन की टक्कर से दोनों पैर कटे..50 लाख रु. का मुआवजा, 10 हजार रु. महीना अलग से मिलेगा

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MP News; कचरा वाहन की टक्कर से दोनों पैर कटे..50 लाख रु. का मुआवजा, 10 हजार रु. महीना अलग से मिलेगा


MP News; कचरा वाहन की टक्कर से दोनों पैर कटे..50 लाख रु. का मुआवजा, 10 हजार रु. महीना अलग से मिलेगा


इंदौर में नगर निगम के कचरा वाहन की टक्कर से अपने दोनों पैर गंवाने वाली महिला को 50 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा। इसमें 38 लाख रुपए मूल मुआवजा के अलावा 6 प्रतिशत ब्याज भी शामिल है। अदालत ने फैसले में दुर्घटना से हुए नुकसान और जिंदगी पर हुए असर को लेकर खास तौर पर टिप्पणी की है।
कोर्ट ने कहा कि महिला सुबह से लेकर शाम तक घर का पूरा काम करती थी जो अब नहीं कर पा रही है। न ही भविष्य में कर सकेगी। इसलिए वह इस तरह के मुआवजे की हकदार है। फैसला 12 अगस्त 2023 को सुनाया गया है। 2019 में भी इंदौर की एक युवती को कोर्ट ने बीमा कंपनी से 62 लाख 50 हजार का हर्जाना दिलाया था।
हादसे का शिकार हुई 44 साल की निर्मला मोतीलाल गुर्जर मूलत: देवास जिले के खातेगांव की रहने वाली है। इनके पति किसान हैं, एक बेटा भी है। मामला 25 फरवरी 2018 का है। महिला अपनी बहन मधु के साथ गांव धुंधियाखेड़ी से बस से इंदौर पहुंची थी। बस से उतरने के बाद दोनों पैदल मूसाखेड़ी जा रही थीं। पीछे से नगर निगम की कचरा गाड़ी आई और महिला को बुरी तरह कुचलते हुए निकल गई।
महिला के पैर में गंभीर चोट आने के कारण उसे एमवाय अस्पताल में लाया गया। इसके बाद एक प्रा‌इवेट हॉस्पिटल में ले गए। यहां जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने सर्जरी किया तो दोनों पैर काटने पड़े। पैर कटने के बाद से वह असहाय हो गई। वह पूरी तरह से परिवार पर आश्रित है। महिला की ओर से एडवोकेट गोविंद आर. मीणा ने 2018 में ही जिला कोर्ट में मुआवजा आवेदन लगाया था।

50 लाख मुआवजा क्यों मिल रहा.
1.दोनों पैर कटने से महिला के कमाई का जरिया 100% खत्म हो गया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि घरेलू महिला की रेंडर सर्विस पुरुषों से ज्यादा होती है। वह सुबह उठते ही अपने काम में लग जाती है। चाय बनाती है। परिवार के लिए खाना बनाती है। बच्चों और बड़ों के कपड़े धोती है। झाड़ू, पोंछा करती है। इस तरह वह सुबह से शाम तक काम करती है।
2. कोर्ट ने उसके इस घरेलू काम के बदले 10 हजार रुपए प्रति महीना आय मानी। इस तरह उसकी 100% लॉस ऑफ अर्निंग कैपेसिटी देखते हुए साल की 1.20 लाख रुपए मानी गई है। चूंकि महिला की उम्र 44 साल है। भविष्य में उसकी 25% संभावित आय बढ़नी चाहिए थी, उसे भी माना गया है।
3. कोर्ट ने इस बात पर भी विचार किया कि महिला अब जिंदगी भर ऐसी स्थिति से गुजरेगी तो उसे एक अटैंडर की जरूरत होगी। ऐसे में अटैंडर को हर महीने 5 हजार रुपए भी देने पड़ेंगे। इस तरह उसकी 60 वर्ष की उम्र तक (बाकी 14 साल की पीरियड) के लिए 8.50 लाख रुपए अलग से मिलना चाहिए।
4. कोर्ट ने महिला के जीवन की सौम्यता में आई कमी का भी आकलन किया और इसके लिए 3 लाख रुपए देने का आदेश दिया। घटना के बाद से महिला ने एक साल तक काम नहीं किया, उसके लिए भी 10 हजार रुपए प्रति महीने के हिसाब से 1.20 लाख रुपए अलग से मिलने चाहिए।
5. महिला के इलाज में करीब 2 लाख रुपए खर्च हुए, यह भी इंश्योरेंस कंपनी को चुकाना पड़ेगा। महिला के लंबे समय तक के जीवन के लिए आई आकांक्षा की कमी में 3 लाख रुपए देने का आदेश दिया। आने-जाने के लिए वाहन खर्च के 1 लाख रुपए अलग से तय किए गए हैं।

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