शिवराज सरकार ने एक बार फिर दिया संविदा कर्मचारियों को धोखा : प्रदीप सिंह दीपू
संविदा कर्मचारियों के प्रति भाजपा सरकार की नीति और नीयत दोनों में है खोट - प्रदीप सिंह दीपू
सीधी-मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश सचिव एवं जिला कांग्रेस कमेटी खादी ग्रामोद्योग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह दीपू ने प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा संविदा कर्मचारियों को लेकर बनाई गई नीति पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि संविदा कर्मचारियों के प्रति भाजपा सरकार की नीति और नीयत दोनों में खोट है। कर्मचारी विरोधी प्रदेश की बीजेपी सरकार लगातार संविदा कर्मचारियों के साथ छल कपट एवं धोखा कर रही है। उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा जारी की गई संविदा नीति 2023 में नियमित पद के समकक्ष मानदेय देने का जो उल्लेख किया गया है उसमे इतने जटिल नियम बनाए गए है की प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के समकक्ष 100% मानदेय देना संभव ही नहीं है.
श्री दीपू ने कहा कि संविदा कर्मचारियों द्वारा वर्षों से मुख्यमंत्री से की जा रही नियमित करने की मांग आज भी अधूरी है। हाल में जारी हुई नीति से इतना जरूर जाहिर है कि संविदा कर्मचारी शिवराज सरकार में अब हमेशा संविदा पर ही परमानेंट रहेगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्ष 2018 में बनाई गई संविदा नीति के तहत संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के समकक्ष 90% मानदेय देना था, लेकिन आज दिनांक तक नहीं दिया गया। संविदा नीति 2018 के अंतर्गत 20% संविदा कर्मचारियों को नियमित करना था, आज तक कोई संविदा कर्मचारी नियमित नहीं हुआ। यही नहीं संविदा कर्मचारी की नियुक्तिकर्ता अधिकारियों को कभी भी संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के अधिकार आज भी बरकरार है।
कांग्रेस नेता प्रदीप सिंह ने कहा कि वर्ष 2018 में संविदा नीति में 20% नियमित करने के स्थान पर 50% का उल्लेख तो है लेकिन नियम इतने जटिल हैं कि शिवराज सरकार संविदा कर्मचारियों को कब नियमित कर पाएगी, कोई भरोसा नहीं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अपने भविष्य को लेकर चिंतित एवं दुखी संविदा कर्मचारियों को भ्रमित एवं गुमराह करने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर से संविदा नीति 2023 में बदलाव करने का राग अलापा है जो पूरी तरह से चुनावी जुमला है जबकि हकीकत यह है कि उक्त संशोधन के बावजूद भी संविदा कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित नहीं हो पाएगा। क्योंकि प्रदेश की भाजपा सरकार की नीति और नीयति दोनों कर्मचारी विरोधी है।
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