समय से नहीं पहुंच रहे स्वास्थ्य केंद्र मझौली के कर्मचारी, मरीज हो रहे परेशान,कमियां छिपाने जिम्मेदार रच रहे बहानेबाजी

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समय से नहीं पहुंच रहे स्वास्थ्य केंद्र मझौली के कर्मचारी, मरीज हो रहे परेशान,कमियां छिपाने जिम्मेदार रच रहे बहानेबाजी



समय से नहीं पहुंच रहे स्वास्थ्य केंद्र मझौली के कर्मचारी, मरीज हो रहे परेशान,कमियां छिपाने जिम्मेदार रच रहे बहानेबाजी

मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली का।


मझौली 
मामला सीधी जिले के मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है जहां वर्तमान समय में शासकीय स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था दिन प्रतिदिन बिगडती जा रही है, खबर प्रकाशन के बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन पूरी तरह निष्क्रिय दिख रहा है।यहां पर पदस्थ जूनियर डॉक्टर भले ही चाहे आकर बैठे रहे लेकिन पदस्थ अन्य कर्मचारियों के समय पर ना पहुंचने के कारण मरीजों को ओपीडी पर्ची एवं जांच कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। बताते चलें कि मझौली सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्द्र की बागडोर जब से डॉ. पी एल सागर को सौंपी गई है तब से कर्मचारी मनमानी तरीके से 12बजे तक हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। जो भी रहते हैं इधर-उधर राजनैतिक दाव- पेच खेलने में व्यस्त रहते हैं।मनमानी करें भी तो क्यों ना क्योंकि मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी खुद कार्यक्षेत्र से हमेशा नदारद रहते हैं। जिससे कर्मचारियों को कार्यवाही का भय ही नहीं रहता। ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो थक हार कर झोलाछाप डॉक्टरों से दवा कराने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इतना ही नहीं स्वास्थ्य कर्मियों के इस कृत्य से पदस्थ अन्य डॉक्टर भी परेशान हैरान रहते है क्योंकि मरीजो एवं मरीजो के साथ आये परिजनो का धौंस उपस्थित डॉक्टरों को ही झेलना पडता है।
जबकि कर्मचारी उनकी सुनने को तैयार नही है।
मिल रही शिकायत पर जब मीडिया द्वारा विगत 27 मई 29 मई, एवं 9 जून 2023 को उक्त शिकायत की पुष्टि हेतु सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र मझौली पहुंच जायजा लिया गया तो मिल रही शिकायत जायज निकली जहां जूनियर डॉक्टर एवं कुछ स्टा‍प नर्स ही केन्द्र में उपस्थित मिले। मरीज पर्ची एवं जॉच कराये जाने हेतु कर्मचारियो का इंतजार करते मिले । ओपीडी से लेकर दवा वितरण एवं जांच वाले कई कमरों में ताले लटके मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली भर के ही कर्मचारी नहीं बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत संचालित प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी भी मनमानी तरीके से क्रेंद्र में पहुंचते हैं। अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र में ताले लटके मिलते हैं यहां तक की मार्च-अप्रैल माह में दो दिवसीय भ्रमण पर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल पहुंचे हुए थे उस समय जिला प्रशासन द्वारा कर्मचारियों के अवकाश पर प्रतिबंध लगाया गया था फिर भी मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र से पदस्थ सी एच ओ नदारद रहे कुछ में तो ताला लटका मिला कुछ में दूसरे विभाग के कर्मचारी ताला खोल बैठे मिले उस समय भी मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी से बात की गई तो उनके द्वारा परेशान ना होने की बात कहते हुए बात टाल दी गई थी। यदि स्वास्थ्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों का यही रवैया रहा तो लोग स्वास्थ्य सुविधा के लिए मोहताज हो जाएंगे। वैसे भले ही चाहे स्वास्थ्य सुविधा के नाम से करोड़ों रुपए खर्च होती हो लेकिन पर डॉक्टर स्टाफ सहित उपकरणों का आभार है यहां तक की ऑपरेटर के अभाव में लाखों की एक्सरे मशीन भी जंग खा रही है जबकि एक्सरे कराने लोगों को 50 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जाना पड़ रहा है जिस संबंध में प्रतिनिधियों सहित प्रशासनिक अधिकारियों को पूर्व में अवगत कराया जा चुका है। समाचार पत्र के माध्यम से जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया जा रहा है।

गोबर और कचड़े से पटा पड़ा रहा प्रांगण

जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विगत कुछ माह पूर्व चमचमाता हुआ दिखाई पड़ता था भर्ती मरीज एवं पोषण पुनर्वास केंद्र में रह रहे हितग्राही इस स्वच्छता का आनंद उठाते थे आज वही सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्द्र में गंदगी आच्छादित है एक ओर जहॉ चारो तरफ गुटखे, तम्‍बाकू के पीक के धब्बे देखे गये वही सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्द्र प्रांगण मवेशियों के गोबर से भरा पड़ा रहा। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यहां महीने भर से सफाई ही नही कराई गई है मरीजों के कपड़े भी इधर-उधर बिखरे मिले। खबर प्रकाशन के हफ्ते भर बाद भी स्वच्छता की ओर हॉस्पिटल प्रबंधन का ध्यान नहीं गया।9 जून के भ्रमण के दौरान भी वही हालत मिली ऑक्सीजन प्लांट के सामने बने पार्किंग स्थल में मवेशियों का तथा हॉस्पिटल में कुत्तों का डेरा जमा रहा जबकि हॉस्पिटल में बाउंड्री निर्माण कराई गई है दरवाजों पर गेट भी लगे हैं लेकिन इनका समुचित रखरखाव के अभाव के कारण हॉस्पिटल प्रांगण में आवारा पशुओं का जमावड़ा बना रहता है जिस कारण प्रांगण गोबर से अच्छादित रहता है।

कमियां छुपाने सीबीएमओ रच रहे बहानेबाजी

मीडिया के तीसरी बार 9 जून के भ्रमण के दौरान सूचना पर पहुंचे पहली बार मिले मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ पीएल सागर कमियां सुधारने के बजाएं बहानेबाजी रचते दिखे। कर्मचारियों के समय पर ना पहुंचने के संबंध में पूछे जाने पर कहा गया कि आज डाउट था कर्मचारी छुट्टी माने हुए थे अभी मैसेज किया हूं आ रहे होंगे अगले दिनों के पूछे जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई स्वच्छता के संबंध में पूछे जाने पर दिखवाने की बात कही गई। इस समय भी जबकि मवेशी प्रांगण में मौजूद थे पूरा प्रांगण गोबर से अच्छादित था साफ सफाई की कोई तात्कालिक व्यवस्था कराए जाने का रुचि नहीं दिखाई गई और चेंबर की ओर चलते बने।


इनका कहना है

"बच्चे का दवा कराने आया हूं अभी ओपीडी बंद है घंटों से बैठा हूं पर्ची नहीं कट रही है"

 शंकर साहू 
मरीज का परिजन


"दवा कराने आया हूं अभी ओपीडी नहीं खुली है पर्ची के इंतजार में बैठा हूं"

      गोरेलाल मारीज

"दवा कराने आए हैं पर्ची के लिए लाइन में लगी हूं अभी ओपीडी नहीं खुली है"
      सीता कोरी मारीज

     "आज हम लोग सभी डाउट थे कि अवकाश है अभी पता चला है कि अवकाश नहीं है सभी कर्मचारियों को मैसेज किया गया है आते होंगे। रही बात स्वच्छता की तो दिखवाते हैं"

 डॉक्टर पीएल सागर 
मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी मझौली

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