भड़की हिंसा: बेकाबू भीड़ ने कैबिनट मंत्री का सरकारी आवास फूंका, गांवों में आगजनी
मणिपुर के इंफाल पश्चिम में मंत्री नेमचा किपगेन के आवास को बुधवार को जला दिया गया. उपद्रवियों ने मंत्री नेमचा किपगेन के सरकारी आवास को जला दिया.
सूत्रों के मुताबिक घटना बुधवार शाम करीब साढ़े छह बजे की है. बता दें कि मणिपुर में भड़की ताजा हिंसा में कांगपोकपीजिले के खमेनलोक इलाके के एक गांव में मंगलवार को बदमाशों के हमले में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और नौ अन्य घायल हो गए.
बता दें कि हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. कानून व्यवस्था को बचाने के लिए सुरक्षाकर्मी लगातार गश्त कर रहे हैं. इस बीच, पिछले 24 घंटों में टेंग्नौपाल और इंफाल पूर्वी जिलों से आग्नेयास्त्र और 63 गोला बारूद बरामद किया गया है.
11 जिलों में कर्फ्यू लागू
मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह के मुताबिक अब तक कुल 1,040 हथियार, 13,601 गोला बारूद और 230 तरह के बम बरामद किए गए हैं. इस बीच, जिला अधिकारियों ने इम्फाल पूर्वी जिले और इंफाल पश्चिम जिले में सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक कर्फ्यू में छूट के घंटों को घटाकर सुबह 5 बजे से सुबह 9 बजे तक कर दिया है. मणिपुर के 16 में से 11 जिलों में कर्फ्यू लागू है, जबकि पूरे पूर्वोत्तर राज्य में इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं.
600 लोगों ने किया सड़क जाम
इंफाल ईस्ट के खानेलोक गांव में 9 लोगों को गोली मारने से कुछ घंटे पहले, एक हिंसक भीड़ ने खमेनलोक और गोवाजंग के बीच आठ गांवों को आग लगा दी थी, यहां तक कि बुजुर्ग महिलाओं के नेतृत्व में 600 लोगों के एक समूह ने सड़क जाम कर दिया था. मामले से वाकिफ सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि वे राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुदीप सिंह को घटना की रिपोर्ट सौंपेंगे कि मंगलवार को आगजनी, मौतें और सड़क जाम की घटनाएं पूर्व नियोजित हो सकती हैं क्योंकि समूह ने चानुंग में सड़क को अवरुद्ध कर दिया था.
आठ गांवों में आगजनी
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि मंगलवार शाम को सुरक्षा बलों द्वारा आठ गांवों में आगजनी की सूचना मिलने के बावजूद, भारतीय सेना और असम राइफल्स के 200 से 250 जवानों की एक टीम मौके पर नहीं पहुंच सकी. बताया जा रहा है कि मंगलवार शाम को, खमेनलोक में 500-600 लोगों की भीड़ के गांवों को जलाने की सूचना मिली तो असम राइफल्स और सेना के अतिरिक्त सुदृढीकरण को क्षेत्र में जाने का आदेश दिया गया.
प्रदर्शनकारियों ने रोका रास्ता
लेकिन तरेत्खुल से लगभग 50 किमी दूर कांगपोकपी जिले से निकली टीमों को चानुंग में रोक दिया गया, जो खमेनलोक का प्रवेश द्वार है. करीब 600 की भीड़ ने महिलाओं, ज्यादातर बुजुर्ग महिलाओं को आगे खड़ा कर दिया था और रास्ता रोक दिया था, इसलिए सुरक्षा बल उस जगह में प्रवेश करने में असमर्थ थे.
गांवों में 100 से अधिक घर जले
अधिकारी ने कहा कि उन्हें आठ गांवों- गोवाजंग, सोंगजन, जोर्डनफाई, थंबोल, ऐगिजंग, पी फिनोम, खुइपुंग, और छौलोफाई को जलाने की रिपोर्ट मिली थी. इन गांवों के निवासी जंगलों की पहाड़ियों में और ऊपर चले गए थे जब भीड़ उनके घरों पर उतर आई, और हिंसक समूहों ने घरों को जला दिया. हालांकि आगजनी में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि गांवों में जले घरों की संख्या 100 से अधिक है.
प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने का प्रयास
अधिकारी ने पुष्टि की कि बुधवार देर रात तक, सड़क अभी भी जाम थी. उन्होंने कहा कि ‘अभी तक सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य में कहीं भी प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने के लिए बल प्रयोग नहीं किया है. सड़कों को अवरुद्ध करने वाले लोग ऐसा करते समय महिलाओं को आगे ढाल के रूप में उपयोग कर रहे हैं.
सेना पर हिंसा करने का आरोप
असम राइफल्स की एक छोटी टीम, जो पहले से ही सेना के तलाशी अभियान के हिस्से के रूप में खमेनलोक में थी, ने बाद में क्षेत्र का दौरा किया, जबकि बड़े पैमाने पर भीड़ की हिंसा को संभालने के लिए सुसज्जित बड़ा समूह चानुंग में बना हुआ है. राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के नेतृत्व में कई समूहों ने पिछले एक महीने में सड़कों को जाम कर दिया है. भीड़ ने केंद्र द्वारा भेजी गई सेना पर पक्ष लेने या स्वयं हिंसा में लिप्त होने का आरोप लगाया है.
जातीय संघर्षों में कम से कम 115 लोगों की मौत
बता दें कि इस साल 3 मई से राज्य में हुए जातीय संघर्षों में कम से कम 115 लोग मारे गए हैं. मंगलवार की घटना से पहले, मणिपुर के चुराचंदपुर जिले में सोमवार को एक 22 वर्षीय व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बता दें कि 3 मई को पहली बार जातीय संघर्ष शुरू होने के एक महीने से अधिक समय से राज्य सामान्य स्थिति में लौटने के लिए संघर्ष कर रहा है.
Credit:TV 9
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