अजब गजब परंपरा:मोटे होने के लिए खून पीते यहां के लोग, सबसे मोटे तगड़े शख्स माना जाता हीरो,
दुनिया में हर शख्स पतला होना चाहता है. इसके लिए वह तमाम तरह के जतन करता है, लेकिन धरती पर एक जगह ऐसी भी है जहां मोटा होना ताकत की निशानी माना जाता है. यहां सेहतमंद होने के लिए लोग दूध में खून मिलाकर पीते हैं.
और सबसे मोटे-तगड़े शख्स को हीरो का दर्जा दिया जाता है. वही शासन करता है. हम बात कर रहे हैं इथियोपिया की बोदी जनजाति (Bodi Tribe)के बारे में. इनकी जीवनशैली और परंपराएं ऐसी हैं कि जानकर आप दंग रह जाएंगे.
ओमो वैली में रहने वाली बोदी जनजाति की कहानी किसी रोमांचकारी फिल्म से कम नहीं. इन्हें मूल रूप से इथियोपिया का निवासी माना जाता है.दुनिया और समाज से बिल्कुल कटे रहने के बावजूद यह लोग अपनी परंपराओं से बिल्कुल भी समझौता नहीं करते. इनके यहां एक खास तरह की प्रतियोगिता होती है, जिसे कैल करते हैं. इसी के जरिए सबसे मोटे व्यक्ति का चयन किया जाता है और अंत में वही नायक चुना जाता है. उसी पर समाज को सही दिशा निर्देश देने की जिम्मेदारी होती है.
सिर्फ अविवाहित पुरुष लेते हिस्सा
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतियोगिता में सिर्फ अविवाहित पुरुष ही हिस्सा ले पाते हैं. उन्हें 6 महीने तक एक अलग कमरे में रखा जाता है. खूब खाने-पीने का सामान दिया जाता है ताकि वे मोटे हो सकें. ये लोग 6 महीने तक दूध में गाय का खून मिलाकर पीते हैं. क्योंकि इनका मानना है कि इससे वे जल्दी मोटे हो जाएंगे. इस दौरान फिजिकल रिलेशन बनाने की अनुमति नहीं है.पूरे छह महीने तक हर पुरुष को यही खाना दिया जाता है. गाएं बोडी जनजाति में पवित्र मानी जाती हैं, इसलिए ये लोग उन्हें मारते नहीं हैं. बल्कि भाले या कुल्हाड़ी से एक नस में छेद करके खून लिया जाता है और उसके बाद घाव को मिट्टी से बंद कर दिया जाता है.
2 लीटर तक खून पी जाता एक शख्स
आप जानकर हैरान होंगे कि चिलचिलाती गर्मी की वजह से हर पुरुष करीब 2 लीटर दूध और खून पी जाता है. पहला कटोरा सूर्योदय के समय दिया जाता है. खून पीने के बाद कोई उल्टी नहीं कर सकता. प्रतियोगिता के दिन सभी पुरुष अपने शरीर को मिट्टी और राख से ढंक लेते हैं ताकि कोई उनकी सेहत पर नजर न लगाए. वहां पहुंचकर सबसे पहले इन्हें एक पवित्र पेड़ के चारों ओर चक्कर लगाना होता है. अन्य पुरुष उनकी निगरानी करते हैं और महिलाएं शराब पिलाती और पसीना पोंछती हैं. चयन के बाद एक बलि दी जाती है. प्रतियोगिता की वजह से बोदी जनजाति के पुरुष इतने मोटे हो जाते हैं कि उनका चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है. वे कहीं भी बैठ नहीं पाते. लेकिन एक बार प्रतियोगिता खत्म होने के बाद इनका जीवन फिर सामान्य हो जाता है.
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