MP News: भारत का सबसे अमीर पेड़,जहां सरकार ने सुरक्षा में खर्च किए 64 करोड़, जानिए क्या है खास
भारत में एक ऐसा पेड़ भी है जो सबसे अमीर है। इतना ही नहीं बल्कि इस पेड़ की सुरक्षा पर सरकार ने 64 करोड़ रूपये खर्च कर दिए हैं। आपको बता दें कि यह कोई आम पेड़ नहीं बल्कि बोधि वृक्ष है जो मध्य प्रदेश के सांची में स्थिर है।
दरअसल, इस पेड़ का ऐतिहासिक महत्व बहुत ज्यादा है और इसका इतिहास 2500 साल पुराना है। इसकी 24 घंटे वर्दीधारी हथियारबंद पुलिस पेड़ की सुरक्षा करती है। हालांकि, अभी ये पेड़ कीड़ों की वजह से प्रभावित हो रहा है। ऐसे में इस पेड़ को बचाने की कोशिश तेज हो चुकी है।
ये है पड़े का इतिहास
इस अनोखे पेड़ का इतिहास 2500 साल पहले से शुरू होता। बताया जाता है कि महात्मा बुद्ध को बोधगया में वटवृक्ष के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद हिन्दू धर्म के साथ ही बौद्ध धर्म में भी वटवृक्ष का महत्व बढ़ गया। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस पेड़ की पूजा करने लगे थे। फिर ज्यादातर बौद्ध स्थलों पर इस पेड़ को लगाया जाने लगा। बताया जाता है कि करीब 269 ईसा पूर्व अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने के बाद सांची में स्तूप बना और बौद्ध धर्म के विश्वव्यापी प्रचार प्रसार ने जोर पकड़ा। इसके बाद अशोक ने अपने दूत श्रीलंका भेजे और उनके साथ सांची में लगे वट वृक्ष की शाखा को भी वहां भेजा था। सम्राट अशोक ने श्रीलंका के राजा देवानामपिय तिस्स को इस बोधि वृक्ष की शाखा भेजी थी। श्रीलंका के राजा ने इस शाखा को अपनी राजधानी औरंधापुरा में लगाया।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने दिया गिफ्ट
आपको बता दें कि 2012 में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे भारत आए थे। उस समय राजपक्षे अपने साथ ऐतिहासिक वटवृक्ष की छाया में पनपने वाले पेड़ की शाखा लेकर आए थे। कहा जाता है कि राजपक्षे जो शाखा अपने साथ लेकर आए थे, वो अशोक के उपहार के बोधिवृक्ष के वंशानुक्रम का ही पेड़ था। उस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में सलामतपुर में उन्होंने ये पेड़ लगाया गया।
कड़ी सुरक्षा में पल रहा पेड़
इसके बाद इस पेड़ की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई। तब से लेकर अब तक राज्य ने अब तक पेड़ की रखवाली और पानी पर 64 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं। इस पेड़ के पास 24 घंटे चार होमगार्ड तैनात रहते हैं। अब इस बोधिवृक्ष को लीफ कैटरपिलर नामक कीट ने संक्रमित कर दिया है जिस वजह से इसकी पत्तियां सूख रही हैं। इसको लेकर सुरक्षा कर्मचारियों का कहना है कि उद्यान विभाग ने पेड़ पर कीट के हमले के इलाज के लिए कोई उपाय नहीं अपनाया है। यह इतना महत्वपूर्ण पेड़ होने के बावजूद अब धीरे-धीरे पत्तियां भी सूख रही हैं और पेड़ के तने में कीट लग रहे हैं।
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