Weird Pregnancy: गर्भवती महिला से हुई ऐसी गलती की 7वें महीने पेट से निकला 'पत्थर' का बच्चा

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Weird Pregnancy: गर्भवती महिला से हुई ऐसी गलती की 7वें महीने पेट से निकला 'पत्थर' का बच्चा


Weird Pregnancy: गर्भवती महिला से हुई ऐसी गलती की 7वें महीने पेट से निकला 'पत्थर' का बच्चा


Weird Pregnancy: अपनी कोख से नए जीवन को जन्म देना किसी भी महिला के जीवन का सबसे सुंदर पल होता है. इस अहसास को जीने के लिए महिला नौ महीने तक इंतजार करती है और इस दौरान अपने बच्चों को लेकर कई सपने संजोती है.आमतौर पर प्रेग्नेंसी पीरीयड नौ महीने का होता है कई केस ऐसे होते हैं जहां बच्चों की डिलीवरी सातवें या आठवें महीने में ही हो जाती है.
लेकिन क्या हो अगर कोई महिला नौ साल तक प्रेग्नेंट रहे? सुनने में आपको भले ही ये अजीब लग रहा होगा लेकिन ये सच है और इस मेडिकल केस ने सारी दुनिया को हैरान कर दिया है.

ये अजीबोगरीब मामला कांगो का है. यहां रहने वाली एक महिला नौ साल पहले प्रेग्नेंट हुई लेकिन सांतवे महीने में उसे बच्चे की कोई मूवमेंट नहीं दिख रही थी…उसे लगा कि बच्चे का मिसकैरिज हो जाना था लेकिन नहीं हुआ. इसके बाद उसने डॉक्टर से संपर्क किया जिसके बाद डॉक्टर ने उसे कहा कि उसके भ्रूण का विकास बंद हो गया है और बच्चे की सांसें थम चुकी है. इसके बाद डॉक्टर ने कुछ दवाइयां लिखी और कहा कि कुछ ही दिनों में गर्भपात हो जाए वरना दो हफ्ते बाद आकर दिखा देना.
एक गलती के कारण पत्थर बन गया बच्चा

महिला जब डॉक्टर के पास से अपने घर पहुंची तो लोगों ने उसे ताने देना शुरू कर दिया. महिला के साथ ये टॉर्चर इतना ज्यादा परेशान हो गई उसने तय किया कि वह अपने बच्चे की कभी सर्जरी नहीं कराएगी और इस बात को तकरीबन नौ साल बीत गए. अंग्रेजी वेबसाइट डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उस महिला की कुछ दिन पहले मौत हो गई. डॉक्टर ने जब इस केस को देखा तो वह हैरान रह गए. महिला के पेट में अभी भी फीटस मौजूद था और अब वह पूरी तरीके से पत्थर बन चुका था और उसकी आंतों में फंस गया था. इसलिए महिला जो कुछ भी खाती थी उसे पचता ही नहीं था…जिस कारण महिला कुपोषण का शिकार हो गई और इसी से उसकी मौत हो गई.

आपकी जानकारी के लिए बता दें मेडिकल की भाषा में लिथोपेडियन कहा जाता है. इसका पहला केस फ्रांस में 1582 में आया था और अब तक इस तरह के मामले पूरी दुनिया में 290 बार सामने आए है. डॉक्टर कहते हैं कि इस स्थिती में बच्चे तक खून की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती और उसका विकास बंद हो जाता है.

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