अनामया, प्रस्तुत करते है जनजातीय स्वास्थ्य पर सहयोगी विचार,भोपाल में
जनजातीय स्वास्थ्य कई सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों पर निर्भर करता है। आदिवासी जनजीवन के लिए कार्य कर रहे विशिष्ट व्यक्तियों के साथ बातचीत करके और उनके साथ मिलकर जनजातीय स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में सामान्य आबादी के बीच जागरूकता जगाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है। अनामया जनजातीय स्वास्थ्य पर सजगता फैलने का कार्य कर रही है।
भोपाल में कला और साहित्य महोत्सव विश्वरंग में पधारे अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशंसित कवि और अनामया टीम के महत्वपूर्ण हिस्सा, माननीय मधु राघवेंद्र। राघवेन्द्र माधु जी ने आम-जन और नीति निर्माताओं के बीच जनजातीय संवेदनशीलता और ज्ञान बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में चर्चा की साथ ही उन्होंने एक राष्ट्रीय आदिवासी ज्ञान भंडार की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने वंदना टेटे जैसे प्रमुख आदिवासी लेखकों से भी बात की, और आंतरिक आदिवासी समुदायों में सामुदायिक रेडियो जैसी उनकी पहलों में भागीदारी के रास्ते तलाशने की कोशिश की। अनामया इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (IGRMS) पुस्तकालय भंडार तक अपनी पहुँच बनाना चाहती है, इस पुस्तकालय में विविध जनजातियों और उनकी सांस्कृतिक प्रथाओं पर समृद्ध पुस्तकों का संकलन है, जिसकी सहायता से साक्ष्य-आधारित नीति सूचना अंतर को कम करने और स्थानीय हस्तक्षेपों की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
अनामया, जनजातीय स्वास्थ्य सहयोगी टीम है जिसकी स्थापना अप्रैल 2021 में हुई, यह जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य में सुधार लाने और पुरे भारत में जनजातीय और अन्य वंचित समुदायों के बीच निवार्य मृत्यु को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जनजातीय मामलों और स्वास्थ्य मंत्रालयों की एक पहल है, जिसे पिरामल फाउंडेशन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) का समर्थन प्राप्त है। अनामया भारत के जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों और संगठनों के प्रयासों को एकजुट करने का प्रयास कर रही है।
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