Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर क्यों करते हैं चांद की पूजा? जानें महत्व,एवं पूजा विधि
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर वर्ष करवा चौथ मनाया जाता है. करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं.
मान्यता है कि जो सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. करवा चौथ के व्रत में उपयोग होने वाली हर एक चीज का अपना एक विशेष महत्व है. यह व्रत तब तक पूरा नहीं माना जाता, जब तक पत्नी छलनी से चांद और अपने पति का चेहरा ना देख ले. इस दिन चांद की पूजा का क्या महत्व है?
करवा चौथ की पूजा में सुहागिन महिलाएं छलनी में जलते हुए दीपक को रखती हैं. फिर इसके बाद इस छलनी से दीपक की रोशनी में चांद को देखती हैं. उसके बाद इससे अपने पति को देखती हैं. फिर पति अपनी पत्नी को पानी और मिठाई खिलाकर इस व्रत को पूरा करवाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पूजा में सुहागिन महिलाएं चांद की पूजा क्यों करती है.
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. रामायण के अनुसार, एक बार भगवान राम ने पूर्व दिशा की तरफ चमकते हुए चंद्रमा को देखा और अपने आसपास मौजूद सभी लोगों से पूछा कि चंद्रमा में जो कालापन दिखाई दे रहा है वह क्या है? सभी उपस्थित लोगों ने अपने-अपने तर्क देकर सवाल का जवाब दिया.
इस पर भगवान राम ने बताया कि चंद्रमा में कालापन उसके विष के कारण है. वह अपनी विषयुक्त किरणों से वियोगी नर-नारियों को जलाता रहता है. यदि बात करें मनोविज्ञान की तो उसके अनुसार, जो पति-पत्नी किसी कारणवश एक दूसरे से अलग हो जाते हैं, उन पर चंद्रमा की किरणें कष्ट पहुंचाती हैं, इसलिए करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा कर महिलाएं कामना करती हैं कि चंद्रमा के कारण उन्हें अपने पति का वियोग ना सहना पड़े.
इस बार करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर की रात 1:49 से शुरू होने वाली है. जो कि अगले दिन 14 अक्टूबर को सुबह 3:08 पर समाप्त होगी. करवा चौथ पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:21 से लेकर दोपहर 12:07 तक रहने वाला है. इसके अलावा शाम को 4:08 से लेकर शाम 5:50 तक अमृत काल रहेगा. करवा चौथ पूजन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त शाम 5:46 का माना जा रहा है.
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