ISRO: पहली बार विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा देसी एलवीएम-3 ,इस तारीख को ब्रिटिश कम्पनी के भेजे जाएंगे 36 उपग्रह
देश का सबसे ताकतवर रॉकेट 'लॉन्च व्हीकल मार्क 3' (एलवीएम 3) एक ब्रिटिश कंपनी के 36 उपग्रह 23 अक्तूबर को प्रक्षेपित करेगा। इसरो द्वारा एलवीएम-3 के जरिए पहली बार यह विदेशी और व्यावसायिक प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से रात 00:07 बजे किया जाएगा।
इस रॉकेट को पहले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क3 यानी जीएसएलवी एम3 कहा जाता था।
इसरो ने बताया कि प्रक्षेपित होने जा रहे उपग्रहों को रॉकेट के कैप्सूल में लगाकर मिशन के लिए असेंबली पूरी कर ली गई है। रॉकेट की क्रायो स्टेज और उपकरण व कार्गो ले जाने वाले ऊपरी हिस्से (इक्विपमेंट बे) की असेंबली भी हो चुकी है। शनिवार सुबह समस्त रॉकेट को प्रक्षेपण पैड पर ले जाया गया। इस साल के शुरू में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया था कि उसकी व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने वनवेब कंपनी के साथ दो प्रक्षेपण सेवा समझौते किए हैं। एनएसआईएल केंद्रीय अंतरिक्ष विभाग के अधीन एक कंपनी है। वहीं वनवेब ब्रिटेन की स्टार्टअप कंपनी है जो इसरो के जरिए वनवेब लियो (लोअर अर्थ ऑर्बिट) ब्रॉडबैंड संचार उपग्रह भेज रही है।
विदेशों के लिए उपग्रह प्रक्षेपण
पीएसएलवी रॉकेट के जरिए भारत जून 2022 तक 36 देशों के लिए 346 उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका है। शुरुआत 1990 के दशक में हुई, लेकिन बीते एक दशक में इसमें काफी तेजी आई। 15 फरवरी 2017 को एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए, जिनमें से अधिकतर अमेरिका, इस्राइल, यूएई, जर्मनी, आदि के थे। वहीं खुद भारत के लिए 1975 से फरवरी 2022 तक 129 उपग्रह प्रक्षेपित हुए हैं।
एनएसआईएल व इसरो के लिए मील का पत्थर साबित होगा मिशन
मिशन एनएसआईएल व इसरो के लिए ऐतिहासिक मील का पत्थर है, इसके जरिए एलवीएम 3 वैश्विक व व्यावसायिक प्रक्षेपण के बाजार में उतर रहा है।
यह ऑन-डिमांड प्रक्षेपण है, यानी भविष्य में कई देशों व कंपनियों से इसी तरह के समझौते कर भारत वित्तीय लाभ ले सकेगा।
यह तीन स्टेज का रॉकेट में 4,000 किलो तक के उपग्रह पृथ्वी से 37,000 किमी की ऊंचाई पर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित करने की क्षमता है।
दूसरी ओर वनवेब में भारत की एक कंपनी भारती इंटरप्राइज प्रमुख निवेशक व साझेदार है।
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