एक ऐसा शहर जहां दीवाली में भी लगता है कुवारों का मेला

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एक ऐसा शहर जहां दीवाली में भी लगता है कुवारों का मेला



एक ऐसा शहर जहां दीवाली में भी लगता है कुवारों का मेला



अजमेर। भारत देश त्योहारों और परम्पराओं के लिए विश्व भर में विख्यात है। देश में जगह- जगह कई तरह की प्रथाएं और मान्यताएं प्रचलित है। इसी कड़ी में राजस्थान के अजमेर में भी एक ऐसी ही परम्परा है, जो दिवाली के अवसर पर निभाई जाती है।

साथ ही इस परंपरा को लेकर लोगों के मन में काफी श्रद्धा भी है। यूं तो अजमेर जिला ब्रह्मा जी के मंदिर के साथ साथ अजमेर शरीफ दरगाह के लिए पूरे विश्व में विख्यात हैं। लेकिन यहां एक मंदिर ऐसा भी है, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक है।

दिवाली पर लगता है कुंवारों का मेला

इस मंदिर का नाम है- खोबरनाथ भैरव मंदिर। यह मंदिर अजमेर के आनासागर झील से सटी पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर दिवाली के दिन हर साल विशेष पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन खास बात यह है कि दिवाली के दिन इस मंदिर में कुवांरों का मेला लगता है। दरअसल, मान्यता है कि, अगर कुंवारें लड़के या लड़कियां इस मंदिर में 7 दिये जलाते है तो भैरव बाबा खुश होकर उन्हें आशीर्वाद देते है।

7 दिन तक कुंवारें जलाते है दीपक

दिवाली शुरू होने से पहले ही दिया जलाने का यह क्रम शुरू हो जाता है और दिवाली के दिन आखिरी यानी सातंवा दिया जलाया जाता है। माना जाता है कि, इससे भैरव बाबा खुश होकर कुंवारे लड़के और लड़की को आशीर्वाद देते हैं और उनकी शादी जल्दी हो जाती है। वहीं, अगर कुंवारें युवक या युवतियां मंदिर नहीं आ पाते तो उनके परिजन मंदिर में अर्जी की मौली बांधते है। इसके बाद नव दंपति मंदिर में मत्था टेकने आते हैं और अर्जी का धागा खोलते है।

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