KBC-14 की पहली करोड़पति बनीं 12वीं पास कविता चावला,22 साल से कर रही थीं तैयारी
मैं महाराष्ट्र के कोल्हापुर की कविता चावला, कौन बनेगा करोड़पति सीजन-14 की न सिर्फ पहली महिला, बल्कि पहली करोड़पति बनी हूं। 3 जुलाई, 2000 को पहली बार सोफे पर बैठकर टीवी देखते हुए मैंने हॉट सीट पर बैठने का सपना देखा था। तब से बिना रुके, बिना थके और बिना किसी को जाहिर किए चुपचाप तैयारी करती रही। पढ़ाई बेशक 12वीं तक ही की है, लेकिन यकीन मानिए, मैं 21 साल 10 महीने से लगातार पढ़ रही हूं।
इस दौरान मैंने न कभी दिन में आराम किया, न टीवी देखी और न सहेलियों के साथ गप्पें मारीं। हॉट सीट पर बैठने की ख्वाहिश के चलते अपनी हर छोटी-बड़ी पसंद को पीछे रखा। यह कहना है मेहनत, लगन और जुनून की मिसाल बनने वाली केबीसी सीजन-14 की पहली करोड़पति कविता चावला का। पढ़िए, 45 वर्षीय हाउसवाइफ कविता चावला की कहानी, उन्हीं की जुबानी...
मैं कोल्हापुर से भी पहली हूं, जो केबीसी में इस मुकाम तक पहुंची हूं। करोड़पति बनने और खासकर पहली का तमगा हासिल करने के अहसास को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। बस समझ लीजिए कि कछुए की चाल से चलकर यहां तक पहुंची हूं।
बचपन संघर्ष करते बीता। शादी के बाद नमक, तेल और खटाई में पड़ गई, लेकिन केबीसी ने मुझे दीन-दुनिया से जोड़े रखा। घर-परिवार की जिम्मेदारी, मेरी पढ़ाई, संसाधनों का अभाव और टेक्नोलॉजी में निल बट्टे सन्नाटा होने जैसी कई दिक्कतें आड़े आईं। केबीसी में पहुंचने के लिए 21 साल और 10 महीने से लगातार प्रयास कर रही थी।
कभी कॉल पिक नहीं कर पाई तो कभी प्रोसेस पूरा नहीं कर पाई। कभी एक सवाल गलत हो गया तो कभी टेक्नोलॉजी के चलते केबीसी के मंच तक आकर भी हॉट सीट पर नहीं बैठ पाई, लेकिन मैंने कभी भी उम्मीद की डोर को कमजोर नहीं पड़ने दी। मेरे सफर में परिवार ने बहुत सपोर्ट किया। सास ने घर संभाल, ससुर और पति ने मुझ पर भरोसा जताया।
12वीं तक ही पढ़ सकी, मां की मदद के लिए सीखी सिलाई
पापा गुरुबख्श राय निरंकारी ने कई कामों में हाथ आजमाया, लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। पापा बाद में हम सबको लेकर कोंकण में अपने गांव लौट गए। हम भाई-बहनों की पढ़ाई कोंकण से ही हुई। पिता ने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई करने की इजाजत दी, लेकिन टीचर्स के समझाने पर उन्होंने मुझे 12वीं तक पढ़ने दिया। घर की खराब स्थिति के चलते मैं आगे पढ़ने की जिद भी नहीं कर सकी।
मां सिलाई करती थी, जिससे परिवार को दो वक्त का खाना नसीब हो पाता था। 12वीं के बाद मैंने मां की मदद करने के लिए सिलाई का काम शुरू कर दिया। आठ घंटे सिलाई करती, तब जाकर 20 रुपए मिलते। 20 रुपए से 3 लाख 20 हजार रुपए कमाने के सफर में 30 साल लग गए। यह रकम मेरी पहली कमाई थी, जो केबीसी के मंच पर जीती थी।
हालांकि, अब एक करोड़ रुपए जीत लिए हैं। मैं 7.5 करोड़ रुपए के 17वें सवाल यानी जैकपॉट तक पहुंची, लेकिन मुझे उसका सही जवाब नहीं पता था। अगर मैं उस सवाल का गलत जवाब देती तो मुझे सिर्फ 75 लाख रुपए मिलते और मैं करोड़पति नहीं बनती। इसलिए मैं एक करोड़ रुपए लेकर गेम से बाहर हो गई।
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