विश्व श्वास दिवस पर विशेष: डॉक्टर से जानिए बीमारियों और उपचार के बारे में
25 सितंबर को पूरा विश्व वर्ल्ड लंग डे मनाने जा रहा है। किसी भी विशेष दिवस की अहमियत तभी है जब हम कुछ बचाव हेतु नए कदम संकल्पित हों। कैसी भी बीमारी से बचने का सुगम रास्ता उसके प्रति सकारात्मक जागरूकता ही है।
विश्व स्वास दिवस पर हमारे प्रतिनिधि की वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डा0 एस के गौड़ जी से विस्तृत चर्चा हुई ।
डा0 एस के गौड़ जी ने बताया कि फेफड़े शरीर के पांच विशेष अंगो (दिमाग, दिल, गुर्दे, जिगर के अतिरिक्त)में से एक है। इन सभी को जैविक अंग (वाइटल ऑर्गन) कह्ते हैं।
जानें इसकी बीमारियाँ-
अस्थमा, टी बी, न्यूमोनिया, पलयूरिसी, हाइड्रोथोरेक्स
(पानी भर जाना) आदि।
डा0 एस के गौड़ ने आगे बताया कि इसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है । हम सभी जानते हैं कि फेफड़ों की बीमारियाँ अक्सर वातावरण में ऑक्सिजन की कमी व कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य जहरीली गैसों की अधिकता से होतीं हैं। अतः
बीड़ी, सिगरेट, सिगार, चिलम आदि पीना व पीने वालों से दूरी बनाए। क्योंकि वह स्वयं तो उतना नहीं पीते जितना कि निःशुल्क आपको भी पीने हेतु विवश करते हैँ।
धुएँ पैदा करने वाली फैक्ट्री में, वाहन मिस्त्रियों (दो,चार,छह या आठ पहिये) को मास्क जरूरी है।
धूल वाले वातावरण (सड़क बनाने वाले) में भी मास्क का ध्यान ना भूलें।
सुबह (सूर्य निकलने से पहले) सैर पर जाना ना भूलें, विशेष कर हरियाली इलाके में। क्योंकि वहां शुद्ध ऑक्सिजन मिलेगी। किसी विशाल पेड़ के नीचे खडे होकर 3/4 बार गहरी सांस लेना व निकलना निश्चित ही लाभदायक होगा।
जानें किन वस्तुओं से तकलीफ़ बढ़ती या कम होती है (क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का अलग से कारण होता है)।
तकलीफ़ में ये आसान तरीके अपनाए-
नाक बन्द होने पर सरसों तेल/देशी घी गुनगुना कर दोनों नथुनों में लगाएं। शकुन से सो सकेंगे।
साँस लेने या सीने में दर्द होने पर साबुत उडद सरसों के तेल में जला कर गुनगुना
तेल सीने पर लगा व सेंकने से अवश्य राहत पाएंगे।
पुरानी बीमारी वाले ऑक्सिजन का सिलेंडर विशेष सावधानी सहित घर में रखें।
होम्योपैथी में भी कारगर दवाएँ हैं- एकोनाइट , बेलाडोना , ब्रायोनिया , केमोमिला , फॉस , पल्स , रस टॉक्स आदि ।
बिन विशेषज्ञों के कोई औषधि सेवन ना करें।
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