सीधी: आवारा पशु पाए जाने पर पशुपालकों के विरुद्ध होगी दंडात्मक कार्यवाही,निर्देशों का बार-बार उल्लंघन पर पशुपालकों पर दर्ज होगी एफआईआर

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सीधी: आवारा पशु पाए जाने पर पशुपालकों के विरुद्ध होगी दंडात्मक कार्यवाही,निर्देशों का बार-बार उल्लंघन पर पशुपालकों पर दर्ज होगी एफआईआर



सीधी: आवारा पशु पाए जाने पर पशुपालकों के विरुद्ध होगी दंडात्मक कार्यवाही,निर्देशों का बार-बार उल्लंघन पर पशुपालकों पर दर्ज होगी एफआईआर


  राष्ट्रीय राजमार्गों एवं जिले के अन्य व्यस्त मार्गों में अत्यधिक संख्या में गौवंश विचरण करते हुये दिखाई देते है, जिससे आये दिन जनहानि एवं पशु हानि होने के साथ ही ऐसे गौवंश कृषकों की फसल भी नष्ट करते हैं। जिला प्रशासन को इस संबंध में आये दिन शिकायतें प्राप्त होती है। उल्लेखनीय है कि जिले में ऐरा प्रथा पूर्णतः प्रतिबंधित की गई है तथा उल्लंधन करने पर पशु मालिकों के ऊपर दण्ड का भी प्रावधान है। 
   उक्त को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट मुजीबुर्रहमान खान द्वारा आदेश जारी कर संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि मुख्यमंत्री गौसेवा योजना अंतर्गत संचालित गौशालाओं में पूर्व में रखे हुए गौवंश को गौशाला में व्यवस्थित रखे तथा गौशाला से बाहर ना छोड़े। गौशाला वाले ग्राम एवं उसके आसपास के ग्रामों के गौवंश, नगर पालिकाध्नगर पंचायत से भेजे गए गौवंश को भी अनिवार्य रूप से क्षमता अनुसार गौशाला में रखें अन्यथा गौशाला का संचालन का दायित्व संबंधित पंचायत/संस्था से लेकर किसी स्वयंसेवी संस्थाओं को या महिला स्व सहायता समूह को दे दिया जावेगा। 

  पशुओं को पशु मालिकों द्वारा बांध कर रखा जाना चाहिए अधिकांश पशुओं में पशुपालन विभाग द्वारा टैगिंग का कार्य किया जाता है जिनका नम्बर उसके मालिक के नाम पर पंजीकृत होता है। ऐसी स्थिति में यदि पंचायत क्षेत्र अंतर्गत टैग पशु आवारा पाए जाते हैं तो संबंधित पंचायत द्वारा उनके मालिकों के ऊपर पंचायत अधिनियम के तहत अर्थदण्ड एवं दण्डात्मक कार्यवाही करना सुनिश्चित की जाए। बार-बार एक ही पशु मालिक के पशु ऐरा पाए जाते हैं तो उनके विरूद्ध क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। 

  ग्राम पंचायत के क्षेत्र में यदि निराश्रित पशुओं की मृत्यु होती है तो शव का निष्पादन पंचायत के अंतर्गत निर्धारित स्थान में गड्ढा खोदकर  किया जाना सुनिश्चित करें। प्रधानमंत्री सड़क में निराश्रित गौवंश दुर्घटना का कारण बनते है जिससे मानव के साथ-साथ पशुओं को भी गंभीर चोट लगती है इस संबंध में सूचना प्राप्त होने पर निकटतम पशुपालन विभाग में अधिकारियों को सूचना देकर पशुओं का तत्काल समुचित उपचार कराया जावें यदि लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता हो तो निकटतम गौशाला में पशुओं को प्रतिस्थापित करने का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायत का होगा। 
  कृषक अपनी फसलों को बचाने के लिए अवैध बाड़ों का निर्माण कर लेते है जिसकी सूचना कलेक्ट्रेट कार्यालय को भी सामाजिक संगठन द्वारा दी जाती है। प्रायः देखने में आया है कि इन अवैध बाड़ों में आवश्यकता से अधिक पशुओं को कई-कई दिनों तक रखा जाता है एवं उनके समुचित आहार एवं पानी की व्यवस्था नहीं की जाती है। यहां तक कि प्रतिकूल प्राकृतिक प्रकोप से बचाव की व्यवस्था न होने से पशुओं की अकाल मृत्यु हो जाती है ऐसी स्थिति में ग्राम सरपंच/सचिव का दायित्व होगा कि वह ऐसे अवैध बाड़ों को तत्काल हटाए एवं एकत्र गौवंश को नजदीकी गौशाला में प्रतिस्थापित करें। किसी भी स्थिति में अवैध बाड़ों के निर्माण की सूचना प्राप्त होती है तो क्षेत्र के सरपंच एवं सचिव पर अनुशासनात्मक कार्यवाही होगी। 

  जिले में संचालित राष्ट्रीय एवं अन्य राजमार्गों में पेट्रोलिंग वाहन की सुविधा उपलब्ध है जिनके प्रभारियों का दायित्व होगा कि वह राजमार्गो में एकत्र होने वाले निराश्रित पशुओं को संबंधित स्थानीय निकाय पंचायतध्नगर पालिका के माध्यम से उन्हें निकट की गौशालाओं में प्रतिस्थापित करना सुनिश्चित करें। साथ ही यदि पशु घायल अवस्था में हो तो निकटतम पशु चिकित्सालय को सूचित करते हुये चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी/नगर पंचायत के सीएमओ क्षेत्र के तहसीलदार एवं अनुविभागीय दण्डाधिकारी से भी अपेक्षा की गई है कि वह अपने भ्रमण के दौरान उपरोक्त विषय को संज्ञान में ले एवं इस तरह की सूचना प्राप्त होने पर संबंधित के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करें।

  जारी आदेशानुसार नगर पालिका एवं नगर पंचायत क्षेत्र के लिए नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी एवं दरोगा, पुलिस एवं यातायात के क्षेत्रीय अधिकारी/कर्मचारी एवं पशु पालन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी/कर्मचारी तथा जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर के लिए अनुविभागीय अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पशु पालन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी एवं कर्मचारी एवं ग्राम पंचायत के सचिव एवं रोजगार सहायक को दायित्व सौंप गया है।
   उपरोक्त अधिकारी एवं कर्मचारी अगले 15 दिवस के अंदर नगरीय क्षेत्रों एवं जनपद क्षेत्रों में कम से कम 10 गौवंशों के टैग नम्बर से पशु मालिकों की पहचान कर उनके विरूद्ध यथास्थिति पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 एवं आईपीसी की धारा 429 आदि के तहत पुलिस थानों में प्रकरण पंजीकृत करायेंगे एवं की गई कार्यवाही की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत करेंगे।

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