रूस की तरह चीन पर भी प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका,बनाया जा रहा दबाव
चीन की ओर से लगातार ताइवान पर दबाव बनाया जा रहा है. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंनी पेलोसी के ताइवान दौरे के समय से भड़के चीन ने समुद्री क्षेत्र में सैन्य अभ्यास भी किया था.
जबकि अमेरिका लगातार ताइवान का समर्थन करता आ रहा है. इस बार अमेरिका चीन को ताइवान पर हमले से रोकने के लिए उसके खिलाफ कुछ प्रतिबंध भी लगाने पर विचार कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार ऐसा यूरोपीय संघ भी चीन के खिलाफ कर सकता है.
कहा जा रहा है कि अमेरिका ने कंप्यूटर चिप्स और टेलीकॉम क्षेत्रों में चीन के साथ व्यापार को लेकर कुछ प्रतिबंध पहले ही लगाने की ठान ली है. ऐसे में चीन को व्यापार के क्षेत्र में पीछे करने का लक्ष्य तय किया जा रहा है. अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट के पूर्व अफसर नजाक निकतर ने कहा है कि अमेरिका की ओर से चीन पर जो प्रतिबंध लगाए जाएंगे वो रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से भी बड़े हो सकते हैं. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर भी व्यापार संबंधी प्रतिबंध लगाए थे.
इससे पहले चीन और ताइवान में जारी तनाव के बीच अमेरिका का एक और प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुंचा था. अमेरिकी कांग्रेस के इस प्रतिधिनिमंडल ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इन वेंग से मुलाकात की थी. अमेरिका और ताइवान के नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई थी, जब चीन के साथ दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं. चीन पूरे ताइवान को अपना हिस्सा मानता है.
वही अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी अगस्त में ताइवान की यात्रा पर आई थीं. चीन ने इस यात्रा का काफी विरोध किया था और उसने अपने सैन्य अभ्यास को तेज करते हुए लगभग रोज ही ताइवान की ओर लड़ाकू विमान, ड्रोन आदि भेजे थे. फ्लोरिडा से डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य स्टेफनी मर्फी की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने ताइवान की राष्ट्रपति से मुलाकात की थी.
ताइवान दबाव में नहीं आएगा: अमेरिका
चीन के सैन्य खतरों का जिक्र करते हुए साई ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ताइवान के प्रति अमेरिकी कांग्रेस के अडिग समर्थन को दर्शाती है. उन्होंने कहा था, ताइवान दबाव में नहीं आएगा. हम हमारे लोकतांत्रिक प्रतिष्ठानों तथा जीवन जीने के तरीकों की रक्षा करेंगे. ताइवान पीछे नहीं हटेगा. इस पर मर्फी ने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस को अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की वृहद भागीदारी की वकालत करनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि ताइवान ने दिखाया है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार सदस्य है खासतौर पर जन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर. वह अंतरराष्ट्रीयों मंचों पर भागादारी का हकदार है.
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