चीन में पढने वाले छात्रों के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी

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चीन में पढने वाले छात्रों के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी


चीन में पढने वाले छात्रों के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी

भारत ने चीन में मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इसमें उन्हें चीन में पढ़ाई करने के बाद होने वाली कई तरह की समस्याओं के प्रति आगाह किया गया है।

परामर्श में छात्रों को परीक्षा उत्तीर्ण होने के कम प्रतिशत, आधिकारिक भाषा पुतोंग्हुआ सीखने की बाध्यता और भारत में डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करने के कड़े नियमों के बारे में बताया गया है। यह एडवाइजरी ऐसे समय जारी हुई है जब चीन के मेडिकल संस्थानों में पढ़ने वाले कई भारतीय छात्र बीजिंग के कोविड वीजा प्रतिबंध के कारण दो साल से ज्यादा समय से घर बैठे हैं।

आधिकारिक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में विभिन्न चीनी विश्वविद्यालयों में 23 हजार से ज्यादा भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया हुआ है, जिनमें से बड़ी संख्या चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों की है। कोरोना वीजा प्रतिबंधों के दो साल से ज्यादा समय गुजरने के बाद चीन ने हाल में कुछ चुनिंदा छात्रों को वापस आने के लिए वीजा जारी किया था। लेकिन उनमें से अधिकांश छात्र वापस आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि सीधी उड़ान उपलब्ध नहीं है। बीजिंग में क्वारंटाइन की पाबंदियों को देखते हुए दोनों देशों के बीच सीमित उड़ान सुविधाओं के लिए बातचीत जारी है। इस बीच, चीनी मेडिकल कॉलेजों ने भारत और विदेश से नए छात्रों का प्रवेश शुरू कर दिया है।
इसे देखते हुए बीजिंग में भारतीय दूतावास ने उन छात्रों के लिए विस्तृत परामर्श जारी किया जो चीन में मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं। इसमें उन कठिनाइयों के बारे में बताया गया है जो चीन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को झेलनी पड़ सकती हैं। इसके अलावा पढ़ाई के बाद भारत में मेडिकल की प्रैक्टिस करने के लिए उन्हें जिस योग्यता को हासिल करना पड़ता है उसके कड़े नियमों की भी जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि भारत में प्रैक्टिस के लिए, 2015 से 2021 के बीच केवल 16 प्रतिशत छात्र ही परीक्षा उत्तीर्ण कर सके। इस दौरान, 40,417 छात्रों में से केवल 6,387 छात्र ही 'मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया' (एमसीआई) की ओर से आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएशन (एफएमजी) परीक्षा पास कर सके।

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