MP News: कारम बांध क्षतिग्रस्त मामले में मुख्यमंत्री ने लिया बड़ा एक्शन, आठ इंजीनियर निलंबित
भोपाल: धार के कारम डैम लीकेज मामले में सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. डैम निर्माण से संबंधित जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर सहित आठ अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. इससे पहले बांध निर्माण से जुड़ी दो कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड किया जा चुका है. धार में हाल ही कारम डैम में लीकेज के बाद नहर बनाकर उसका पानी खाली किया गया था. इस मामले में सरकार की अच्छी खासी किरकिरी हुई थी. उसके बाद सरकार ने निर्माण से संबंधित दोनों कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था. अब आज सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर 8 सरकारी अफसरों को निलंबित कर दिया गया है.
निलंबित होने वाले अधिकारियों की सूची
1- सी एस घटोले – मुख्य अभियंता -जल संसाधन
2-पी जोशी -अधीक्षण यंत्री -जल संसाधन
3- विजय कुमार जत्थाप – उपयंत्री
4- अशोक कुमार – उपयंत्री
5- दशाबंता सिसोदिया – उपयंत्री
6- आर के श्रीवास्तव – उपयंत्री
7- बीएल निनामा – कार्यपालन यंत्री
8- वकार अहमद सिद्धिकी – एसडीओ
ये है पूरा मामला:
कारम डैम की मिट्टी की दीवार में 10 अगस्त को पहला लीकेज सामने आया था. इसके बाद धार के 12 और खरगोन जिले के 18 गांवों को खाली कराया गया. इन लोगों को ऊंचे क्षेत्रों में शिफ्ट किया गया. सरकार ने तीन दिन की मशक्कत के बाद डैम में कट लगाकर वहां से पानी निकालने का फैसला किया. पानी निकलना शुरू हुआ तो डैम के दीवार का 20 मीटर हिस्सा भी बह गया.लोगों के खेतों में पानी भर गया और उनका भारी नुकसान हुआ.
तत्कालीन जल संसाधन मंत्री ने कहा वो तो तालाब था:
एमपी में मूसलाधार बारिश से पहले ही धार के कारम डैम में लीकेज ने सबको हिलाकर रख दिया था. इस पर सरकार को काफी जिल्लत झेलना पड़ी. हालात ये हो गए थे कि आनन फानन में नहर बनाकर डैम के पानी को निकाला गया वरना बड़ी तबाही हो जाती. ये बिलकुल नया बन रहा डैम था जिस पर 304 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. चौतरफ हमला झेल रहे तत्कालीन जल संसाधन मंत्री और वर्तमान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इंदौर में अजीबो गरीब बयान दिया था. उन्होंने कहा था कारम डैम में अभी गेट नहीं लगे हैं, इसलिए उसे डैम कहना या बड़ा बांध कहना उचित नहीं हैं. ये तो तालाबनुमा शेप में बना हुआ है. इसका स्पष्टीकरण खुद मुख्यमंत्री दे चुके हैं.
डैम निर्माण में कमीशनखोरी- दिग्विजय सिंह:
धार के कारम डैम लीकेज और हाल की बारिश के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि राज्य में पुल और डैम निर्माण में कमीशनखोरी हुई है. इसका खमियाजा प्राकृतिक आपदा के समय पूरे प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ा है. ये प्राकृतिक आपदा के साथ सरकारी आपदा थी जिसके लिए पूरी तरह से शिवराज सरकार जिम्मेदार है. दिग्विजय सिंह ने कहा था अप्रत्याशित बारिश से मध्य प्रदेश में नदियां उफान पर हैं. लोगो के घर गिर गए, खेती बर्बाद हो गई, बांध टूट गए, नहर, पुल बह गए. बाढ़ के कारण दर्जनों गांव खाली कराने पड़े. उन्होंने कहा लोगों को दो तरह के प्रकोप झेलने पड़े हैं. एक प्राकृतिक ज्यादा बारिश की वजह से और दूसरा शासकीय प्रकोप है. जो नहरें, पुल और बांध टूटने से हुआ है.
इससे पहले कारम डैम को लेकर शुक्रवार को पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमल नाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस नेता कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा, "मध्य प्रदेश के धार ज़िले के कारम डैम क्षतिग्रस्त मामले में 15 दिन बीत चुके है लेकिन अभी तक किसी भी दोषी पर कोई कार्यवाही नहीं…? शिवराज सरकार ने चार सदस्यीय जांच समिति बनाकर पांच दिन में इसकी जांच कर , कार्यवाही करने का दावा किया था लेकिन 11 दिन हो चले है , जांच रिपोर्ट कहां है , किसके पास है , अभी तक उसका ही पता नहीं और अभी तक कोई कार्यवाही नहीं. इस बांध को लेकर जिस तरह की बयानबाजियां हो रही है , उसी से समझा जा सकता है कि सरकार लीपा पोती में और दोषियों को बचाने में लग गयी है."
0 टिप्पणियाँ