धर्मेंद्र अहिरवार नज़र आएंगे इंटनेशनल डॉक्युमंट्री फिल्म '' क़ायदा - ए - नूर '' में
राजधानी भोपाल में शूट हुआ ऑस्ट्रेलिया के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले फिल्म –
एक्टर धर्मेंद्र अहिरवार सिरोंज का जन्म मध्यप्रदेश के सिरोंज में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ | बचपन से ही उनकी रूचि कुछ अलग करने की थी | और उन्होंने करके भी दिया और अपने सिरोंज का नाम रोशन किया है | पिछले दिनों भोपाल में इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री फिल्म '' क़ायदा - ए - नूर '' की शूटिंग समाप्त हुई है | ऑस्ट्रेलिया के प्रोडक्शन हाउस 'ट्रेकटेच प्रोडक्शंस " के बैनर तले इस फिल्म की शूटिंग की गयी है | जिसका निर्देशन देव सिद्धू ने किया है | धर्मेंद्र अहिरवार ने इस इंटनेशनल डॉक्युमंट्री फिल्म '' क़ायदा - ए - नूर '' में महराजा रंजीत सिंह के युवा रणजीत सिंह की भूमिका निभाई है |
धर्मेंद्र अहिरवार का जन्म मुगलसराय, विदिशा, मध्य प्रदेश में मांगीगीलाल अहिरवार और कमर बाई अहिरवार,एक घर में घर में हुआ । उन्होंने अपने शुरुआती दिन मुगलसराय में अपने परिवार के साथ बिताए जहाँ उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की। जेएनवीएसटी चयन परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, वह जवाहर नवोदय विद्यालय शमशाबाद, विदिशा चले गए। जहां उन्होंने बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई की। 2015 में स्नातक स्तर की पढ़ाई के साथ, उन्होंने भोपाल में पेशेवर थिएटर में काम करना शुरू किया और 2018 के अंत में मुंबई आने तक सक्रिय रहे।
धर्मेंद्र एक भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता एवं लेखक है | उन्होंने दंगल टीवी के शो क्राइम अलर्ट (2020) के एक एपिसोड में एक मिनट की भूमिका के साथ अपने करियर की शुरुआत की। उसके बाद वह डीडी नेशनल के शो कहानी वीर क्रांतिकारी की (2021) में एक छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए।
वर्ष 2022 में, अहिरवार ने शॉर्टफिल्म ''अनब्लॉक'' (2022) में करण की भूमिका में और शॉर्टफिल्म ''हत्या'' में तन्मय की की भूमिका अदा की | इसके साथ धर्मेंद ने इन दोनों शॉर्टफिल्म को अपने प्रोडक्शन कंपनी ''राही प्रोडक्शन '' के बैनर तले प्रोड्यूस भी किया है | । धर्मेंद्र स्व-निर्मित फीचर फिल्म ''वो लड़की '' (2023) में पथिक की भूमिका के साथ जल्द ही नज़र आने वाले है |
वर्तमान में धर्मेंद्र अहिरवार भोपाल में रहकर फिल्ममेकिंग और एक्टिंग कर रहे है | देव सिद्धू के निर्देशन में डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'क़ायदा ए नूर' की शूटिंग ख़त्म हो चुकी है | जिसकी शूटिंग राजधानी भोपाल में की गई है | 'क़ायदा ए नूर' जो महाराजा रणजीत सिंह की क़ैदा पद्धति के बारे में बात करती है, जो हमें 18 वीं शताब्दी में वापस ले जाती है। अकादमिक रूप से कम योग्य होने के बावजूद, रणजीत सिंह कायदा पद्धति के माध्यम से जनता को शिक्षित करना चाहते थे। व्यापक पैमाने पर, वह सफल भी रहे और उसने इस क्षेत्र के सबसे बड़े पुस्तकालय की स्थापना की ताकि लोग पढ़ लिख कर शिक्षित हो सके |
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