सीधी: नाबालिग के साथ दुष्कर्म में सहायता करने वाली महिला आरोपी को 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदंड
माननीय विशेष न्यायाधीश लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, जिला सीधी (म.प्र.) द्वारा विचारण उपरांत थाना कमर्जी के अपराध क्रमांक 215/21 में अभियुक्त प्रीति कुशवाहा पति विकेश कुशवाहा उम्र-26 वर्ष निवासी ग्राम खोरवा टोला थाना कमर्जी जिला सीधी को धारा ¾(2) सहपठित धारा 17 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000 रूपए अर्थदंड, धारा 366 के अपराध में 07 वर्ष का सश्रम कारावास व 2000 रूपए अर्थदंड, एवं धारा 342 के अपराध में 06 माह के सश्रम कारावास से दण्डित करने का निर्णय पारित किया गया। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से सशक्त पैरवी श्रीमती भारती शर्मा, जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा की गई।
जिला अभियोजन अधिकारी कार्यालय सीधी के मीडिया सेल प्रभारी/सहायक जिला अभियोजन अधिकारी कु. सीनू वर्मा द्वारा बताया गया कि दिनांक 24.06.21 को अभियोक्त्री ने अपनी मां एवं चाचा के साथ थाना कमर्जी में रिपोर्ट दर्ज कराई कि दिनांक 20.06.21 को समय 11:00 बजे सुबह अभियोक्त्री ठकुराने से आम बीनकर अपने घर जा रही थी। तभी अभियोक्त्री् की चाची आरोपी प्रीति कुशवाहा अभियोक्त्री को अपने घर के पास मिली, अभियोक्त्री से बोली कि सिवई खा लो तो अभियोक्त्री आरोपी चाची के घर सिवई खाई एवं कटोरी धुलने लगी। कटोरी रखने ओसार में गई तो राजराखन कुशवाहा आया और अभियोक्त्री का दाहिना हाथ पकड़ कर आरोपी चाची के कमरे में ले गया। उस समय आरोपी चाची ओसार में थी, इसके बाद आरोपी चाची ने कमरे की लाईट बंद कर दिया और कमरे को बाहर से बंद कर दिया। इसके बाद राजराखन ने अभियोक्त्री के साथ गलत काम किया। अभियोक्त्री दरवाजा खोलने को बोली तो आरोपी चाची ने दरवाजा नहीं खोला। राजराखन के बोलने पर आरोपी चाची दरवाजा खोल दी। शिकायत पर पुलिस थाना कमर्जी के अपराध क्रमांक 215/21 अंतर्गत धारा 342, 366ए, 120बी, 376(3) भादवि एवं पॉक्सो एक्टी की धारा ¾, 5एन/6, 16/17 के अंतर्गत मामला पंजीबद्ध किया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय सीधी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती भारती शर्मा के द्वारा सशक्त पैरवी करते हुए अभियुक्तत को अधिकतम सजा दिये जाने का निवेदन किया। विचारण पश्चात न्या्यालयीन सत्र प्रकरण क्रमांक 21/21 में माननीय न्यायालय द्वारा अभियुक्त प्रीति कुशवाहा को संदेह से परे दोषसिद्ध प्रमाणित कराया गया।
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