Side Effects Of Honey: अगर आपको भी है यह समस्या तो न करें शहद का सेवन हो सकता है आपके लिए जानलेवा
शहद एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसका सेवन करने की सलाह आयुर्वेद में ही नहीं एलोपेथी में भी दी गई है. प्राकृतिक गुणों से भरपूर शहद का सेवन करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं. इसमें शरीर के लिए कई अहम पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आयरन, ( Iron rich foods ) विटामिन सी, ( Vitamin C benefits for body ) बी, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम व अन्य की भरमार होती है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसमें फ्रुक्टोज करीब 35 फीसदी, ग्लूकोज 25 परसेंट और कुछ मात्रा में सुक्रोज व माल्टोज मौजूद होता है. इसमें कई ऐसे खनिज होते हैं, जो शरीर से खराब बैक्टीरिया को दूर करने में सक्षम होते हैं.
इतने सारे फायदे होने के बावजूद शहद ( Side effects of Honey ) कुछ मायनों में शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. हम आपको बताएं कि कब और किन लोगों को शहद का सेवन करने से बचना चाहिए. जानें…
फैटी लिवर
जिन लोगों को फैटी लिवर की समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो, उन्हें शहद का सेवन नहीं करना चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक शहद में पाए जाने वाला फ्रुक्टोज शुगर का मेन सोर्स होता है और इसे खाने से लिवर की हालत खराब हो सकती है. कहा जाता है कि फ्रुक्टोज को लिवर मेटाबोलाइज्ड करता है और ऐसे में फैटी लिवर वालों को दिक्कतें हो सकती हैं.
दांतों में दिक्कत
भले ही शहद में नेचुरल शुगर मौजूद हो, लेकिन जिन्हें दांतों में कैविटी या मसूड़ों के बिगड़े हुए स्वास्थ्य की समस्या हो, उन्हें इससे दूरी बनाए रखनी चाहिए. शहद का सेवन करना पसंद करते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में भी खाएं. शहद का ज्यादा सेवन मसूड़ों में सड़न को बढ़ा सकता है.
डायबिटीज
इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को किसी भी तरह के शुगर का सेवन करने से परहेज करना चाहिए. शहद में मौजूद फ्रुक्टोज शुगर का सोर्स माना जाता है. फ्रुक्टोज डायबिटीज के मरीजों में शुगर के लेवल को बिगाड़ सकता है. शहद ही क्या ऐसी चीजों को बिल्कुल नहीं खाना चाहिए, जिनमें फ्रुक्टोज सही मात्रा में मौजूद हो.
बच्चे न करें सेवन
जिन बच्चों की उम्र 12 महीने से कम होती है यानी जो शिशु हैं, उन्हें शहद का सेवन नहीं कराना चाहिए. चाइल्ड स्पेशलिस्ट के मुताबिक शिशु को शहद खिलाने से क्लोस्ट्रीडियम इंफेक्शन का खतरा बन जाता है. शिशु को हेल्दी रखने के लिए शुरू में मां का दूध ही पिलाना चाहिए. इसमें बच्चे के शरीर में मां के दूध से शुगर की पूर्ति हो सकती है.
क्रेडिट: TV9 Bharatvarsh
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