दोनों ओर की किड़नी पर पथरी होना खतरनाक, हो सकता है कैंसर, जानिए बचाव और उपचार
देश और दुनिया की आबादी का अनुमानित पांच से 10 प्रतिशत हिस्सा किडनी और मूत्र प्रणाली की पथरी से पीड़ित है। यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। शरीर के इस भाग में पथरी का खास चरित्र होता है कि यदि किसी को एक बार किडनी, पेशाब की थैली या यूरेटर से ऑपरेशन कर पथरी निकाल दिया गया है तो भी फ़िर से पथरी बन सकती है।
इसलिए जरूरी है कि पथरी के ऑपरेशन के बाद निकाले गए पथरी का एनालिसिस कराया जाए ताकि पता चले कि पथरी किस चीज़ की बनी है। यह कहना है जाने माने मूत्र रोग सर्जन (यूरोलॉजिस्ट) डॉ. नवीन कुमार का।
उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को बार बार पथरी बनती है या दोनों किडनी में पथरी बनती है, उनमें पेशाब का मेटाबॉलिक एनालिसिस करना जरूरी होता है। इसी एनालिसिस के आधार पर मरीज की जीवनचर्या, खानपान और जरूरी होने पर दवा तय होती है ताकि दुबारा पथरी न बने। ऐसे मरीज़ रेगुलर अल्ट्रसाउंड कराते रहें। देखें, कहीं फिर से तो पथरी नहीं बन रहा है। यह जांच साल में एक बार करवा लेनी चाहिए। डॉ. नवीन पटना के प्रसिद्ध जयप्रभा मेदांता अस्पताल में कंसलटेंट यूरोलॉजिस्ट हैं। ये बिहार के इक्के-दुक्के यूरोलॉजिस्ट में शामिल हैं जो यूरोलॉजी में एमसीएच (पीजीआई, लखनऊ से) के साथ डीएनबी की भी डिग्री रखते हैं।
डॉ. नवीन कुमार के मुताबिक मूत्र प्रणाली में मुख्यत: तीन भाग में पथरी या स्टोन ज्यादा होते हैं; किडनी, यूरेटर और पेशाब की थैली. यदि दोनों ओर की किडनी में पथरी है तो यह किडनी या गुर्दा को क्षतिग्रस्त कर सकता है। देखा गया है कि मध्य उम्र वालों में पथरी की समस्या ज्यादा होती है। बच्चों और बुजुर्गों में भी यह समस्या कम देखने को मिलती है। पथरी दोनों यूरेटर में भी बनती है।
पथरी के लक्षण:
किडनी -पेट के एक ओर या दोनों ओर दर्द रहना, उल्टी होना, पेशाब में जलन, पेशाब में खून आना आदि।
यूरेटर-पेट के दोनों ओर मरोड़ना और दर्द, पेशाब में जलन, पेशाब में खून इंफेक्शन होने पर बुखार भी आ सकता है।
पेशाब की थैली- बार-बार पेशाब आना, पेशाब करने के समय तेज जलन, पेशाब खुलकर नहीं होना, खून आना।
डॉ. नवीन कुमार के मुताबिक किडनी में बहुत छोटा स्टोन या पथरी होने की स्थिति में ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती है। 24 घंटा में तीन लीटर तक पानी पिया जाए तो पथरी निकल जाती है। लेकिन किडनी स्टोन बड़ा होने पर दूरबीन से ऑपरेशन किया जाता है। पीठ के रास्ते से किडनी में दूरबीन डालकर पथरी तोड़ा जाता है और निकाला जाता है। इसे पीसीएनएल कहते हैं। यदि पथरी थोड़ा छोटा है तो पेशाब के रास्ते दूरबीन डालकर किडनी तक पहुंचा जाता है और लेजर से किडनी को तोड़ दिया जाता है। तब स्टोन पेशाब के रास्ते बाहर आ जाता है। इसे आरआईआरएस कहते हैं। यदि यूरेटर में पथरी है तो पेशाब के रास्ते दूरबीन डालकर यूरेटर में पहुंचा जाता है फिर पथरी तोड़ दिया जाता है। वहीं पेशाब की थैली में स्टोन होने पर पेशाब के रास्ते से दूरबीन डालकर लेजर से पथरी तोड़ते हैं। बड़ी पथरी होने पर पेट के रास्ते से चीरा लगाकर या दूरबीन से पथरी को निकाला जाता है।
कम पानी पीनेवाले, डायबिटीज, मोटे लोगों में पथरी की संभावना अधिक
डॉ नवीन के अनुसार मूत्र प्रणाली में किसी को भी स्टोन या पथरी हो सकता है। लेकिन कुछ लोगों में इसकी आशंका अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। मसलन, कम पानी पीने वालों में पथरी की शिकायत हो सकती है। इसी तरह सूखा इलाका में रहनेवाले, मोटापा या डायबिटीज से ग्रसित लोगों में इसका आशंका अधिक होती है। बिस्तर पर पड़े या जन्मजात किडनी के संरचनात्मक विकार से ग्रसित लोगों में भी पथरी होने की आशंका थोड़ी ज्यादा होती है।
पथरी से कैंसर हो सकता है, किडनी के क्षतिग्रस्त होने की भी आशंका
डॉ. नवीन कुमार के मुताबिक अगर पथरी पेशाब के बहाव में रुकावट पैदा करने लगे तो किडनी में सूजन होने लगता है। सही समय पर उपचार नहीं करने पर किडनी क्षतिग्रस्त हो सकता है। कई बार मवाद भी बन जाता है। इससे तेज बुखार होता है। तब आपातकाल में मवाद निकाला जाता है। यदि पेशाब की थैली में पथरी है तो बार-बार संक्रमण होगा जिससे बुखार आएगा। लंबे समय तक पथरी का ओपरेशन नहीं कराया गया तो कैंसर भी हो सकता है।
कैल्सियम और यूरिक एसिड से बनती है पथरी
डॉ. नवीन कुमार के अनुसार जब पेशाब से कैल्शियम, यूरिक एसिड या कुछ अन्य विलेय पदार्थ ज्यादा आने लगते हैं तो यह किडनी के अंदर जमने भी लगता है। जमते-जमते यह पथरी का रूप ले लेता है। यह पथरी किडनी से लेकर पेशाब की नली में कहीं भी पाई जा सकती है। डॉ. नवीन कुमार के अनुसार यदि किसी को उपरोक्त कोई लक्षण दिखे या समस्या हो तो वो मुझसे कार्य दिवस के वर्किंग ऑवर (10 से पांच बजे तक) 8697020604 पर संपर्क कर सकते हैं।
क्रेडिट: Live हिंदुस्तान
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