किसानों के लिए खुसखबरी: एक साल से बंद योजना को सरकार ने फिर से किया चालू,यह मशीने खरीदने पर
50 प्रतिशत देगी सब्सिडी
सरकार हर साल किसानों को अनुदान के रूप में लगभग दो सौ करोड़ रुपये देने लगी और खेतों में कई आधुनिक यंत्र दौड़ने लगे। लिहाजा यंत्रीकरण 1.8 किलो वाट प्रति हेक्टेयर पहुंचकर राष्ट्रीय औसत 1.5 को पार कर गया। लेकिन जब इसके आगे बढ़ने की गति मंद पड़ने लगी तो सरकार ने फिर से अनुदान शुरू किया।
नई दिल्ली। कृषि यंत्रों पर अनुदान देने की योजना एक साल बंद करने के बाद अब राज्य सरकार फिर से चालू करने जा रही है। केंद्र की योजना तो पहले से ही चल रही है लेकिन किसानों का इससे काम नहीं चला तो फिर से राज्य सरकार अपनी योजना लाने जा रही है।
लगभग सौ करोड़ का प्लान बना है। सरकार की मुहर लग गई तो इस बार 80 यंत्रों पर अनुदान मिलेगा। राज्य सरकार अपने खजाने से लगभग 75 यंत्रों पर अनुदान देती रही है।
पिछले साल इस योजना को बंद कर दिया गया था, लेकिन इस बार न सिर्फ अनुदान मिलेगा बल्कि यंत्रों की संख्या भी बढ़कर 80 हो जाएगी। लागत का 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। पराली प्रबंधन से जुड़े यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक अनुदान मिल सकता है। नये यंत्रों में सरकार का सबसे अधिक जोर लैंड लेबलर पर होगा। इसके अलावा गन्ना पेराई मशीन पर भी अनुदान मिलेगा। उद्यान से जुड़े कुछ नये यंत्र भी अनुदान सूची में इस बार शामिल किये गये हैं।
इसके अलावा नई योजना में किसानों को ट्रेनिंग देने का भी प्रावधान किया गया है। नये यंत्रों के संचालन के साथ यंत्रों के रख-रखाव की ट्रेनिंग किसानों को दी जाएगी। विभाग का इस बार जोर लेजर लैंड लेबलर पर इसलिए है कि उसका मानना है कि समतल भूमि से फसल उपज में 20 से 25 प्रतिशत तक वृद्धि होगी। लिहाजा विभाग इसके लिए अभियान भी चला रहा है। लेजर लैंड लेबलिंग विषय पर एक प्रशिक्षण पुस्तिका भी विभाग ने प्रकाशित की है।
विभाग के अनुसार, जीरो टिलेज जैसी आधुनिक मशीन से एक खास गहराई पर बीज गिराया जाता है परन्तु खेत समतल नहीं रहने के कारण मशीन एक ही गहराई में बीज नहीं गिरा पाता है। इससे बीज का जमाव, बढ़वार प्रभावित होती है। खेत के समतल नहीं रहने के कारण खेत के किसी भाग में पानी का जमाव हो जाता है तो खेत के दूसरे भाग में नमी की कमी हो जाती है। इससे भी फसल का उपज प्रभावित होती है।
राज्य में सरकार ने कृषि यंत्रों पर अनुदान देने की योजना शुरू की तो राज्य में कृषि यंत्रीकरण में काफी वृद्धि हुई। 2005 के पहले राज्य में ट्रैक्टर के अलावा कोई यंत्र खेतों में नहीं दिखता था। उस समय तक कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण 0.5 और 0.8 किलोवाट प्रति हेक्टेयर पर वर्षों से रुका हुआ था। कृषि रोडमैप बनने के बाद बीज प्रतिस्थापन दर और यंत्रीकरण दर को बढ़ाने पर खासा जोर दिया गया।
सरकार हर साल किसानों को अनुदान के रूप में लगभग दो सौ करोड़ रुपये देने लगी और खेतों में कई आधुनिक यंत्र दौड़ने लगे। लिहाजा यंत्रीकरण 1.8 किलो वाट प्रति हेक्टेयर पहुंचकर राष्ट्रीय औसत 1.5 को पार कर गया। लेकिन जब इसके आगे बढ़ने की गति मंद पड़ने लगी तो सरकार ने फिर से अनुदान शुरू किया।
कृषि यंत्रीकरण योजना
50 हजार किसान औसतन हार साल लेते हैं लाभ
200 करोड़ रुपये तक अनुदान देती थी सरकार
98 करोड़ रुपये की योजना है इस बार
80 यंत्रों पर मिलेगा अनुदान
क्रेडिट- Live हिंदुस्तान
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