ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और PM मोदी की मुलाकात के बाद हो सकती है बड़ी घोषणाएं
नई दिल्ली: यूक्रेन-रूस युद्ध पर विपरीत विचारधारा रखने के बावजूद भारत और ब्रिटेन इसका असर अपने द्विपक्षीय रिश्तों पर नहीं पड़ने देंगे। अगले हफ्ते भारत के दौरे पर आ रहे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और पीएम नरेन्द्र मोदी के बीच होने वाली मुलाकात द्विपक्षीय रिश्तों के भविष्य के लिहाज से काफी अहम साबित हो सकती है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार बोरिस जानसन 21-22 अप्रैल को भारत की यात्रा पर होंगे। पीएम मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता 22 अप्रैल को होगी।
बोरिस जानसन गुजरात भी जाएंगे।दोनों प्रधानमंत्रियों की बैठक के दौरान द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर कुछ अहम घोषणाएं होने की संभावना है। दोनों नेता भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले कारोबारी समझौते को लेकर हो रही वार्ता की भी समीक्षा करेंगे।
यूक्रेन-रूस युद्ध पर भी हो सकती है चर्चा
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद ब्रिटिश पीएम जानसन चौथे ऐसे वैश्विक नेता होंगे जिनसे मोदी की आमने सामने या वर्चुअल मुलाकात होगी। इसके पहले जापान व आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों और अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ उनकी वार्ता हो चुकी है। पहले की तीनों बैठकों में यूक्रेन-रूस की स्थिति एक बड़ा मुद्दा रहा था उसी तरह से ब्रिटिश पीएम के साथ मुलाकात में भी यह एक बड़ा मुद्दा रहेगा।
रिश्तों की मजबूती पर फोकस
सूत्रों का कहना है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के व्यापक असर को देखते हुए निश्चित तौर पर यह प्रधानमंत्रियों के बीच एक अहम विषय रहेगा लेकिन आगामी बैठक का मुख्य फोकस द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा को लेकर होगी। हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर चर्चा भी होगी और कुछ अहम घोषणाएं भी होने की उम्मीद है।
हिंद प्रशांत क्षेत्र पर भी चर्चा
एक घोषणा भारत की तरफ से स्थापित इंडो पैसिफिक ओसियन इनिसियटिव (आइपीओआइ) अभियान में ब्रिटेन का शामिल होना भी हो सकती है। हाल ही में भारत की यात्रा पर आई ब्रिटिश विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रुस ने इस बारे में अपने देश की सहमति का जिक्र किया था। ब्रिटेन ने हाल ही में हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर ज्यादा सक्रियता दिखानी शुरू की है। दोनों देशों के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र में व्यापक सहयोग के एजेंडे पर विमर्श चल रहा है।
भारत में मैन्यूफैक्चरिंग पर जोर
ट्रुस की यात्रा के दौरान जिस गहनता से दोनों देशों के बीच भावी रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाने को लेकर बातचीत हुई है, उससे संकेत है कि रक्षा क्षेत्र में साझा शोध व निर्माण मोदी और जानसन के बीच वार्ता का एक अहम पहलू होगा। माना जा रहा है कि ब्रिटेन की रक्षा क्षेत्र की कंपनियों ने आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत में मैन्यूफैक्चरिंग करने को उत्सुक हैं।
जानकारों का कहना है कि यूएई और आस्ट्रेलिया के साथ कारोबारी समझौता करने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच भी कारोबारी समझौते को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ गई है।
क्रेडिट: जागरण
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