राजस्थान के इस अस्पताल में की जा रही फ्री हार्ट सर्जरी, लाखों रुपए की होगी बचत
राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह अस्पताल ने नई तकनीक से हार्ट की सर्जरी शुरू की, जो अब तक हजारों मरीजों के लिए वरदान साबित हो चुकी है.
एसएमएस अस्पताल के कार्डियों थोरोसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट ने यह नई तकनीक शुरू की थी, जिसमे डॉक्टर्स ने सीने की हड्डी को काटे बिना छोटे से चीरे से हार्ट सर्जरी करना शुरू किया.
एसएमएस अस्पताल के सीनियर कार्डियो सर्जन डॉ.अनिल शर्मा ने बताया कि एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों ने हार्ट सर्जरी के लिए एक नई तकनीकी को इजात किया, जिसमें बिना छाती की हड्डी काटे हार्ट सर्जरी की जाने लगी है. पहले चिकित्सकों ने सिंगलवेल सर्जरी से इसकी शुरुआत की और साइड से एक छोटा सा चीरा लगाकर ट्रिपल वेल तक की सर्जरी करना शुरू कर दी, जो बहुत मुश्किल होती है.
डॉ.मोहित शर्मा ने बताया कि सामान्यतः ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान सीने की हड्डी को काटा जाता है, लेकिन अब बिना हड्डी काटे हार्ट के अलग-अलग तरह ऑपरेशन किए जा रहे हैं. खासतौर पर बच्चों और महिलाओं की सर्जरी तो इसी तकनीक से की जा रही है, जिससे की उन्हें सामाजिक जीवन को जीने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आए.
इस तकनीक से टोसिंग बिंग (दिल में छेद) तक की बीमारी की सर्जरी की जा रही है. अभी तक लगभग एक हजार से अधिक ऑपरेशन छोटा चीरा लगाकर किया जा चुका हैं. छोटे चीरे से होने वाले ऑपरेशन के कई तरह के फायदे हैं. इसमें मरीज के इंफेक्शन का खतरा दूर हो जाता है और खर्चा भी कम आता है. साथ हीं, शरीर पर दिखने वाला बड़ा निशान भी नहीं दिखता है. अस्पताल के कार्डियक सर्जरी विभाग में बिना छाती की हड्डी काटे हार्ट संबंधित 28 प्रकार की बीमारियों के सबसे ज्यादा ऑपरेशन कर इतिहास रचा हैं.
मेडिकल टर्म में मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी यहां के डॉक्टर्स की एक उपलब्धि हैं, जिसमें तकनीक से बिना छाती की हड्डी काटे एक हजार से अधिक ऑपन हॉर्ट ऑपरेशन करके डॉक्टर्स की टीम ने एसएमएस और राज्य का नाम रोशन किया. सीटी सर्जरी विभाग के चिकित्सको ने नई तकनीक विकसित करके इस क्षेत्र में चार नई तकनीको का नवप्रर्वतन किया है, जिनकी वजह से यह संभव हुआ है.
सामान्यतः ओपन हार्ट सर्जरी छाती की हड्डी (स्टर्नम) को काट के की जाती है, लेकिन अब बिना हड्डी काटे छाती में छोटे से चीरे (5-8cm) से हृदय की विभिन्न प्रकार की बीमारियों के ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं. छोटे चीरे द्वारा सर्जरी वयस्कों में तो विश्व के कई केन्द्रों पर हो रही है, लेकिन नवजात शिशुओं, बच्चों एवं वयस्कों (सभी उम्र के मरीजों में) में इस तरह की सर्जरी केवल एसएमएस आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में की जा रही है.
अभी तक लगभग 1000 वयस्कों एवं बच्चों में इस तरह के विभिन्न ऑपरेशन किये जा चुके हैं. इनमें मुख्य नया सबसे अधिक ऑपरेशन एमवीआर 668 किए गए है और उसके बाद एवीआर 212 ऑपरेशन किए है तो 26 बाईपास सर्जरी के अभी तक इस विधि डॉक्टर अनिल शर्मा और उनकी टीम ने की है. ऐसा माना जाता है कि मिनिमल इनविसिन कार्डियक सर्जरी का ऑपरेशन छाती की हड्डी काटकर ही संभव होता है, लेकिन एसएमएस के चिकित्सकों की टीम इसे गलत साबित कर दिया है.
क्रेडिट- Zee News
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