दुनिया की सबसे लंबी कार, जिसमें स्विमिंग पूल सहित हेलीकॉप्टर उतारने के साथ 70 लोंगो को बैठने की है जगह
दुनिया की सबसे लंबी कार को अमेरिकन ड्रीम के नाम से जानते है. सन 1986 में इस कार को दुनिया की सबसे लंबी गाड़ी के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था.
अगर आप भी गाड़ियों के शौकीन हैं तो आपने कभी न कभी सोचा जरूर होगा कि आख़िरकार दुनिया की सबसे लंबी कार कौन सी होगी, दिखने में कैसी होगी, कितने लोग बैठ सकते होंगे, किन-किन सुविधाओं से लैस होगी. इससे जुड़े और भी तमाम सवाल सोचे होंगे. ऐसे में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं.
अमेरिकन ड्रीम कार (American Dream Car)
दुनिया की सबसे लंबी कार को अमेरिकन ड्रीम के नाम से जानते है. सन 1986 में इस कार को दुनिया की सबसे लंबी गाड़ी के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था. आप यह जानकर आचर्य में पड़ जाएंगे कि इस अमेरिकन ड्रीम कार की लंबाई 100 फीट थी, यह दिखने में बड़े टायरों वाली ट्रेन जैसी लगती थी.
आपको बता दें कि अमेरिकन ड्रीम कार को सिर्फ़ लम्बाई के लिए ही नहीं जाना जाता था बल्कि इसमें दी जाने वाली आधुनिक सुविधाएँ इसे ख़ास बनाती थी. कार के ऊपर एक पर्सनल हेलीपैड, मिनी गोल्फ कोर्स और स्वीमिंग पूल उपलब्ध था. इसके अतिरिक्त बाथटब, कई टीवी, फ्रिज, टेलीफोन जैसी सुविधाएँ उपलब्ध थी. वहीं अमेरिकन ड्रीम कार की सिटिंग कैपेसिटी की बात की जाए तो 70 लोग एक साथ बैठ सकते थे.
इस कार के फ़ीचर्स की बात करें तो इसमें कुल 26 व्हील थे और इसे दोनों साइडों से चलाया जा सकता था. वहीं कार के दोनों ओर V8 इंजन लगे थे. आपको जानकर हैरानी होगी की इस कार को किसी वाहन निर्माता कम्पनी ने नहीं बनाया था बल्कि इसके डिजाइनर जे ओहरबर्ग थे. जे ओहरबर्ग कारों के शौक़ीन थे और वह हॉलीवुड फिल्मों के जाने-माने व्हीकल डिजाइनर थे. उन्होंने इस अमेरिकन ड्रीम कार को सन 1980 में 1976 कैडिलैक एल्डोरैडो लिमोसिन पर तैयार किया था.
जे ओहरबर्ग को इस ड्रीम कार को बनाने में करीब 12 सालों का वक्त लगा था जिसके बाद यह सड़कों पर फ़र्राटा भरने के लिए तैयार थी, इसी के साथ अमेरिकन ड्रीम कार का नाम दुनिया की सबसे लंबी गाड़ी के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया.
इस कार को मुख्य तौर पर फिल्मों में इस्तेमाल के लिए बनाया गया था, लेकिन कार को किराए पर भी दिया जाता था. वहीं इसके किराए कि बात की जाए तो 50 से 200 अमेरिकी डॉलर प्रति घंटा होता था, भारतीय रुपयों में यह 15,000 रुपए तक जाता था.
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