क्रिया की परिभाषा और प्रकार,शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए पढ़े हिंदी व्याकरण,MPTET Exam
क्रिया
क्रिया की परिभाषा
ऐसे शब्द जो हमें किसी काम के करने या होने का बोध कराते हैं, वे शब्द क्रिया कहलाते हैं। जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना व्यक्त हो उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे- रोया, खा रहा, जायेगा आदि। उदाहरणस्वरूप अगर एक वाक्य 'मैंने खाना खाया' देखा जाये तो इसमें क्रिया 'खाया' शब्द है। 'इसका नाम मोहन है' में क्रिया 'है' शब्द है। 'आपको वहाँ जाना था' में दो क्रिया शब्द हैं - 'जाना' और 'था'।
क्रिया के भी कई रूप होते हैं, जो प्रत्यय और सहायक क्रियाओं द्वारा बदले जाते हैं। क्रिया के रूप से उसके विषय संज्ञा या सर्वनाम के लिंग और वचन का भी पता चल जाता है। क्रिया वह विकारी शब्द है, जिससे किसी पदार्थ या प्राणी के विषय में कुछ विधान किया जाता है। अथवा जिस विकारी शब्द के प्रयोग से हम किसी वस्तु के विषय में कुछ विधान करते हैं, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे: पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, खेलना, सोना आदि।
क्रिया के साधारण रूपों के अंत में ना लगा रहता है जैसे-आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना आदि। साधारण रूपों के अंत का ना निकाल देने से जो बाकी बचे उसे क्रिया की धातु कहते हैं। आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना क्रियाओं में आ, जा, पा, खो, खेल, कूद धातुएँ हैं। शब्दकोश में क्रिया का जो रूप मिलता है उसमें धातु के साथ ना जुड़ा रहता है। ना हटा देने से धातु शेष रह जाती है।
क्रिया के उदाहरण
राकेश गाना गाता है।
मोहन पुस्तक पढता है।
मनोरमा नाचती है।
मानव धीरे-धीरे चलता है।
घोडा बहुत तेज़ दौड़ता है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में गाता है, पढता है, नाचती है, दौड़ता है, चलता है आदि शब्द किसी काम के होने का बोध करा रहे हैं। अतः यह क्रिया कहलायेंगे।
क्रिया के भेद:-
अकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद:-
संयुक्त क्रिया
नामधातु क्रिया
प्रेरणार्थक क्रिया
पूर्वकालिक क्रिया
सहायक क्रिया
तात्कालिक क्रिया
अकर्मक क्रिया:-
अकर्मक क्रिया की परिभाषा
अकर्मक क्रिया का अर्थ होता है, कर्म के बिना या कर्म रहित। जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पडती या जो क्रिया प्रश्न पूछने पर कोई उत्तर नहीं देती उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। अथार्त जिन क्रियाओं का फल और व्यापर कर्ता को मिलता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे :- तैरना , कूदना , सोना , ठहरना , उछलना , मरना , जीना , बरसना , रोना , चमकना , हँसता , चलता , दौड़ता , लजाना , होना , बढना , खेलना , अकड़ना , डरना , बैठना , उगना , जीना , चमकना , डोलना , मरना , घटना , फाँदना , जागना , बरसना , उछलना , कूदना आदि।
दूसरे शब्दों में- जिस क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ता है वह क्रिया अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इस क्रिया में कर्म का अभाव होता है। जैसे : श्याम पढता है।
इस वाक्य में पढने का फल श्याम पर ही पड़ रहा है। इसलिए पढता है अकर्मक क्रिया है। जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पडती या जो क्रिया प्रश्न पूछने पर कोई उत्तर नहीं देती उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। अथार्त जिन क्रियाओं का फल और व्यापर कर्ता को मिलता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
अकर्मक क्रिया के उदाहरण:-
राजेश दौड़ता है।
सांप रेंगता है।
पूजा हंसती है।
मेघनाथ चिल्लाता है।
रावण लजाता है।
राम बचाता है।
सकर्मक क्रिया:-
सकर्मक क्रिया की परिभाषा
सकर्मक का अर्थ होता है, कर्म के साथ या कर्म सहित। जिस क्रिया का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है ,उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। अथार्त जिन शब्दों की वजह से कर्म की आवश्यकता होती है उसे सकर्मक क्रिया होती है।
दूसरे शब्दों में- जिस क्रिया में कर्म का होना ज़रूरी होता है वह क्रिया सकर्मक क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं का असर कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है। सकर्मक अर्थात कर्म के साथ।
जैसे: विकास पानी पीता है। इसमें पीता है (क्रिया) का फल कर्ता पर ना पडके कर्म पानी पर पड़ रहा है। अतः यह सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया के उदाहरण
रमेश फल खाता है।
सुदर्शन गाडी चलाता है।
मैं बाइक चलाता हूँ।
रमा सब्जी बनाती है।
सुरेश सामान लाता है।
जैसा कि आप ऊपर दिए गये उदाहरणों में देख सकते हैं कि क्रिया का फल कर्ता पर ना पडके कर्म पर पड़ रहा है। अतः यह उदाहरण सकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे।
सकर्मक क्रिया के भेद
एककर्मक क्रिया
द्विकर्मक क्रिया
अपूर्ण क्रिया
पूर्ण एककर्मक क्रिया: जिस क्रिया के केवल एक कर्म के पुरे होने का पता चलता है उसे पूर्ण एककर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे:
वह रोटी खाता है।
श्याम टीवी देख रहा है।
पूर्ण द्विकर्मक क्रिया: द्विकर्मक का अर्थ होता है दो कर्म वाला या दो कर्म सहित। जिस क्रिया के साथ दो कर्मों के पूर्ण होने का पता चलता है उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। इसमें पहला कर्म प्राणीवाचक होता है और दूसरा कर्म निर्जीव होता है उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे:
सोहन ने गुरूजी को प्रणाम किया।
नर्स रोगी को दवा पिलाती है।
अपूर्ण क्रिया: जब क्रिया के होते हुए तथा क्रिया और कर्म के रहते हुए भी अकर्मक और सकर्मक क्रिया स्पष्ट अर्थ न दें वहाँ पर अपूर्ण क्रिया होती है। इनके अर्थों को पूरा करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे पूरक कहते है।
जैसे:
तुम हो – तुम बुद्धिमान हो।
मैं अगले वर्ष बन जाउँगा – मैं अगले वर्ष अध्यापक बन जाउँगा।
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