MP:सेवानिवृत्त होने पर गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दान में दे दिए 40 लाख रुपए,रिक्शा चलाकर बने थे शिक्षक

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MP:सेवानिवृत्त होने पर गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दान में दे दिए 40 लाख रुपए,रिक्शा चलाकर बने थे शिक्षक


MP:सेवानिवृत्त होने पर गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दान में दे दिए 40 लाख रुपए,रिक्शा चलाकर बने थे शिक्षक



शिक्षक को भगवान से भी ऊपर माना जाता है। इसकी वजह उनके द्वारा हमारा सही मार्गदर्शन कराना है। वैसे तो हर शिक्षक प्रेरक होता है। अपने छात्रों को कुछ न कुछ प्रेरणा देता है, लेकिन आज हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश स्थित पन्ना के एक शिक्षक की।

उन्होंने हमें कभी न भूलने वाली प्रेरणा दी है। इसकी वजह शिक्षक द्वारा रिटायरमेंट में मिले 40 लाख रुपये के फंड (Teacher Donate Retirement Fund) को दान करना है। शिक्षक ने यह फंड गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए दान दे दिया है। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया (Video Viral On Social Media) पर जमकर वायरल भी हो रहा है। इसमें उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी दुख कम नहीं कर सकता, लेकिन हम जो भी अच्छा कर सकते हैं वह करना चाहिए।

39 साल तक रहे सहायक शिक्षक

दरअसल, यह शिक्षक मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के रहने वाले विजय कुमार चंदसोरिया है। शिक्षक विजय कुमार 39 सालों से पन्ना जिले के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक थे। वह बच्चों को पढ़ाने के दौरान गरीब बच्चों को अपनी कमाई बांट देते थे ताकि उनकी पढ़ाई के बीच तंगी राह का रोडा न बने। सालों तक बच्चों को बढ़ाने वाले शिक्षक विजय कुमार (Teacher Vijay Kumar) अब सेवानिवृत्त हो गये। इसके बाद भी उन्होंने सेवानिवृत्त होने पर सरकार से मिले रिटायरमेंट फंड के 40 लाख रुपयों को गरीब छात्रों की शिक्षा के लिए दान देकर मिसाल पेश कर दी है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैंने अपनी भविष्य निधि और ग्रेच्युटी के पैसे दान करने का फैसला लिया है। इसके लिए मैंने अपनी पत्नी और दो बेटों व एक बेटी से सहमति भी ले ली। सभी के द्वारा मेरे फैसले पर सहमति जताने पर अपने रिटायरमेंट के 40 लाख रुपये बच्चों की शिक्षा में दान देने का फैसला लिया।

सेवानिवृत्त शिक्षक विजय कुमार चंदसोरिया ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने भी गरीबी के दिन देखें है। शिक्षक विजय कुमार ने कहा कि मैंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। रिक्शा चलाने से लेकर दूध बेचकर गुजारा किया और पढ़ाई पूरी की। कड़ी मेहनत के बाद आज से 39 साल पूर्व 1983 में शिक्षक के पद पर नौकरी मिली। उन्होंने बताया कि मैं अपने वेतन से गरीब बच्चों को कपड़े, किताब व दूसरे उपहार देता था। जिसे बच्चों को बहुत खुशी मिलती थी। उनकी इसी खुशी को देखकर मुझे यह प्रेरणा मिली है।

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