लासा वायरस ने दी दस्तक, जानिए कितना खतरनाक है और किसे होता,जानें बचाव का तरीका
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Corona virus) का कहर दुनिया में अब तक जारी है हालांकि अब कुछ राहत भी है, दूसरी ओर इस बार दुनिया भर में नए-नए वायरस के आगमन से चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं.
अब ब्रिटेन (UK) में लासा (Lassa) नाम के एक वायरस का मामला सामने आया है जिसमें तीन लोगों को वायरस ने संक्रमित किया है. दुर्भाग्य की बात यह है कि इनमें से एक की मौत (Death) हो चुकी है. हालांकि यह वायरस अभी कुछ अफ्रीकी देशों के अलावा कहीं और नहीं पहुंचा है, लेकिन ब्रिटेन में पाए गए मामलों के बाद वैज्ञानिकों में इसे लेकर चिंता पैदा हो गई है. इस वायरस से लासा बीमारी होती है जिसका कोई इलाज नहीं है.
लासा वायरस के संक्रमण में भी शुरुआत में कोई खास लक्षण नहीं दिखता है. हालांकि इस बीमारी में मृत्यु दर ज्यादा नहीं है, लेकिन 80 प्रतिशत मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखता है. यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (European Centre for Disease Prevention and Control) के मुताबिक इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं है. कुछ मरीजों बहुत अधिक जटिलताएं पैदा हो जाती हैं जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. अस्पताल पहुंचे 15 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है.
क्या है लासा वायरस
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस बीमारी की सबसे पहले खोज 1969 में पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजीरिया के लासा नामक स्थान में हुई. इसके बारे में तब पता चला जब इस बीमारी से दो नर्सों की मौत हो गई. लासा वायरस के संक्रमण में सबसे पहले बुखार लगता है. यह चूहों से इंसानों में पहुंचता है. सियरा लियोन, नाइजीरिया, गिनी और लाइबेरिया में यह महामारी के रूप में घोषित है.
कैसे फैलती है यह बीमारी
यह बीमारी चूहों से इंसान में फैलता है. दरअसल, चूहों के मल- मूत्र या उनके द्वारा दूषित भोजन को खाने से इस बीमारी का संक्रमण हो सकता है. हालांकि संक्रमित मरीज को छूने से या उसके पास होने से इस बीमारी का संक्रमण ( lassa fever transmission) बहुत ही मुश्किल है. अगर संक्रमित व्यक्ति के तरल पदार्थ से कोई दूसरा व्यक्ति संपर्क में आता है तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है. दूसरी ओर जब तक व्यक्ति में लक्षण नहीं दिखता तब तक उससे दूसरा व्यक्ति संक्रमित नहीं हो सकता. इसके अलावा मरीज से गले लगने, हाथ मिलाने या मरीज के पास बैठने से इस बीमारी का संक्रमण नहीं हो सकता.
किसे है ज्यादा खतरा
लासा वायरस का सबसे ज्यादा प्रभाव प्रेग्नेंट महिलाओं पर देखा गया है. सीडीएस के मुताबिक खासकर जब प्रेग्नेंसी अपनी तीसरी तिमाही में हो तब लासा वायरस का संक्रमण ऐसी महिलाओं में ज्यादा देखा गया है.
कितने दिनों में लक्षण दिखते हैं
लासा वायरस के संक्रमण के 1 से 3 सप्ताह तक मरीज में कोई लक्षण नहीं दिखता है. इसके बाद भी इसके लक्षण बहुत मामूली ही दिखते हैं जिसे लोग साधारण बुखार समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. हल्के लक्षणों में बुखार, थकान, कमजोरी, सिर में दर्द आदि होते हैं. इसके बाद गंभीर परिस्थिति में मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. इसके अलावा चेहरे पर सूजन और कमर, छाती, पेट में दर्द शुरू हो जाता है. अत्यधिक गंभीर स्थिति में ब्लीडिंग होने लगती है.
स्थायी बहरापन की आशंका
चूंकि वायरस का असर 1 से 3 सप्ताह बाद आता है. इसलिए लक्षण दिखने के दो सप्ताह बाद यदि जटिलताएं बढ़ती हैं तो मौत की आशंका भी बढ़ जाती है. हालांकि इस बीमारी से मौत की दर कम है, लेकिन बीमारी की जटिलता में बहरापन आम समस्या है. कुछ मरीजों में स्थायी बहरापन आ जाता है.
बचाव का तरीका
यह बीमारी चूहों से फैलती है. इसलिए हमेशा चूहों से दूर रहा जाए. भोजन को हर हाल में चूहों के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए. चूहों को न सिर्फ उन इलाकों से जहां यह बीमारी है बल्कि अन्य जगहों से भी भगा देना चाहिए.
क्रेडिट:News18
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