मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा भारतीय संगीत के महायुग का अंत
अद्वितीय और अनोखी स्वर साधिका का अवसान पीड़ादायक
लता दीदी गायिका ही नहीं, इतिहास में दर्ज एक विशेष अध्याय की तरह हैंकला साधक होंगे अनंतकाल तक प्रेरित
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पूरा विश्व दुखी है लता जी के अवसान पर
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दी स्वर कोकिला सुश्री #लता_मंगेशकर को श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chouhan ने कहा है कि स्वर कोकिला भारत रत्न सुश्री लता मंगेशकर का अवसान बहुत पीड़ादायक है। उनके अवसान से भारतीय संगीत के महायुग का अंत हो गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि- "लता दीदी आपके बिना ये देश सूना है। इस देश के गीत और संगीत सूने हैं। हर घर सूना है। हृदयघट सूना है। आपकी कमी कभी कोई पूरी नहीं कर सकता। गीत-संगीत की देवी मानकर हमेशा आपकी पूजा करते रहेंगे।"
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लता दीदी के चरणों में विनम्र प्रणाम करते हुए कहा कि- "वे अद्वितीय और अनोखी थीं, उनसे अनंतकाल तक कला साधक प्रेरित होते रहेंगे। मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मी सुश्री लता मंगेशकर ने पार्श्व गायन में सबसे लंबी अवधि का रिकार्ड बनाया है। अनेक भाषाओं को उन्होंने स्वर दिए। करोड़ों संगीत प्रेमियों के जीवन को सुंदर बनाया। वे विश्व स्तरीय गायिका थीं। भारत ही नहीं अनेक राष्ट्र उनके अवसान पर दुखी हैं और उनके योगदान का स्मरण कर रहे हैं। वे गायिका ही नहीं इतिहास में दर्ज एक विशेष अध्याय की तरह हैं।"
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मैं उत्तराखंड के प्रवास पर हूँ। आज पूर्वान्ह स्वर साम्राज्ञी, परम श्रद्धेय लता मंगेशकर जी के निधन का पीड़ादायक समाचार मिला। मेरा अन्तर्मन व्यथित है। देश ही नहीं, समूचे विश्व ने एक ऐसी स्वर साधिका को खो दिया, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज से जीवन में आनंद घोलने वाले असंख्य गीत दिए। लता दीदी का तपस्वी जीवन स्वर साधना का अप्रतिम अध्याय है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गीत-संगीत के प्रति समर्पण से परिष्कृत लता जी का व्यक्तित्व शालीनता, सौम्यता और आत्मीयता की त्रिवेणी रहा है, जो कला साधकों को अनंतकाल तक प्रेरित करता रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। अपनी सुमधुर अमर आवाज से लता दीदी सदैव हम सभी के बीच रहेंगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लता जी की जिन्दगी हिंदी और मराठी सिनेमा जगत के साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं और संगीत की ऐसी अद्भुत यात्रा रही है, जिसने कई पीढ़ियों की मानवीय संवेदनाओं को जीवंत करते हुए गीत-संगीत से जोड़ने का कार्य किया। भारतीय सिने जगत के उद्भव से अत्याधुनिक युग तक लता दीदी सहयोगी से संरक्षक की भूमिका में रहीं। लता जी का योगदान अविस्मरणीय रहेगा।
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