मध्यप्रदेश का एक ऐसा गाँव जहां दूध नहीं बेचा जाता,जानिए क्या है बजह
अजब गजब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में ग्वालों का एक ऐसा गांव भी है जहां मुफ्त में दूध मिलता है और वो भी जितना चाहे उतना. क्योंकि इस गांव में सदियों से दूध बेचना प्रतिबंधित है, जबकि गांव में 90 फीसदी ग्वाले रहते हैं.
यहां लोग दूध के बदले पैसे लेने के बारे में सोचते भी नहीं हैं. बैतूल के इस अनूठे गांव का नाम है चूड़िया, जहां लगभग एक सदी से यह परंपरा चली आ रही है. इस गांव के हर घर में पालतू मवेशी हैं और रोजाना सैंकड़ों लीटर दूध उत्पादित होता है, लेकिन भी लोग दूध मुफ्त में बांटते हैं.
हमे रोजाना एक ग्लास दूध पीने के लिए भी पैसे खर्च करने ही पड़ते हैं, लेकिन बैतूल का चूड़िया गांव एक ऐसी जगह है जहां दूध के बदले पैसे नहीं देने पड़ते. आप इस गांव से जितना जी चाहे उतना दूध मुफ्त में ले सकते हैं, क्योंकि ग्वालों के इस गांव में दूध बेचने पर प्रतिबंध है. ग्रामीणों का मानना है कि गांव के एक संत ने एक सदी पहले यहां दूध बेचने पर प्रतिबंध लगाया था जिसे लोग आज भी निभा रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि 1912 में इस गांव में चिन्ध्या बाबा नाम के एक संत रहा करते थे, जो एक बड़े गौसेवक थे. उन्होंने ग्रामीणों को सीख दी कि दूध में मिलावट करके बेचना पाप है. इसलिए गांव में कोई दूध नहीं बेचेगा और लोगों को दूध मुफ्त में दिया जाएगा. संत चिन्ध्या बाबा की बात पत्थर की लकीर बन गईं और इसके एक सदी बाद आज भी चूड़िया गांव में दूध मुफ्त मिल रहा है.
सबसे बड़ी हैरत की बात यह है कि यहां 90 फीसदी ग्वाले रहते हैं जिनके पास हजारों गौवंश हैं. ये चाहें तो रोजाना सैकड़ों लीटर दूध बेचकर बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन परंपराओं ने इनके दिलों से लालच को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है.
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